जमीन खोदी तो मिली देवी मां की मूरत
मंदिर की स्थापना को लेकर यह भी मान्यता है कि स्थानीय निवासी हर लाल मेडा को इस मंदिर को लेकर एक सपना आया था। सपनों में उन्होंने जो देखा उसके मुताबिक उक्त जमीन पर खुदाई करवाई गई, तो उन्हें देवी मां की मूर्ति मिली। उन्होंने वह मूर्ति यहां स्थापित करवा दी। तब से ही यह मंदिर अस्तित्व में है।
कला का अद्भुत नमूना
बता दें कि मंदिर परिसर के अंदरूनी हिस्से में 10 हजार वर्गफीट का एक हॉल है। इस हॉल में एक भी पिलर नहीं है। यह अपने आप में ही कला का एक अद्भुत नमुना है।
मां की दिखे सीधी गरदन, तो मिले वरदान
अपने आकर्षण और चमत्कारों के यह मंदिर कारण देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में प्रसिद्ध है। मंदिर की खास बात तो यह है की यहां विराजमान देवी मां की मूर्ति की गर्दन तिरछी है और वो अचानक सीधी हो जाती है। यह चमत्कार देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त इस स्थान पर पहुंचते हैं। माना जाता है कि जो भक्त नवरात्र के दौरान माता की गर्दन को सीधा होते हुए देख लेता है उसके साभी बिगड़े काम बन जाते हैं।
20 हाथों वाली काली मां का रूप
रायसेन में स्थित यह मंदिर कंकाली मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है और मंदिर में मां काली की मूर्ति स्थापित है। यह मां काली का प्रचीन मंदिर है, यहां मां काली की 20 भुजाओं वाली मूर्ति के साथ भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की प्रतिमाएं विराजमान हैं। वैसे तो यहां सालभर ही भक्तों की भीड़ लगती है, लेकिन नवरात्र में मंदिर में भक्तों का तांता लग जाता है।
ऐसे होती है मन्नत पूरी
मान्यता है कि जिन महिलाओं की गोद सूनी होती है, वह श्रद्धाभाव से यहां गोबर से उल्टे हाथ लगाती हैं और उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है। मनोकामना पूरी होने पर हाथों के सीधे निशान बना दिए जाते हैं। यहां हाथों के हजारों निशान बने हुए हैं।
कार या बाइक से आराम से जा सकते हैं वहां
कंकाली देवी मंदिर तक आप कार या बाइक से आराम से आ सकते हैं। मंदिर तक आने के लिए पक्की सड़क है। यहां पर पार्किंग के लिए भी अच्छी जगह है, जहां पर आप अपनी गाड़ी खड़ी कर सकते हैं।