मध्यप्रदेश की राजनीति का यह दिलचस्प किस्सा 1985 का है। अर्जुन सिंह ने 11 मार्च 1985 को सीएम पद की शपथ ली और अगले ही दिन 12 मार्च 1985 को इस्तीफा दे दिया। सीधी जिले के चुरहट में 5 नवंबर 1930 को जन्मे अर्जुन सिंह का यह दिलचस्प किस्सा आज भी याद किया जाता है। patrika.com पर प्रस्तुत है पॉलिटिकल किस्सों की श्रृंखला का यह दिलचस्प किस्सा…।
अर्जुन सिंह 1980 में पहली बार सीएम बने थे। उन्होंने पांच साल का कार्यकाल भी पूरा कर लिया था। 1985 में फिर चुनाव हुए और कांग्रेस फिर सत्ता में आ गई। 251 सीटें जिताकर लाने वाले अर्जुन सिंह की लोकप्रियता काफी बढ़ गई थी और वे फिर से विधायक दल के नेता चुन लिए गए। शपथ लेने की तारीख 11 मार्च 1985 तय कर दी गई थी। शपथ लेने के बाद अपने कैबिनेट मंत्रियों के नामों पर चर्चा के लिए अर्जुन सिंह दिल्ली में प्रधानमंत्री राजीव गांधी (rajiv gandhi) से मिलने उनके आवास पर मौजूद थे। अर्जुन सिंह प्रधानमंत्री के आने का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही अर्जुन सिंह का सामना राजीव गांधी से हुआ, राजीव ने अर्जुन सिंह का हाथ पकड़कर कहा कि आपको पंजाब का जिम्मा दिया जा रहा है, आपको राज्यपाल बनना है। इतना सुनकर अर्जुन सिंह शॉक्ड हो गए। अर्जुन सिंह के हाथ में वो लिस्ट थी, जिसमें नए कैबिनेट के सदस्यों के नाम थे और वे राजीव गांधी की तरफ बढ़ाने ही वाले थे। प्रधानमंत्री के सामने अर्जुन सिंह कोई टिप्पणी नहीं कर पाए और तुरंत कह दिया हां। राजीव ने अर्जुन से इतना ही पूछा कि इस फैसले से किसी से बात करने की जरूरत है क्या? इस पर अर्जुन ने कह दिया, नहीं। इसके बाद अर्जुन सिंह से ही मध्यप्रदेश के नए सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए उनकी पसंद के नाम पूछे। कुछ ही देर में अर्जुन ने अपने बेटे अजय सिंह को फोन लगाया और कहा कि वे मोतीलाल वोरा (motilal vora) को लेकर एयरपोर्ट पहुंच जाएं। यह भी कहा जाता है कि जिस विमान से अर्जुन सिंह दिल्ली गए थे, उसी विमान को भोपाल भेज दिया गया और अजय सिंह के साथ मोतीलाल भोपाल के स्टेट हैंगर से चढ़ गए। दोनों को ही नहीं पता था कि दिल्ली में क्या गुणाभाग चल रहा है और अगले ही पल क्या होने वाला है।
अजय सिंह (ajay singh) बताते हैं कि भोपाल से दिल्ली के रास्ते में मोतीलाल वोरा उनसे अर्जुन सिंह के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री पद पाने के लिए सिफारिश करते रहे। लेकिन, जब मोतीलाल वोरा प्रधानमंत्री आवास पर पहुंचे, उसके थोड़ी ही देर में मोतीलाल का एमपी का नया सीएम बनाने का ऐलान कर दिया गया। 11 मार्च को ही शपथ लेकर दिल्ली पहुंचे अर्जुन सिंह ने अगले ही दिन 12 मार्च 1985 को इस्तीफा दे दिया था। अर्जुन सिंह एमपी की राजनीति से ज्यादा समय दूर नहीं रह पाए और 14 फरवरी 1988 को तीसरी बार भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए।