मिथुन चौहान स्वास्थ खराब होने के कारण एक दिन उपस्थित नहीं हो सके तो उन्हें पद से हटा दिया गया। कोर्ट ने उन्हें दोबारा नौकरी पर रखने का आदेश दिया जिसका पालन नहीं किया गया। याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका प्रस्तुत की जिसपर कोर्ट ने कलेक्टर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी सीईओ को भी तलब किया। दोनों अधिकारी नहीं आए तो कोर्ट ने उनके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए।
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याचिकाकर्ता मिथुन चौहान के अधिवक्ता प्रसन्ना भटनागर ने बताया कि 25 फरवरी 2017 को स्वास्थ खराब होने के कारण वे एक दिन कार्य पर उपस्थित नहीं हो सके थे। उनकी अनुपस्थिति को कदाचरण बताते हुए बिना जांच किए और बिना सुनवाई का अवसर दिए मिथुन चौहान को हटा दिया गया।
याचिकाकर्ता मिथुन चौहान के अधिवक्ता प्रसन्ना भटनागर ने बताया कि 25 फरवरी 2017 को स्वास्थ खराब होने के कारण वे एक दिन कार्य पर उपस्थित नहीं हो सके थे। उनकी अनुपस्थिति को कदाचरण बताते हुए बिना जांच किए और बिना सुनवाई का अवसर दिए मिथुन चौहान को हटा दिया गया।
हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए 22 अगस्त 2023 को उनकी सेवा समाप्ति का आदेश निरस्त कर दिया। इसके साथ ही ग्राम रोजगार सहायक को 50 प्रतिशत पिछले वेतन सहित वापस पद पर रखने का आदेश दिया। हाईकोर्ट के इस आदेश पर सरकार ने अपील की लेकिन निरस्त हो गई। इसके बाद भी कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया तो याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका प्रस्तुत की।
इस पर कोर्ट ने 20 सितंबर 2024 को आदेश का पालन करने सरकार को निर्देशित करते हुए अधिकारियों को 4 अक्टूबर 2024 को न्यायालय के समक्ष उपस्थित रहने का कहा। लेकिन न तो आदेश का पालन किया गया और न ही उक्त दोनों अधिकारी कोर्ट में उपस्थित रहे। ऐसे में इंदौर हाईकोर्ट ने धार कलेक्टर प्रियांक मिश्र और जिला पंचायत के तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी शृंगार श्रीवास्तव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने का आदेश दिया।