रहमत के अशरे का ये है मकसद रमजान को तीन अशरों को अलग अलग करने का भी खास मकसद ये है, पहले दस दिन जिन्हें रहमत का अशरा कहा जाता है, उन दस दिनों के जरिये अल्लाह अपने बंदों से कहता है। इन दस दिनों में उसकी तरफ से रेहमत बरसाई जा रही है, है कोई…इस रहमत को लेने वाला। ये समझ लें कि, आखिर रहमत होती क्या है? रहमत के कई मतलब हैं, जैसे- दिव्य दया, दिव्य आशीर्वाद, कृपा, रहम, करुणा, तरस। तो इन दस दिनों में के जरिये अल्लाह कहता है कि, है कोई दया मांगने वाला, है कोई मुझसे आशीर्वाद लेने वाला, है कोई मुझसे रहम मांगने वाला, है कोई मेरी कृपा चाहने वाला।
जहन्नम से खुलासी के अशरे का मकसद तीसरा अशरा जहन्नुम से आजादी का होता है। तीसरे अशरे में अल्लाह अपने बंदों को जहन्नुम से निजात देता है। मुफ्ती फैयाज आलम के मुताबिक, रमजान के मुकद्दस महीने में मुसलमानों को रोजा रखने के साथ-साथ पांचों वक्त की नमाज़ और तरावीह पढ़नी चाहिए। साथ ही, जितना हो सके अपने वक्त को अल्लाह से माफी मांगने और पनाह मांगने में गुजारें। क्योंकि, ये बात तो सभी जानते हैं कि, हम अपने जीवन में जाने-अनजाने में ऐसी गलतियां (पाप) कर ही जाते हैं, कई बार जिनके बारे में हमें पता भी नहीं होता। पवित्र किताब कुरआन में अल्लाह का वादा है कि, ‘इंसान सच्चे मन अपने गुनाहों की तोबा करे, फिर दोबारा उन बुरे कामों को बुरा मानकर उनसे दूर रहे, तो हम उन गुनाहों को माफ कर देते हैं।’ इसलिए कोशिश करें कि, हमारी इबादत ऐसी हो, जिससे अल्लाह की रज़ा हासिल हो सके।
कैसी हो इबादत? मुफ्ती फैयाज़ आलम का कहना है कि, कुछ लोगों को ये भी लग रहा है कि लॉकडाउन की वजह से मस्जिदों में जाकर अपनी इबादतें नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि, हमें ये पता होना चाहिए कि, मस्जिद सिर्फ फर्ज इबादत करने की जगह है। बाकि, नमाज़ में भी सुन्नतें और नफिल नमाज पढ़ना मस्जिद के बजाय घर में ज्यादा बेहतर बताया गया। हालांकि, अभी हालात ऐसे हैं, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना सबसे अहम है। ऐसे हालात में इस्लाम ने हमें अपनी पूरी नमाजों को घर में ही अदा करने का हुक्म दिया है। इसके अलावा, सभी लोगों को ये सोचना भी जरूरी है कि, इबादत आपकी नियत पर डिपेंड करती है, न कि जगह पर। इबादत करके आपका रिश्ता आपके अल्लाह से होता है, वो तो अकेले में भी होगा ही। इसलिए अपनी इबादत ऐसी करें जिसमें इख्लास (ईश्वर के प्रति सच्ची निष्ठा) हो। जितना आप अपने रब के साथ सच्चे मन से जुड़ेंगे, भले ही वो किसी भी भाषा में जुड़ें, वो ज्यादा बेहतर होगा।
जनतरी से जाने सेहरी और इफ़्तार का सही वक्त