इसके बाद भी विभाग ने जनता के स्वास्थ्य से जुड़े इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। मानसून सिर पर है और राजधानी में ही चार हजार से ज्यादा ठेले वाले पानीपूरी के शौकीनों के शौक पूरे करते हैं। इसमें से बड़ी संख्या में ठेले वाले, इमली की जगह टांटरी का उपयोग पानी में कर रहे हैं। आलू भी कई दिन पुराने इस्तेमाल करते हैं।
सीली हुई फुल्की लोगों को खिलाई जाती है। बरसात शुरू होने के बाद ये समस्या और बढ़ जाएगी, लेकिन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की अभी लोकसभा चुनाव की खुमारी उतरी नहीं है। यही हाल शहर के फास्टफूड सेंटरों का है।
शहर के एमपीनगर, बोर्ड ऑफिस, न्यू मार्केट, बिट्टन, 10 नंबर, 12 नंबर सहित पुराने शहर में बिक रहे फास्ट फूड सेंटरों पर भी विभाग ने लंबे समय से जांच नहीं की है। गर्मी के बाद अब बरसात का मौसम लगभग शुरू हो चुका है, ऐसे में लापरवाही पूर्वक बेचा जा रहा घटिया फास्ट फूड लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है।
यहां नहीं लिए सैम्पल
शहर में बड़ी संख्या में रिटेल चेन स्टोर व मॉल में अफसर नहीं जाते। ठेलों पर तले जाने वाले छोले भटूरों, ढोसे में किस तरह का तेल उपयोग किया जा रहा है सभी जानते हैं। इसकी जांच के लिए अमला काफी समय से नहीं गया।
समय-समय पर हम लोग जांच कराते हैं, शनिवार को गोविंदपुरा स्थिति ब्रेड की फैक्टी के सैम्पल लिए गए थे। पानीपूरी की रिपोर्ट मिलने के बाद जांच कराई जाएगी।
– श्वेता पवार, डीओ व संयुक्त कलेक्टर
अधिकारी के पास शिकायत जाती है तब चलता है अमला
खाद्य सुरक्षा विभाग के पास अच्छा खासा अमला है, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी के अलावा कनिष्ठ अफसर भी हैं, लेकिन ये लोग शिकायत के इंतजार में बैठे रहते हैं। विभाग की डिजिग्नेटिड ऑफिसर श्वेता पवार के पास शिकायत पहुंचने के बाद अमला जांच के लिए गया।
पूरी गर्मी निकल गई, लेकिन अमले ने एक पानी के पाउच का सैम्पल तक नहीं लिया। जनता ने चुनावों में कैसा पानी किया किसी को इससे कोई असर नहीं पड़ता।