दर्ज कराया मामला
खाताधारक ने ठगी गई राशि प्राप्त करने के लिए भोपाल स्थित आइटी कोर्ट (कोर्ट ऑफ एजूडीकेटिंग ऑफिसर) में मामला दर्ज कराया। कोर्ट ने मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी और बैंक को ठगी के लिए दोषी करार दिया। अंतत: साढ़े चार वर्ष के संघर्ष के बाद पीडि़त को 30 नवंबर 2022 को मोबाइल कंपनी से 3.50 लाख रुपए के ब्याज समेत हर्जाना राशि चुकानी पड़ी। बैंक के हिस्से की राशि का भुगतान अभी भी शेष है।
तो जिम्मेदारी सेवा प्रदाताओं की
दरअसल ऑनलाइन साइबर ठगी के मामलों में बैंक खातेदार की चूक को ही मुख्य वजह माना जाता है, लेकिन कई बार ऑनलाइन बैंकिंग, पेमेंट, एटीएम कार्ड के उपयोग में उपभोक्ता से कोई चूक नहीं होती फिर भी ठगी हो जाती है। ऐसे मामलों में जिम्मेदारी सेवा प्रदाताओं की होती है। आइटी एक्ट-2000 में क्षतिपूर्ति का अधिकार प्राप्त है, लेकिन इसकी जानकारी ठगी के शिकार बहुत से लोगों को नहीं होती है।
यहां पढ़ें पूरा मामला
इंदौर के महावीर पैकेजिंग के संचालक सुनील जैन की 11 अगस्त 2018 की शाम बीएसएनएल की सिम अचानक बंद हो गई थी। कस्टमर केयर पर जानकारी लेने पर सिम में खराबी आना कहकर अगले दिन ऑफिस से दूसरी सिम जारी होने के लिए कहा गया, जबकि उनकी सिम उसी शाम उज्जैन के किसी व्यक्ति को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जारी कर दी गई थी। बाद में पता चला कि सिम जारी होते ही बैंक ऑफ बड़ौदा में जैन के खाते से 2.92 लाख रुपए ऑनलाइन निकाल लिए गए। इस तरह से ठगी होने पर पीडि़त ने आइटी कोर्ट में मामला दर्ज करवाया। आइटी कोर्ट ने सुनवाई में पाया कि बीएसएनलए ने बिना पड़ताल किए फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस पर डुप्लीकेट सिम जारी की है। वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा ने उपभोक्ता की ऑनलाइन आइडी और पासवर्ड की ठीक तरीके से सुरक्षा नहीं की। फरवरी 2020 में कोर्ट ने आदेश जारी कर बैंक व मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी को ब्याज समेत आधी-आधी राशि भुगतान करने के आदेश दिए। बाद में आदेश के विरुद्ध बैंक दिल्ली में आइटी ट्रिब्यूनल चला गया। आदेश का पालन नहीं होने पर आइटी कोर्ट ने जब बीएसएनएल की सपंत्ति कुर्की के आदेश दिए तो 30 नवंबर 2022 को बीएसएनएल ने सुनील जैन को अपने हिस्से के साढ़े तीन लाख रुपए का भुगतान किया।