विदेशी बाजार में इनकी कीमत करोड़ों होने के कारण ये तस्करों के निशाने पर हैं। सर्प विशेषज्ञों की मानें तो हर साल शहर में करीब ढाई हजार सांप निकलते हैं। नगर निगम से रजिस्टर्ड कर्मचारी इन्हें पकडकऱ वन विहार में छोड़ देते हैं। यहां के ट्रांजिट सेंटर में घायल सांपों को रखा जाता है। कई बार यहां ब्रीडिंग भी हो चुकी है।
ये भी पढ़ें: Rain Update: मानसून ट्रफ लाइन प्रेशर बढ़ा, 9-10-11 अगस्त को भारी बारिश की चेतावनी नागपंचमी पर वन विभाग सतर्क
नाग को पकडऩे या अवैध रूप से इन्हें बंद करने के मामले में वन विभाग कार्रवाई करेगा। डीएफओ आलोक पाठक ने बताया कि इसके लिए शहर में छह टीमें बनाई गई हैं। कहीं से भी अगर सूचना मिलती है तो ये मौके पर पहुंचेगी। सांप का रेस्क्यू कर वन विहार में छोड़ा जाएगा।
अभी ब्रीडिंग सीजन, मिल रहे सपोले
सर्प विशेषज्ञ मोहम्मद सलीम ने बताया कि इन दिनों हर रोज औसतन आठ से दिन मामले सांप पकडऩे के आते हैं। बीते दो महीनों में सांपों के साथ सपोले यानि सांप के बच्चे भी मिल रहे हैं। जून तक ब्रीडिंग सीजन होता है। नगर निगम के चार कर्मचारियों सहित 20 लोग सांप पकडऩे का काम करते हैं
तीन साल में एक बार कार्रवाई
सांप को संरक्षित जीव में शामिल किया गया है। नागपंचमी पर कई स्थानों पर सपेरे नाग लेकर सक्रिय हो जाते हैं। सांपों का रेस्क्यू और कार्रवाई के लिए हर साल कार्रवाई होती है। लेकिन कोरोना के चलते 2020 से अब तक केवल एक बार ही टीमें बनीं। पिछले साल 21 सांपों का रेस्क्यू हुआ था। इसमें एक दुर्लभ प्रजाति सेंडबोआ भी शामिल था।