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गली मोहल्ले की दुकानें बनी संकट मोचक
लॉकडाउन के दौरान किराना और जरूरी सामान की किल्लत से जूझ रहे शहरवासियों के लिए अपने मोहल्ले और गलियों में दुकान चलाने वाले संकट मोचक बनकर उभरे हैं। घर बैठे ऑर्डर कर ऑनलाइन सामान मंगाने वाले भी इन्ही रिटेल शॉप्स या स्टोर्स से सामान खरीद रहे हैं। ये बदलाव पिछले करीब एक माह से देखने में आ रहा है। लॉकडाउन के दौरान उपभोक्ताओं को जरूरत का सामान उपलब्ध कराने वाले व्यपारियों एवं उनके संगठनों का कहना है कि, ऑनलाइन कंपनियां इस संकट के समय में आगे क्यों नहीं आ रही? जैसे-तैसे स्थानीय बाजार से उपभोक्ताओं को सामान की आपूर्ति हो रही है।
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20 फीसदी स्थानीय बाजार पर पड़ा ऑनलाइन कंपनियों का असर
एक अनुमान के नुताबिक, पिछले कुछ सालों से परंपरागत स्थानीय बाजारों का 20 फीसदी बाजार ऑनलाइन कंपनियों के माध्यम से होने लगा। इससे स्थानीय बाजार में मांग घटी है। भोपाल शक्कर एसोसिएशन के सचिव कृष्णकुमार बंगड़ का कहना है कि, लॉकडाउन के दौरान स्थानीय थोक, रिटेल शॉपवाले ही जनता की सेवा कर रहे हैं। लोगों को जरूरत का सामान पास की दुकानों से ही खरीदना पड़ रहा है।
सामान लेने के लिए दुकानों में घुसे
एक दिन पहले ही प्रशासन ने व्यापारियों को ऐसी एजेंसियों को किराना सामान उपलब्ध कराने की अनुमति दी थीजो घर घर तक सामान पहुंचा सकें। लेकिन, आदेश के दूसरे ही दिन शनिवार को स्थानीय हनुमानगंज-जुमेराती थोक बाजारों में सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए और अपने घरों के लिए सामान खरीदने लगे। व्यवसाइयों ने भी मौके का फायदा उठाकर ग्राहकों को सामान उपलब्ध करा दिया।ये काम सुबह 6 से 9 बजे तक चला। इसके बाद पुलिस ने दुकान बंद करवा दीं। दोपहर बाद फिर सामान लेने के उद्देश्य से कई ग्राहक वाहनों से बाजार पहुंच गए। हालांकि, दुकानें बंद होने के चलते वो मायूस होकर वापस लौट गए।
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की जाती रही है मांग
केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के मुताबिक, देश में जिस तेजी से ऑनलाइन बाजार बढ़ रहा है। उसी तेजी से भी उनके खिलाफ शकायतें भी बढ़ रही हैं। वित्त वर्ष 2017-18 में ई कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ शिकायतों में 42 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। व्यापारिक संगठन कैट ने ऑनलाइन बाजार का हमेशा विरोध किया है। क्योंकि, इन कंपनियों ने परंपरागत बाजारों का काफी हिस्सा अपने कब्जे में ले लिया है।
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ऑनलाइन के कारण 20 फीसदी गिरास्थानीय बाजार
कैट के उपाध्यक्ष राधेश्याम महेशवरी ने बताया कि, ऑनलाइन कंपनियों के कारण हमारा करीब 20 फीसदी बाजार कम हो गया है। कैट ने सरकार से हमेशा मांग की है कि, इन कंपनियों के आने से परंपरागत बाजारों का अस्तित्व संकट में आ जाएगा। आज जब कोरोना संकट बना हुआ है, तब उपभोक्ताओं की सेवा रिटेल शॉप मोहल्ले की किराना दुकानों के माध्यम से ही हो रही है।
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सेवाएं नहीं दे पा रही हैं ऑनलाइन कंपनियां
मध्य प्रदेश कंज्यूमर डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील जैन के मुताबिक, आज मोहल्ले की दुकान से ही लोगों की जरूरत के सामान की आपूर्ति हे पा रही है। ऑनलाइन कंपनियां लॉकडाउन में अपनी सेवाएं नहीं दे पा रही हैं। जनता का भरोसा परंपरागत बाजारों पर ही है।