इस प्लांट से पाइप के जरिए मरीज के बेड तक ऑक्सीजन पहुंचाई जाएगी। इसका बड़ा फ ायदा यह है कि ऑक्सीजन खत्म होने का जोखिम नहीं रहेगा और जरूरत होने पर मरीज को फ ौरन ऑक्सीजन मिल जाएगी। अभी सिलेंडर लगाने में वक्त लगता है। अधिकारियों के मुताबिक नैचुरल ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए प्रस्ताव मंजूर हो गया है और जल्द ही इस दिशा में काम शुरू किया जाएगा।
वातावरण की हवा से बनाएंगे ऑक्सीजन
प्लांट में वातावरण से गैसों को खींचने की क्षमता होती है, जिससे ऑक्सीजन व नाइट्रोजन को खींचा जाता है। इसके बाद नाइट्रोजन को अलग किया जाता है। ऑक्सीजन को फि ल्टर करने के बाद कंप्रेस्ड फ ार्म में एक टैंक में रखा जाता है। यहां से पाइप लाइन के जरिए अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है।
50 लाख की आएगी लागत
जानकारी के मुताबिक प्लांट में 20 जंबो यानी बड़े सिलेंडर के बराबर ऑक्सीजन रोजाना तैयार होगी। 300 बिस्तर से बड़े अस्पतालों में लगभग इतने ही सिलेंडर रखे जाते हैं। इनका उपयोग 25 फ ीसदी भी रोजना नहीं होता। नैचुरल ऑक्सीजन प्लांट लगाने में अनुमानित 50 लाख रुपए का खर्च आएगा।
– ऑक्सीजन सप्लाई के लिए सिलेंडरों पर निर्भरता।
– सिलेंडर खत्म होने से मरीजों की जिंदगी का जोखिम।
– अक्सर सिलेंडर में लीकेज की समस्या आती है।
– सिलेंडर का रख-रखाव भी महंगा है।
– नए कर्मचारी सिलेंडर को ऑपरेट नहीं कर पाते।
साइज – स्टाक – प्रति माह आवक
जम्बो – 55 – 240
स्माल – 65 – 277
पिन – 188 से 10 इस प्लांट के तैयार होने के बाद मरीजों को फायदा होगा। इससे अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी जैसी स्थिति नहीं बनेगी।
– डॉ. आइके चुघ, अधीक्षक, जेपी अस्पताल