मध्यप्रदेश के वन विभाग के कर्मचारियों पर प्रदेश के वित्त विभाग की नजर टेढ़ी हो गई लगती है। वनरक्षकों के बाद विभाग के वन क्षेत्रपालों यानि रेंजरों पर मुसीबत आ गई है। वित्त विभाग ने वन विभाग के रेंजरों का एक इंक्रीमेंट काटने का आदेश दिया है। वित्त विभाग ने कहा है कि रेंजरों को ट्रेनिंग के दौरान इंक्रीमेंट दिया गया जोकि गलत है।
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ट्रेनिंग पीरियड में इंक्रीमेंट देने पर रोक लगाते हुए वित्त विभाग ने रेंजरों को दी गई राशि की रिकवरी यानि वसूली की कवायद भी शुरु कर दी है। रेंजरों का एक इंक्रीमेंट कम कर दिया गया है। इसके साथ ही दी गई राशि भी वसूली जाएगी। रेंजरों को ज्यादा दी गई राशि के रूप में 45 हजार रुपए से लेकर 5 लाख रुपए तक वसूले जाएंगे। कुल 741 रेंजरों से यह वसूली की जाएगी। इस प्रकार रेंजरों को औसतन 2.50 लाख रुपए का झटका लगेगा।
ट्रेनिंग पीरियड में इंक्रीमेंट देने पर रोक लगाते हुए वित्त विभाग ने रेंजरों को दी गई राशि की रिकवरी यानि वसूली की कवायद भी शुरु कर दी है। रेंजरों का एक इंक्रीमेंट कम कर दिया गया है। इसके साथ ही दी गई राशि भी वसूली जाएगी। रेंजरों को ज्यादा दी गई राशि के रूप में 45 हजार रुपए से लेकर 5 लाख रुपए तक वसूले जाएंगे। कुल 741 रेंजरों से यह वसूली की जाएगी। इस प्रकार रेंजरों को औसतन 2.50 लाख रुपए का झटका लगेगा।
बता दें कि वित्त विभाग ने वन रक्षकों से भी वसूली के आदेश दिए हैं। इन्हें 5680 का वेतन बैंड दे दिया गया था जिसे वित्त विभाग ने गलत बताया है। अब प्रदेशभर में 6592 वनरक्षकों से अतिरिक्त राशि की वसूली की जा रही है। कुल 162 करोड़ रुपए वसूलने के लिए वित्त विभाग ने हर माह वेतन से राशि काटने के निर्देश दिए हैं। अतिरिक्त राशि के साथ 12 प्रतिशत का ब्याज भी देना होगा। ऐसे में वनरक्षकों को 1.50 लाख रुपए से लेकर 5 लाख रुपए तक का नुकसान हो रहा है।
इधर वन कर्मचारियों और उनके संगठनों के पदाधिकारियों का कहना कि वित्त विभाग के पुराने निर्णय के आधार पर ही वेतन बैंड दिया गया था। इसकी गलत व्याख्या कर अब वसूली की जा रही है। संगठनों ने इसे फिलहाल रोकने की मांग की है। वन कर्मचारी संघ का कहना है कि जंगल और वन्यप्राणियों की सुरक्षा में दिन रात जुटे वनरक्षकों के साथ ऐसा बर्ताव उचित नहीं है। कर्मचारी संघ ने इस मामले में हाईकोर्ट में जाने की भी बात कही है।