भोपाल। आज विश्व रक्तदान दिवस है। रक्तदान को लेकर तमाम विज्ञापन और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। बीते कुछ सालों से रक्त की कमी से होने वाली मौतों में भी कमी आई है। लेकिन इसके बाद भी राजधानी भोपाल में लगभग 85 हजार यूनिट ब्लड की कमी रह जाती है। आंकड़ों की मानें तो भोपाल में हर साल 1 लाख यूनिट ब्लड की जरूरत है, लेकिन कुल मिलाकर तकरीबन 15 हजार यूनिट ब्लड ही इकट्ठा हो पाता है। लगभग 85 हजार यूनिट ब्लड की कमी रह जाती है, और मरीजों व उनके परिजनों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ब्लड की यूनिट्स की कमी का मुख्य कारण आज भी जागरुकता की कमी ही मानी जा रही है। तमाम विज्ञापन और जागरुकता कार्यक्रम बड़े स्तर पर दिखाई जरूर देते हैं, लेकिन इन्हें लेकर आज भी जागरुकता की कमी सामने आती है। कैसे हो जाती है ब्लड यूनिट्स की कमी ब्लड यूनिट्स के आंकड़े जुटाने का एक तरीका निर्धारित है, जो शायद आपको नहीं पता होगा। आपको बता दें कि ब्लड यूनिट्स की आवश्यक्ता कब पड़ जाए, ये कोई नहीं जानता। इसलिए सभी सरकारी और निजी अस्पतालों की बेड की संख्या के आधार पर ब्लड यूनिट्स का निर्धारण किया जा जाता है। राजधानी भोपाल में सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के बेड की संख्या लगभग 9975 है। नियम के मुताबिक प्रति बेड 11 यूनिट ब्लड प्रति साल की आवश्यक्त होती है। इस हिसाब से अकेले राजधानी भोपाल में ही जरूरी ब्लड यूनिट्स की संख्या लगभग 1 लाख तक पहुंच जाती है। वहीं साल भर में विभिन्न ब्लड डोनेशन कैम्प्स में सिर्फ 15 हजार यूनिट ब्लड ही स्वैच्छिक रक्तदान के जरिए जमा हो पाता है। इस तरह 85 हजार यूनिट्स की कमी हर साल बनी रहती है। आज विश्व रक्तदान दिवस है। सभी स्वस्थ लोगों को ये संकल्प लेना चाहिए कि नियमित रूप से रक्तदान करें। ध्यान रखें रक्तदान करने से किसी भी तरह का नुकसान नहीं है। हां, ये किसी की जिंदगी जरूर बचा सकता है।