आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग यानि एबी रोड स्थित गणपति घाट Ganpati Ghat, सड़क दुर्घटनाओं के लिए कुख्यात है। यह प्रदेश का सबसे बड़ा ब्लैक स्पाट है। यही कारण है कि गणपति घाट के वैकल्पिक रास्ते की तलाश की जा रही थी। वैकल्पिक मार्ग बन चुका है और यहां से यातायात जल्द शुरू होने की संभावना है।
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एबी रोड के राऊ खलघाट सेक्शन के गणपति घाट में सड़क हादसे रोकने के लिए वैकल्पिक रास्ता बनकर तैयार हो गया है। इंदौर से महाराष्ट्र जाने वाले भारी वाहनों को इस रास्ते से गुजारा जाएगा। वैकल्पिक रास्ते से आवागमन 2-3 दिनों में शुरु हो सकता है। शनिवार को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के भोपाल से अधिकारियों ने इसका जायजा लिया। इसके बाद नया रास्ता शुरू करने की हरी झंडी दे दी गई।
एबी रोड के राऊ खलघाट सेक्शन के गणपति घाट में सड़क हादसे रोकने के लिए वैकल्पिक रास्ता बनकर तैयार हो गया है। इंदौर से महाराष्ट्र जाने वाले भारी वाहनों को इस रास्ते से गुजारा जाएगा। वैकल्पिक रास्ते से आवागमन 2-3 दिनों में शुरु हो सकता है। शनिवार को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के भोपाल से अधिकारियों ने इसका जायजा लिया। इसके बाद नया रास्ता शुरू करने की हरी झंडी दे दी गई।
बता दें कि गणपति घाट पर ज्यादा ढलान होने से लगातार हादसे होते हैं। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए 1 साल से भी कम समय में करीब 9 किमी की नई वैकल्पिक रोड बनाई गई है। यह 3 लेन चौड़ी सड़क 106 करोड़ रुपए में बनाई गई। यह रोड दो राज्यों- एमपी और महाराष्ट्र के बीच आनेजाने की सहूलियत बढ़ा देगी।
अधिकारियों के अनुसार इंदौर से महाराष्ट्र की जाने वाले भारी वाहनों को 3 लेन रोड से गुजारा जाएगा। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारी सुमेश बांझल ने बताया कि तकनीकी टीम ने रोड का लगातार जायजा लिया। दिन-रात, ठंड-गर्मी -बरसात, कोहरा आदि की स्थिति में यातायात की जांच पड़ताल की गई। सभी बिंदुओं पर विमर्श विमर्श के बाद 3 लेन रोड पर आवागमन की मंजूरी दे दी गई है।
गणपति घाट की मौजूदा सड़क से 3 किमी दूर 8.8 किमी की नई 3 लेन सड़क बनाई गई है। इस सड़क पर एक भी ब्लैक स्पॉट नहीं है। इसके चालू हो जाने के बाद गणति घाट पर आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं पर लगाम लग सकेगी। एनएचएआइ ने 4 किमी की खतरनाक ढलान वाली सड़क को बंद कर नई सड़क बनाई है।
ढलान और अंधे मोड़ होने से गणपति घाट पर हर माह औसतन 10 दुर्घटनाएं होती हैं। इनमें सैंकड़ों लोगों की जानें भी जा चुकी हैं। एनएचएआइ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुमेश बांझल के मुताबिक दुर्घटनाएं रोकने के लिए पेवर ब्लॉक भी लगाए लेकिन खास परिणाम नहीं आए। स्थायी समाधान के लिए नई सड़क बनाई गई है।