गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रही सरकार
जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश सरकार गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है। राज्य सरकार पर 3 लाख 29 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज हो चुका है। जबकि प्रदेश सरकार का कुल वार्षिक बजट भी इतना नहीं है। इसका मतलब यह है कि अब सरकार ने राज्य के कुल बजट से ज्यादा कर्जा ले रखा है। भारी-भरकम कर्ज के चलते सूबे की शिवराज सरकार को हर साल बड़ी रकम ब्याज के तौर पर चुकानी पड़ रही है।
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अब तक तक 8 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी सरकार
आपको बता दें कि पहले से 3 लाख करोड़ रुपए के कर्ज के बोझ तले दबी शिवराज सरकार ने एक बार फिर भारतीय रिजर्व बैंक से कर्ज लिया है। इस कर्ज के बाद शिवराज सरकार इस एक साल यानी 2022 में अब तक करीब 8 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। प्रदेश सरकार पर अब तक जो 3 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है उसमें राष्ट्रीय बचत योजना से 3756 करोड़ रुपए का कर्ज शामिल है। 31 मार्च 2022 की स्थिति में सरकार पर कुल 3 लाख 3 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है।
40 हजार करोड़ तक ले सकती है सरकार
जानकारी के मुताबिक प्रदेश सरकार राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 4 फीसदी तक लोन ले सकती है। सरकार के पास 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक का लोन लेने की पात्रता है, लेकिन अभी तक सरकार ने आठ हजार करोड़ का ही कर्ज लिया है।
विपक्ष की मांग श्वेतपत्र जारी करे सरकार
आर्थिक संकट से गुजर रही सरकार पर अब विपक्ष का दबाव भी बन रहा है। दरअसल अब विपक्ष भी लगातार मांग कर रहा है कि इस आर्थिक स्थिति पर सरकार श्वेत पत्र जारी करे, ताकि वित्तीय प्रबंधन की स्थिति स्पष्ट हो सके। जिसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को कई पत्र लिख चुके हैं। लेकिन इसे लेकर वित्त मंत्री जगदीव देवड़ा ने बताया कि योजनाओं के संचालन के लिए हर सरकार को कर्ज की आवश्यकता होती है। साथ ही विकास और जन कल्याणकारी योजनाओं के लिए कर्ज लिया जाता है।