ज्यादा दूर न जाते हुए अगर पिछले एक साल-सवा साल पर ही गौर करें तो इस अवधि में ऐसे चार मौके आए जब बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र शास्त्री अपनी ओर से दिए विवादित बयान के कारण पहले तो जमकर ट्रोल हुए, फिर बयान पर गहराते विवाद को शांत करने के लिए उन्हें माफी मांगनी पड़ी है। इस बार तूल पकड़ने वाला विवाद मुस्लिम समाज की आस्था से जुड़ा है।
आपको बता दें कि बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री की ओर से हालही में ‘मौला अली’ को लेकर दिए विवादित बयान पर सफाई देते हुए शुक्रवार को एक वीडियो जारी किया। इसमें उन्होंने न सिर्फ अपने कहे का भावार्थ समझाया, बल्कि मुस्लिम समुदाय से माफी भी मांगी। उन्होंने अपे सोशल मीडिया अकाउंट से एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि ‘जैसा मैने उनके बारे में पढ़ा है, हज़रत अली अहिंसा के पुजारी थे और हम सभी देवताओं का सम्मान करते हैं। हमने कभी किसी धर्म के खिलाफ नहीं बोला, जो सनातन धर्म के खिलाफ साजिशें होती हैं, हम सिर्फ उनपर चर्चा करते हैं। हमने सनातनी को जगाने पर चर्चा की। ये जो मौला अली वाली चर्चा है, यह दरबार में कोई जिन्न आया था, उसने अपना नाम अली बताया था, जिसपर हमने कह दिया, मेरे पास बजरंगबली हैं। अब इस मामले को ‘मौला अली’ से जोड़ा जा रहा है जो सरासर गलत है। हमने कभी भी किसी के धर्म की बुराई नहीं की।’
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पंडित शास्त्री ने आगे कहा कि ‘हम किसी धर्म या धर्मगुरु के खिलाफ नहीं हैं। हमारे मन में सबके प्रति सम्मान है। हमने मौला अली के बारे जितना पढ़ा और समझा है, उससे स्पष्ट है कि वो अहिंसा के पुजारी हैं। इस वीडियो को मौला अली से जोड़ा गया जो दुष्प्रचार है। इसके लिए अगर किसी को दुख पहुंचा है तो हमें खेद है।’ उन्होंने कहा, ”हमारी भी भावनाएं दुखी हुईं, इसे इस प्रकार से नहीं जोड़ना चाहिए था। उनके भगवान उनके लिए सर्वोपरि हैं। इसमें कोई संदेह नहीं। अगर इस वजह से किसी को दुख हुआ तो हम क्षमा प्रार्थी हैं। लेकिन मौला अली के लिए हमने ऐसा कुछ भी नहीं कहा, जिससे लोगों के भावनाएं आहत हों, हम सबसे कहेंगे कि वीडियो का दुष्प्रचार
किया जा रहा है।’
इसी तरह कुछ समय पहले छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम के महंत पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की ओर से हैहयवंशी समाज के आराध्य देव राजराजेश्वर सहस्त्र बाहू महाराज पर आपत्तिजनक बयान देकर भी विवादों में आ चुके हैं। उस दौरान उन्होंने अपने बयान में कहा था कि सहस्त्रबाहु जिस वंश से था, उस वंश का नाम हैहय वंश था। हैहय वंश के विनाश के लिए ही भगवान परशुराम ने अपने हाथ में फरसा उठाया था। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बयान को लेकर दलित समाज ने देशभरमें जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इसपर पंडित शास्त्री को माफी मांगकर मामला शांत करना पड़ा था।
उस मामले में सफाई देने के लिए पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सोशल मीडिया पर अपनी ओर से जारी माफीनामें में लिखा था कि ‘विगत कुछ दिनों से एक विषय संज्ञान में आया है। एक चर्चा के दौरान मेरे द्वारा भगवान परशुराम जी और महाराज सहस्त्रबाहु अर्जुन जी के बीच हुए युद्ध के विषय में जो भी कहा गया है, वो हमारे पवित्र हिन्दू शास्त्रों में वर्णित आधार पर ही कहा है।’ उन्होंने आगे लिखा कि ‘हमारा उद्देश्य किसी समाज और वर्ग की भावनाओं को आहत करना नहीं था न ही होगा। क्योंकि हम तो सनातन के पक्षधर रहे हैं। फिर भी अगर हमारे किसी शब्द से किसी की भावनाएं आहत हुईं तो हमें खेद है। हम सब हिंदू एक हैं एक रहेंगे। हमारी एकता ही हमारी शक्ति
है।’
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इससे पहले महाराष्ट्र के पूज्य संत तुकाराम के बारे में भी अनर्गल टिप्पणी करने के बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री विवादों में आ गए थे। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में धीरेंद्र शास्त्री ये कहते सुनाई दिये थे कि संत तुकाराम की पत्नी उन्हें रोज डंडे से मारती थी। उनके इस बयान ने महाराष्ट्र में माहौल गरमा गया था। कुनबी समाज के लोग धीरेंद्र शास्त्री के बयान से बेहद नाराज हुए। समुदाय के लोगों ने पुणे में प्रदर्शन भी किया और धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर केस दर्ज करने की मांग की। हालांकि, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बाद में माफी मांगकर मामला ठंडा कर दिया।
महाराष्ट्र के पूज्य संत तुकाराम पर टिप्पणी के बाद बढ़े विवाद के चलते अपनी ओर से सफाई देते हुए पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था कि, ‘संत तुकाराम को लेकर उन्होंने अपनी कथा में जो बयान दिया था, उसे उन्होंने कहीं पढ़ा था। उन्हें जानकारी मिली थी कि, संत तुकाराम की पत्नी बहुत ईर्ष्यालु, झगड़ालू और उन्हें पीटने वाली थीं।’
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यही नहीं बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने एक बार साईं बाबा पर भी अमर्यादित टिप्पणी की थी, जिसके बाद विवाद इतना बढ़ा कि उन्हें माफ़ी मांगनी पड़ी थी। उन्होंने कहा था कि साईं बाबा संत हो सकते हैं, फकीर हो सकते हैं, लेकिन भगवान नहीं हो सकते। धीरेंद्र शास्त्री के इसी बयान पर हंगामा मच गया था। साईं के भक्तों में जमकर आक्रोश देखा गया। इसके बाद उन्होंने अपने बयान को लेकर माफ़ी मांगी।
इस मामले में विवाद बढ़ा तो बागेश्वर सरकार के आधिकारिक ट्विटर (अब X) हैंडल से लिखा गया कि, ‘मेरा हमेशा संतों के प्रति महापुरुषों के प्रति सम्मान है और रहेगा। मैंने कोई एक कहावत बोली जो हम अपने संदर्भ में बोल रहे थे कि अगर हम छतरी पीछे लगाकर कहें कि हम शंकराचार्य हैं तो ये कैसे हो सकता है, हमारे शंकराचार्य ने जो कहा वो हमने दोहराया कि साईं बाबा संत फ़क़ीर हो सकते हैं और उन मे लोगों की निजी आस्था है। अगर कोई व्यक्ति किसी संत गुरु को निजी आस्था से भगवान मानता है वो उसकी निजी आस्था है।’
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बागेश्वर पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री का एक बार भाजपा नेता स्वामी प्रसाद लोधी के साथ भी जमकर वाद-विवाद हुआ था। कई दिनों तक चली बयान बाजी के बाद आखिरकार बीजेपी के आला नेताओं के समझाने पर स्वामी प्रसाद लोधी मान गए और उन्होंने पंडित धीरेंद्र शास्त्री से सुलाह कर ली। हालांकि इस बार माफ़ी स्वामी प्रसाद लोधी ने मांगी थी।