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भोपाल

बाल रंग में बिखरे देश की लोक संस्कृति के रंग

मानव संग्रहालय में राष्ट्रीय बाल रंग का आयोजन
 

भोपालDec 21, 2019 / 08:58 am

hitesh sharma

बाल रंग में बिखरे देश की लोक संस्कृति के रंग

बाल रंग में बिखरे देश की लोक संस्कृति के रंग

भोपाल। मानव संग्रहालय में राष्ट्रीय बाल रंग में 17 स्टेट्स की अलग-अलग संस्कृति और लोक गीतों की झलक देखने को मिली। कार्यक्रम का शुभारंभ राज्यपाल लाल जी टंडन ने किया। उन्होंने कहा कि हमारे देश का दुनिया में विशेष स्थान है। हमारी विशिष्टता भिन्नता में एकता है। हर क्षेत्र की अलग-अलग संस्कृति, वेश-भूषा, भाषा और परम्पराएं है। सांस्कृतिक आयोजनों में जब सभी एकत्रित होते हैं तो अद्भुत एकता दिखाई देती है।

समारोह में हिमाचल प्रदेश की टीम ने नागरी डांस पेश किया। नृत्य के माध्यम से बताया गया कि गांव की महिलाएं शहर में मेले में जाकर किस तरह अपनी खुशी का इजहार करती है। टीम ने पिपला रे हैट मेरी अम्मा खड़ी री गाने पर प्रस्तुती दी। आंध्र प्रदेश की टीम ने कोया नृत्य पेश किया। कोया गुढ़म के जंगल में रहने वाले कोया जनजाति जंगल के देवता अडवी तुल्ली की आराधना करते हुए उनके समक्ष ये नृत्य करते हैं। जनवरी में ये उत्सव किया जाता है। इसके बाद दिल्ली ने धौलचमम नृत्य प्रस्तुत किया। मणिपुर का यह लोक नृत्य होली के समय की जाती है। इसमें नृत्य को ढोल, ढोलक और ताल पर कृष्ण लीलाओं का वर्णन किया जाता है।

 

बाल रंग में बिखरे देश की लोक संस्कृति के रंग
सिक्किम ने दिखाया नेपाल का ट्रेडिशन

सिक्किम की टीम ने मारुनी नृत्य के माध्यम से नेपाल की लोक परंपराओं का वर्णन किया। इसे उत्सव व त्योहार पर किया जाता है। इस नृत्य में गाने के बोल जिंदगी हो जिनको, आगो को जिनको… है। इस नृत्य के माध्यम से ये बताया जाता है कि जिंदगी छोटी सी है, इसलिए सभीके साथ हंसी खुशी से बिताएं। इसी क्रम में बिहार की टीम ने कर्मा नृत्य में खलिहान गीत मढया के तीर गौरी आ जा वे… पेश किया। भाई अपनी बहन के लिए यह नृत्य करता है।
पंजाब का भागड़ा, गुजरात ने किया गरबा

इसके बाद हरियाणा की टीम ने धमाल नृत्य पेशकर दर्शकों का दिल जीता। इसमें हरियाणा की खान-पान, पहनावा के साथ खेत-खलियान के बारे में बताया जाता है। कलाकारों ने पीली-पीली सरसों, नु लागे जाणु नई बहू शरमाई… पर नृत्य प्रस्तुत किया। चंडीगढ़ की टीम ने पंजाबी भांगडा में चालनी प्रेमिये, बैसाखी चलिए, कणक मुख दीए राखि बलिए… पर नृत्य किया, जो बैसाखी के समय खुशी इजहार करने के लिए किया जाता है। गुजरात की टीम ने गरबा के जरिए गौर अंधारी रे रातालड़ी मा निकलया चार असवार पर नृत्य किया। तेलंगाना की टीम ने डिमसा नृत्य पर प्रस्तुति दी। यह नृत्य पूजा और शादी के साथ फसल कटाई के समय किया जाता है और शादी के समय रात भर गाया जाता है। यह गाना कोया जनजाति द्वारा वन देवता को भी समर्पित है।
बाल रंग में बिखरे देश की लोक संस्कृति के रंग

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