पढ़ें ये खास खबर- जानिए क्या है NRC और CAA, क्यों मच रहा है इस पर घमासान
बुनियादी चीजें मजबूत होने के बाद ही लागू होगा
फिलहाल, भोपाल समेत प्रदेश के 40 जिलों में धारा 144 लगाई गई है। हालांकि, देखने में ये आ रहा है कि, लोगों में NRC और CAA को लेकर अब तक पूर्ण जानकारी नहीं है। देशभर में इसे लेकर विरोध होने और उग्र प्रदर्शन होने के पीछे यही एक बड़ा कारण भी सामने आया है। भोपाल में शुक्रवार को हुए प्रदर्शन के दौरान पत्रिका द्वारा प्रदर्शनकरने वालों से पूछा गया कि, आप जो विरोध कर रहे हैं आखिर वो है क्या? सवाल ये भी था कि, NRC और CAA है क्या? बड़ी तादाद में लोगों को इसके बारे में कुछ मालूम ही नहीं था। अकसर लोगों का कहना था कि, हमें बताया गया है कि, अगर ये बिल देश में लागू हुआ, तो हमारी नागरिकता खतरे में आ जाएगी।
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भारत के नागरिकों के खिलाफ नहीं NRC
यानी कुल मिलाकर देखा जाए, तो विरोध करने वाली बड़ी भीड़ को स्पष्ट ही नहीं है कि, आखिर वो विरोध कर क्यों रहे हैं। इसलिए, ये हमारा कर्तव्य है कि, हम एनआरसी से जुड़े आपके इस असमंजस को दूर करें ताकि, आपको पता लगे कि ये कानून भारत के किसी भी नागरिक के खिलाफ नहीं है। साथ ही, इस संबंध में आप किसी की बातों में आए बिना ये जान लें कि, आखिरकार एनआरसी कानून किसे नागरिकता मिलेगी। सरकार के शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि, किस तारीख से पहले जन्मे लोगों को भारतीय नागरिक माना जाएगा और उन्हें किस आधार पर भारतीय नागरिक माना जाएगा।
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इन्हें नहीं होना चाहिए NRC लागू होने की चिंता
भारत में रहने वाले वो लोग जो एक जुलाई, 1987 से पहले पैदा हुए या जिनके माता-पिता 1987 से पहले पैदा हुए हैं, वे सभी कानूनन भारतीय नागरिक हैं। उन्हें नागरिकता संशोधन कानून या प्रस्तावित एनआरसी से चिंता करने की जरूरत नहीं है। सरकार के शीर्ष अधिकारी ने कहा, नागरिकता कानून के 2004 में हुए संशोधन के अनुसार, यहां ये समझना जरूरी है कि, ये संशोधन असम को छोड़कर होगा। इसमें जिनके माता-पिता में से एक भारतीय हैं और अवैध प्रवासी नहीं हैं, उन्हें भारतीय नागरिक माना जाएगा। असम में भारतीय नागरिक के तौर पर पहचान की कटऑफ डेट 1971 रखा गया है, जबकि अन्य राज्यों के लिए ये नियम नहीं है।
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भारतीयों की नागरिकता पर कोई खतरा नहीं
गृह मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, देश में एनआरसी लागू करने पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। गैर भाजपा राज्यों के मुख्य मंत्रियों द्वारा नागरिकता कानून लागू न करने की घोषणा पर उन्होंने कहा, कानून लागू करना केंद्र के नियंत्रण में है, ये देश का संविधान तय करेगा। हालांकि, कानून लागू होने के बाद दस्तावेजों को लेकर जो भी प्रक्रिया रहेगी वो पूरी तौर पर डिजिटली और आसान रहेगी, ताकि भारत के किसी भी नागरिक को परेशानी का सामना न करना पड़े। मंत्रालय में नियमों को सरल और आसान बनाने की प्रक्रिया जारी है। इस संबंध में लोगों से भी सुझाव लिया जा रहा है। कुल मिलाकर ये है कि, इस नियम के तहत भारतीयों की नागरिकता पर खतरा नहीं होगा।
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किसी को भी नहीं दिखानी होगी वंशावली
मंत्रालय के अधिकारी ने ट्वीट करते हुए कहा कि, किसी भारतीय से उसके माता-पिता या दादा-दादी के 1971 से पहले के जन्म प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज या वंशावली दिखाकर नागरिकता साबित करने को नहीं कहा जाएगा। इसके लिए सिर्फ जन्मतिथि या जन्मस्थान से संबंधित दस्तावेज भी दिखाए जा सकते हैं। इसके लिए कई दस्तावेज हो सकते हैं, ताकि कोई भी व्यक्ति अकारण परेशान न हो।
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किसे माना जाएगा NRC के तहत नागरिक
नागरिकता कानून में 2004 में हुए संशोधनों के मुताबिक, जिसका जन्म 26 जनवरी, 1950 या उसके बाद, लेकिन 1 जुलाई, 1987 से पहले हुआ हो। जिसका जन्म भारत में 1 जुलाई 1987 को, उसके बाद या 3 दिसंबर, 2004 से पहले हुआ हो और जन्म के समय माता या पिता भारत के नागरिक हों, वे भारतीय नागरिक हैं। 10 दिसंबर 1992 को या उसके बाद, लेकिन 3 दिसंबर 2004 से पहले भारत के बाहर जन्मे लोग, जिनके माता या पिता जन्म के समय भारत के नागरिक थे, वो भी भारतीय नागरिक हैं। किसी का जन्म भारत में 3 दिसंबर, 2004 को या उसके बाद हुआ हो और माता-पिता दोनों भारतीय नागरिक हैं या उनमें से कोई एक भारत का नागरिक है तथा दूसरा जन्म के समय अवैध प्रवासी नहीं है, ऐसे व्यक्ति भारतीय नागरिक ही माना जाएगा।