पढ़ें ये खास खबर- तेज रफ्तार का कहर : बस और ट्रक की भीषण भिड़ंत में 3 की मौत, दर्जनभर घायल
7 फरवरी को होगा अंतिम संस्कार
बंसी को ल अपने पीछे परिवार में पत्नी अंजना, रंगविदूषक संस्था और हजारों रंगकर्मी शिष्यों की टोली छोड़ गए हैं। उनके निधन से कला जगत में शोक की लहर है। उनके रंगकर्म में योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री समेत देश-विदेश के कई प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं। बंसी दादा की अंतिम यात्रा कल 7 फरवरी 2021 को उनके निवास स्थल सतीसर अपार्टमेंट प्लाट नंबर 6, सेक्टर 7, विश्व भारती स्कूल के सामने से 1: 30 बजे प्रस्थान करेगी तथा दोपहर 3 बजे लोधी रोड शमशान घाट पर अंतिम संस्कार होगा।
बंसी कौल ने किये कई बड़े इवेंट डिजाइन
बंसी कौल राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के स्नातक रहे। उन्होंने भोपाल में रंग विदूषक के नाम से अपनी एक संस्था बनाई, जिसे देश ही नहीं बल्कि विश्वभर में ख्याति मिली। 1984 से रंग विदूषक ने देश और दुनिया में अपनी नाट्य शैली की वजह से अलग पहचान रखने वाले बंसी कौल प्रख्यात डिजाइनर रहे। उन्होंने कई बड़े इवेंट डिजाइन किये, जिसमें कॉमनवेल्थ गेम्स की ओपनिंग सेरेमनी हो या आईपीएल की ओपनिंग सेरेमनी हो अपनी रचनाधर्मिता से उसे नया रंग दिया। आखिरी दिनों तक बंसी कौल रंगकर्म और नाटकों की दुनिया को लेकर ही चिंतित रहे। थिएटर ऑफ लाफ्टर, सामूहिकता, उत्सव धर्मिता को लेकर एक नया मुहावरा रच गए।
उनकी सांसों में धड़कता था रंगकर्म
23 अगस्त 1949 को जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में जन्में कौल संघर्षशील, अनुशासित, मिलनसार, लेखक, चित्रकार, नाट्य लेखक, सेट डिजाइनर और रंग निर्देशक थे। उनकी सांसों में जहां रंगकर्म धड़कने बसती थीं, वहीं संवादों में साहित्य उनमें साफ तौर पर देखा जा सकता था। वो महज एक नाम नहीं, समकालीन हिंदुस्तानी रंगकर्म की जीती जागती परिभाषा थे। रंगमंच में अनुभवों का विराट संसार समेटे, रंग-आंदोलन की अलख जगाते बंसी कौल ने आज इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
पढ़ें ये खास खबर- नई कटनी जंक्शन-बिलासपुर रेल मार्ग पर हादसा, ट्रेन के 6 डब्बे पटरी से उतरे
बंसी दा के प्रमुख नाटक
हिंदी, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, सिंहली, उर्दू, बुदेलखंडी एवं बघेलखंडी भाषाओं 100 से अधिक नाटकों के निर्देशन। आला अफसर, मृच्छकटिकम, राजा अग्निवर्ण का पैर, अग्निलीक, वेणीसंहार, दशकुमार चरित्तम, शर्विलक, पंचरात्रम, अंधा युग, खेल गुरू का, जो राम रचि राखा, अरण्याधिपति टण्टयामामा, जिन्दगी और जोंक, तुक्के पर तुक्का, वतन का राग, कहन कबीर और सौदागर आदि उल्लेखनीय हैं।
किसानो ने कृषि बिल को लेकर किया चक्काजाम – video