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RTI में फीस के लिए मान्य है नान ज्युडीशियल स्टाम्प, नहीं मानने पर होगी कार्रवाई

नान ज्युडीशियल स्टाम्प से शुल्क अस्वीकार करने वाले अधिकारी पर होगी कार्रवाई, राज्य सूचना आयोग ने ईई पर 10 हजार का जुर्माना

भोपालAug 10, 2022 / 08:54 pm

Hitendra Sharma

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भोपाल. आरटीआइ आवेदन शुल्क नान ज्युडीशियल स्टांप में लेने से मना करने वाले मप्र गृह निर्माण मंडल सतना संभाग के कार्यपालन यंत्री केएल अहिरवार पर राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने 10 हजार का जुर्माना लगाया है।

यह राशि उन्हें 30 दिन में जमा करनी होगी। आरटीआइ एटिविस्ट राजीव खरे ने शिकायत दर्ज कराई थी कि कार्यपालन यंत्री ने उनके आरटीआइ आवेदन को सिर्फ इसलिए खारिज कर दिया था कि तय शुल्क 10 रुपए नान ज्युडीशियल स्टांप के जरिए दी थी। अहिरवार ने जानकारी भी नहीं दी और कह दिया कि आरटीआइ की फ़ीस सिर्फ नगद ही स्वीकार होगी। जबकि, राज्य सूचना आयुक्त ने आदेश में स्पष्ट किया है कि आरटीआइ शुल्क कोई भी आवेदक पोस्टल ऑर्डर, डिमांड ड्राफ्ट, नॉन ज्युडीशियल स्टांप या ऑनलाइन चालान के माध्यम से जमा कर सकता है।

विभागीय सर्कुलर का बहाना
बताया गया कि इस प्रकरण में जब एक बार आरटीआइ आवेदक 10 रुपए खर्च कर नॉन ज्युडीशियल स्टांप से फीस जमा कर चुका है तो उसके खर्च को नजरअंदाज कर नकद फ़ीस मांगना गैरवाजिब है। कोई भी नागरिक अपनी सहूलियत से फ़ीस जमा करने के लिए स्वतंत्र है।

कार्यपालन यंत्री अहिरवार ने बचाव करते हुए कहा कि 2008 में विभागीय स्तर से सर्कुलर जारी हुआ था, जिसमें आरटीआइ शुल्क नकद ही जमा करने के आदेश थे। जबकि, मप्र शासन ने 2010 में एक अन्य सर्कुलर जारी किया था। उसमें यह स्पष्ट है कि आरटीआइ शुल्क किसी माध्यम से ली जा सकती है। आवेदक ने मप्र गृह निर्माण मंडल से सतना में कुल भवनों की संख्या, निर्माण के स्थान व रिक्त भवनों की जानकारी मांगी थी।

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