इसी के साथ गर्भ में पल रहे बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी माता—पिता प्राय: चिंतित रहते हैं. गर्भ में पल रहे रहे शिशुओं की जांच के लिए जब—तब डाक्टर्स के पास जाना भी गर्भकाल में संभव नहीं होता है. ऐसे में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स में अब नवजात शिशु एवं गर्भ में पल रहे बच्चों की जांच के लिए एक नई और अत्याधुनिक सुविधा शुरु की गई है.
इससे न केवल भोपाल बल्कि आसपास के कई जिलों के लोगों को लाभ मिल सकेगा. यहां शुरु की गई सुविधा से नवजात शिशु एवं गर्भ में पल रहे बच्चों की जांच आसान हो जाएगी. एम्स में पीडियाट्रिक विभाग के अंतर्गत हीमोग्लोबिन लैब स्थापित की गई है. इस लैब में नवजात शिशु एवं गर्भ में पल रहे बच्चों में खून से जुड़ी कई बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा।
पीडियाट्रिक विभाग के अंतर्गत बनी हीमोग्लोबिन लैब का लोकार्पण निदेशक डॉ. सरमन सिंह ने किया। इस लैब की स्थापना एनएचएम मप्र की ब्लड सेल के सहयोग से की गई है। एम्स से मिली जानकारी के अनुसार इस अत्याधुनिक लैब में थैलीसीमिया, हीमोग्लोबिनोपैथी से जुड़ी जांचें की जाएंगी ताकि नवजात और गर्भस्थ शिशु को गंभीर बीमारियों से बचाया जा सके।
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लैब में सभी जांचें विशेषज्ञों की देखरेख में ही की जाएंगी. यहां के टैक्नीशियन 2 से 3 दिन के बच्चे का ब्लड सैंपल लेकर उसकी विस्तार से जांच करेंगे। निदेशक डॉ. सरमन सिंह का कहना है कि इस नई प्रयोगशाला से न सिर्फ भोपाल बल्कि मध्य भारत के लोगों को फायदा होगा। इतना ही नहीं, हीमोग्लोबिन लैब के चालू होने से
पीडियाट्रिक का काम भी कुछ आसान हो जाएगा.