इन तीनों जिलों से करीब 800 लोग हजयात्रा पर जाएंगे। मदीना में तो सभी को जगह मिलेगी लेकिन मक्का में सीटें सीमित होने से कुरऑ का सहारा लिया जाता है। 2015 में मक्का में 400 लोगों को जगह मिली थी। उस दौरान शाही औकाफ ने यहां अतिरिक्त भवन लेकर यात्रियों को ठहराया था। ये इंतजाम इस बार भी करने की तैयारी है। इसी की समीक्षा को लेकर शाही औकाफ का एक दल सउदी अरब गया है। अगर इंतजाम हुए तो हजयात्रियों को इसका फायदा मिलेगा।
80 हजार तक का खर्च होगा कम दोनों रुबात में जिन हजयात्रियों को जगह मिलेगी उन्हें हजयात्रा के लिए खर्च में 80 हजार रुपए तक का फायदा होगा। इन यात्रियों को रिहाइश के लिए जो खर्च करना पड़ता वह नहीं देना होगा।
क्या हैं रुबात भोपाल, सीहोर और रायसेन से जो लोग हजयात्रा के लिए चुने गए उन्हें मक्का और मदीना की रूबात में जगह मिलेगी। नवाबी रियासत के दौरान इन्हें वहां बनवाया गया था। रियासत से जो भी हजयात्रा के लिए जाता इन रूबात में ठहरने निशुल्क इंतजाम होते थे। ये आज भी जारी है। लोगों की संख्या बढऩे से कुरऑ के जरिए फैसला होने लगा है।
20 मार्च तक जमा होनी है आखिरी किश्त
जिन लोगों का चयन हजयात्रा के लिए हो गया है उन्हें 20 मार्च तक दूसरी किश्त जमा करनी है। इसके तहत 1 लाख 20 हजार रुपए हज कमेटी के खाते में जमा कराने होंगे। इससे पहले हर एक हजयात्री से 80 हजार रुपए जमा कराए जा चुके हैं। इस तरह हर एक हजयात्री के दो लाख एक हजार रुपए कमेटी के खाते में जमा होना है।