भोपाल। भारत में 4जी सेवा के लॉन्च होने के बाद ई-पेमेंट की मांग और उपयोग बढ़ गया है। रिलायंस जियो तो फिलहाल किसी भी तरह का ई-पेमेंट अभी फ्री दे रहा है। इसके अलावा भारत में कई तरह के ई-पेमेंट एप भी मार्केट में सर्विस दे रहे हैं, पर ये एप इंटरनेट पर आधारित हैं और नेट के बिना इन्हें उपयोग नहीं किया जा सकता। आप मायूस न हों, क्योंकि अब एक ऐसी तकनीक विकसित कर ली गई है, जिसमें बिना इंटरनेट के आप इन ई-पेमेंट एप का उपयोग कर सकेंगे। भोपाल निवासी सॉफ्टवेयर इंजीनियर और ओम टेलीकॉम के चीफ राहुल बत्रा ने हमें इस नई तकनीक की खासियत और इसके उपयोग की जानकारी दी। आइए जानते हैं इसके बारे में….
साउंड वेब टेक्नोलॉजी का कमाल
बत्रा ने बताया कि इस नई तकनीक को साउंड वेब नाम दिया गया है। ये ध्वनि तरंगों पर काम करेगी। इस टेक्नोलॉजी की मदद से दो या अधिक डिवाइसेज के बीच बगैर इंटरनेट या एनएफसी जैसे कम्युनिकेशन टूल्स के फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन संभव हो रहे हैं। बत्रा के मुताबिक इस तकनीक को बेंगलुरु की कंपनियों- टोन टैग और अल्ट्राकैश विकसित किया है।
ऐसे काम करती है ये टेक्नोलॉजी
– साउंड वेव में डाटा इनकोड करने के लिए एक अल्गोरिथम का उपयोग किया जाता है, जिसे ऑफलाइन पेमेंट्स के लिए ट्रांसमिट किया जाता है।
– इसे दोनों छोरों यानी खरीदार के मोबाइल के साथ ही विक्रेता के फोन या कार्ड रीडर्स से जुड़ा होना चाहिए।
– इस प्रक्रिया में किसी और हार्डवेयर की जरूरत नहीं होती। विक्रेता के डिवाइस से जैसे ही एनक्रिप्टेड पेमेंट डाटा युक्त साउंड निकलती है, वैसे ही ट्रांजैक्शन शुरू हो जाता है।
– असल में साउंड एनालॉग सिग्नल होती है, जो चलती रहती है। जैसे ही विक्रेता अपने डिवाइस में बिल अमाउंट डालता है, वह नंबर एनालॉग फॉर्मेट में बदल जाता है।
– साउंड आधारित इस टेक्नोलॉजी का लाभ लेना आसान भी है। इसके लिए साउंड बेस्ट पेमेंट्स टेक्नोलॉजी युक्त एक मोबाइल एप डाउनलोड करना पड़ता है।
– किसी दुकान पर इस टेक्नोलॉजी के जरिए पेमेंट करने के लिए आपको अपने मोबाइल को उस दुकान के संबंधित डिवाइस के पास रखना भर होता है।
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