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बुनियादी चीजें मजबूत होने के बाद ही लागू होगा
हालात को नियंत्रण में रखने के लिए प्रशासन ने शहर भर में सभी कंपनियों की इंटरनेट सेवाएं बंद करा दी हैं। यहां ये व्यवस्था शुक्रवार दोपहर से लागू की गई है, जिसे शनिवार दोपहर 12 बजे तक प्रभावी रूप से जारी रखा जाएगा। साथ ही, जिले समेत प्रदेश के 40 जिलों में धारा 144 लागू कर दी है। हालांकि, अब देखा ये भी जा रहा है कि, लोगों में NRC और CAA को लेकर अब तक पूर्ण जानकारी नहीं है। देशभर में इसे लेकर विरोध होने और उग्र प्रदर्शन होने के पीछे यही एक बड़ा कारण भी सामने आ रहा है। इसलिए आज हम सबसे पहले यहां जानते हैं कि, आखिरकार राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर और नागरिकता संशोधन अधिनियम क्या है।
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NRC क्या है ?
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन बिल यानी NRC Bill एक रजिस्टर है, जिसके जरिये भारत में रहने वाले सभी वैध नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाएगा। आपको बता दें कि, इसे सबसे पहले 2013 में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में असम राज्य में लागू किया गया था। फिलहाल, ये असम के अलावा अभी किसी भी राज्य में लागू नहीं किया गया है। वहीं, इस बिल में कुछ संशोधन करके केन्द्र सरकार द्वारा इसे एक बार फिर लोकसभा और राज्यसाभा में पैश किया गया। दोनों ही सदनों से पारित होने के बाद इस पर अधिनियम तैयार किये जा रहे हैं। पूरी तौर पर देशहित का नियम बनने के बाद इसे लागू किया जाएगा।
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NRC को लेकर लोगों के मन में चल रहे हैं ऐसे सवाल
एनआरसी को लेकर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहले ही ये स्पष्ट कर चुके हैं कि, एनआरसी को देशभर में लागू किया जाएगा। इसके जरिये भारत के किसी धर्म के नागरिकों से भेदभाव नहीं किया जाएगा। इसका सीधा मकसद सिर्फ और सिर्फ भारत में अवैध रूप से घुसे लोगों की शिनाख्त करके उन्हें देश से बाहर करना है। हालांकि, लोगों के मन में इसे लेकर कई तरह के सवाल भी है, जैसे- नआरसी में शामिल होने के लिए क्या जरूरी है? एनआरसी के लिए किन किन दस्तावेजों की जरूरत होगी? एनआरसी के मापदंडों में शामिल न होने वाले लोगों का क्या होगा? आदि, ऐसे ही अहम सवालों के जवाब हम आपको दे रहे हैं। आइये जानें।
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क्या है CAA?
नागरिकता संशोधन कानून ( CAA – Citizenship Amendment Act) 2019 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाता है। पहले किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य था। इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल किया गया है। यानी इन तीनों देशों के ऊपर उल्लिखित छह धर्मों के बीते एक से छह सालों में भारत आकर बसे लोगों को नागरिकता मिल सकेगी। आसान शब्दों में कहा जाए तो भारत के तीन मुस्लिम बहुसंख्यक पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है। इससे भारत के किसी भी व्यक्ति की नागरिकता पर कोई प्रभानृव नहीं पड़ेगा।
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इस तरह मिली राष्ट्रपति से मंजूरी
नागरिकता विधेयक 2019 गृह मंत्रालय अमित शाह द्वारा 9 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में पेश किया गया और लोकसभा में 311 बनाम 80 वोटों से यह विधेयक पारित हो गया। 11 दिसंबर को इसे राज्यसभा में पेश किया गया जहां बिल के पक्ष में 125 और खिलाफ में 99 वोट पड़े। इस तरह से बिल पास हो गया। बिल को 12 दिसंबर को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून बन गया है जिसका देश में बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है।
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एनआरसी और सीएए में ये हैं मुख्य अंतर
-नागरिकता संशोधन कानून 2019 CAA जहां धर्म आधारित है, वहीं राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर NRC का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।
-CAA के तहत मुस्लिम बहुल आबादी वाले देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर भारत आए हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है।
-CAA में मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है। इसका तर्क ये दिया जा रहा है कि, पड़ोस के तीनों देश मुस्लिम बाहुल है, वहां उनके उत्पीड़न का सवाल नहीं उठता।
-NRC में अवैध अप्रवासियों की पहचान करने की बात कही गई है, चाहे वे किसी भी जाति, धर्म या वर्ग के हों। कानून के तहत, ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर भेजा जाएगा।
-CAA भारतीय मुसलमानों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जबकि इसे लेकर एक गलत धारणा बन गई है कि, इस कानून के तहत भारतीय मुसलमानों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया जाएगा।
-पूर्वोत्तर राज्यों में CAA के विरोध का कारण ये है कि, यहां के लोगों का मानना है कि, देश की नागरिकता मिलने के बाद उन लोगों को भी नागरिकता मिल जाएगी, जो अब तक यहां शरणार्थी थे। इसके परिणास स्वरूप उनकी संस्कृति और भाषाई विशिष्टता पर खतरा बढ़ने के साथ साथ आर्थिक हालात पर भी गहरा असर पड़ेगा।
-इसके अलावा केरल, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में CAA का विरोध इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि कानून में मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया। विरोध करने वाले इसे संविधान विरोधी नियम बता रहे हैं। वहीं, NRC पर मचे देश में घमासान पर लोगों का मानना ये है कि, इस नियम के तहत सरकार जिसको भी चाहेगी देश का नागरिक मानने से इंकार कर देगी।