पौने दो घंटे के इस नाटक का निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी केजी त्रिवेदी ने किया। नाटक का यह चौथा शो था, इससे पहले मई और जुलाई 2018 में भी इस नाटक का मंचन शहीद भवन में हो चुका है। नाटक के दौरान ‘गरीबों का जीना मुश्किल, मरना और भी मुश्किल होता है, देश के प्रधान से लेकर मसान का डोम तक कमीशन लेता है…’ जैसे डायलॉग पर दर्शकों जमकर तालियां बजाईं।
नाटक में दिखी सनीचरी के संघर्ष की कहानी नाटक का केन्द्रीय चरित्र सनीचरी है जिसे शनिवार के दिन पैदा होने के कारण यह नाम मिला है। समाज उसे असगुनी मानता है। उसके परिवार में एक-एक कर सब काल की भेंट चढ़ गए लेकिन सनीचरी की आंखें कभी नम नहीं हुईं।
वो अपने बेटे के मरने पर भी नहीं रोई। सनीचरी जीवन भर संघर्षों करती और लड़ती है बाद में उसे रोटी के लिए रुदाली का काम करना पड़ता है। प्ले में एक्ट्रेस पूजा मालवीय ने सनीचरी के किरदार को पूरे नाटक के दौरान जिया। एक्टिंग के दम पर पूजा ने दर्शकों की आंखे नम कर दीं। वहीं सनीचरी की पड़ोसन लक्ष्मी के रोल को प्रज्ञा चतुर्वेदी ने पूरे नाटक के दौरान बखूबी निभाया।
इस रोल के लिए पूजा नहीं थी फस्र्ट च्वाइस पूजा ने बताया कि पहले सनीचरी कैरेक्टर रश्मि आचार्य करने वाली थीं लेकिन उन्हें कुछ वोकल प्रॉब्लम हो गई थी, उन्होंने यह रोल नहीं किया। फिर यह रोल प्रज्ञा चतुर्वेदी को ऑफर हुआ, उन्होंने रीडिंग भी शुरू कर दी थी। मैं तो इस प्ले में एक चाय वाली का किरदार निभाने वाली थी। इस बीच रश्मि जी ने चच्चा (डायरेक्टर) को कहा कि पूजा को ट्राई कीजिए, इसके बाद उन्होंने मुझे यह रोल करने को कहा।
कौन होती हैं रुदाली ऐसी मान्यता रही है कि पहले के जमाने में पश्चिमी राजस्थान के कुछ इलाकों में उच्च श्रेणी के पुरुष के निधन पर एक विशेष वर्ग की महिलाओं को रोने के लिए बुलाया जाता था। रोने के बदले उन्हें अनाज और कुछ रुपए दिए जाते थे। रुदाली पर कल्पना लाजमी वर्ष 1993 में एक फिल्म भी बना चुकी हैं। फिल्म में डिंपल कपाडिय़ा, राखी, राज बब्बर मुख्य भूमिका में थे।