मप्र शासन की मंजूरी व मदद की दरकार
अब व्यक्तिगत नल कनेक्शन भी दिए जाएंगे। जिन लोगों ने भवन अनुज्ञा से विपरीत निर्माण किए हैं, उन्हें सुविधा दी गई है कि वे अब अपने 45 फीसदी अतिरिक्त निर्माण को निगम से समझौता कर बचा सकते हैं। पहले ये 10 फीसदी था। हालांकि शहरवासियों के लिए इन सुविधाओं का लाभ इतना आसान नहीं है। कॉलोनी हस्तांतरण में विकास शुल्क के नाम पर निगम पहले की तरह तगड़ा विकास शुल्क वसूलेगा, जबकि नल कनेक्शन व अतिरिक्त निर्माण पर समझौते में मप्र शासन की मंजूरी व मदद की दरकार है।
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अपर आयुक्त को मूल विभाग भेजने की अनुशंसा
अपर आयुक्त स्वास्थ्य राजेश राठौर को मूल विभाग भेजने की अनुशंसा शासन से की गई है। दरअसल, बैठक में पार्षद रईसा मलिक का जवाब देने एमआईसी की ओर से स्वास्थ्य विभाग प्रभारी मनोज चौबे ने कहा कि उन्हें अफसर जानकारी नहीं देते, जवाब क्या दूं? हंगामा हुआ। उधर, इस प्रस्ताव पर प्रतिनियुक्ति पर आए अफसरों ने निगमायुक्त से मांग की है कि हमें भी मूल विभाग भेजा जाए या फिर अवकाश पर जाने की अनुमति दें।
सुविधाएं जिनका लाभ मिलने में दिक्कत
कॉलोनी हैंडओवर:
कॉलोनी हस्तांतरण का प्रस्ताव पास किया, लेकिन उन्हीं कॉलोनियों को निगम लेगा जो मानकों के अनुसार होंगी। इस दायरे में पांच फीसदी कॉलोनी भी नहीं आती। ऐसे में लाभ बहुत कम लोगों को मिल पाएगा।
व्यक्तिगत नल कनेक्शन:
कवर्ड कॉलोनियों में बल्क की जगह व्यक्तिगत नल कनेक्शन का प्रस्ताव पास हुआ है। इसे निगम ने 600 करोड़ की मदद के लिए शासन को भेजा है। शासन ने मदद नहीं की तो ये केवल झुनझुना ही है।
अतिरिक्त निर्माण पर समझौता:
भवन अनुज्ञा में तय दायरे से अतिरिक्त निर्माण में कंपाउंडिंग 10 फीसदी को 45 फीसदी किया है। अब 45 फीसदी अतिरिक्त निर्माण को समझौता राशि जमा कर वैध कराया जा सकता है। प्रस्ताव को शासन से मंजूरी जरूरी है। शासन को पुरानी कंपाउंडिंग नीति बदलनी होगी। ऐसे में सुविधा जल्द मिलना मुश्किल है।
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निगम के प्रतीक चिह्न में अब राजा भोज
नगर निगम के प्रतीक चिह्न में मछली व इमारत की जगह पर राजाभोज खड़े नजर आएंगे। इसके लिए निगम में प्रस्ताव पास हुआ। हालांकि नेता प्रतिपक्ष मोहम्मद सगीर और अन्य कांग्रेसी पार्षदों ने इस पर आपत्ति जताई। सगीर ने तो यहां तक कहा कि राजाभोज लुटेरे थे, उनका फोटो नहीं आना चाहिए।
बजट में यह भी
कोलार क्षेत्र के 25 दिवसीय नगर निगम कर्मचारियों को स्थाई करने का प्रस्ताव वार्ड 80 के पार्षद रवीन्द्र यति ने निगम बजट सत्र में रखा। इसे मान्य करते हुए प्रस्ताव शासन को भेजने का निर्णय हुआ। पार्षदों के लिए वार्ड विकास करने नियोजन निधि 25 लाख से बढ़ाकर 35 लाख रुपए की विधानसभावार विकास के लिए तीन करोड़ रुपए राशि दी। ये महापौर की अनुशंसा पर खर्च होगी।