भाजपा का आरोप- कांग्रेस राजनीतिक लाभ के लिए शहर को बांट रही: राजधानी में दो नगर निगम बनाने के प्रस्ताव का विरोध शुरू हो गया है। विरोध दर्ज कराने पूर्व मंत्री व ऑल इंडिया मेयर एसोसिएशन के महामंत्री उमाशंकर गुप्ता, महापौर व प्रदेश के एमपी मेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष आलोक शर्मा शुक्रवार को राज्यपाल से मिलेंगेे। महापौर आलोक शर्मा का कहना है कि कांग्रेस सरकार राजनीतिक लाभ के लिए शहर को दो भागों में बांट रही है, लेकिन ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। भोपाल का विकास एक ही निगम में रहने पर है। पार्षदों से महापौर का चयन कराने के निर्णय को उलटने की मांग भी राज्यपाल से करेंगे।
इस तरह प्रस्तावित हैं दो नगर निगम
न्यू भोपाल या पूर्व नगर निगम
हुजूर विस का कोलार क्षेत्र, गोविंदपुरा विस और नरेला क्षेत्र का कुछ हिस्सा इसमें प्रस्तावित है। मुख्यत: कोलार रोड व होशंगाबाद रोड की कॉलोनियां, गोविंदपुरा क्षेत्र और नरेला का रचना नगर, गौतम नगर, कस्तूरबा नगर, अयोध्या नगर, करोंद आदि आएंगे। इसमें प्रस्तावित 31 वार्ड में सात लाख 10 हजार 449 आबादी है। ऐसा हुआ तो कोलार अलग निगम में शामिल होगा तो चूनाभट्टी अलग निगम में।
ओल्ड भोपाल या पश्चिम नगर निगम
इसमें हुजूर, उत्तर, दक्षिण-पश्चिम, मध्य और नरेला विधानसभा का बचा हुआ हिस्सा शामिल किया गया है। इसमें 54 वार्ड प्रस्तावित हैं। इसकी आबादी 1213430 बताई जा रही है। इस प्रकार न्यू मार्केट, चार इमली इलाके पुराने शहर के नगर निगम में आ जाएंगे। इस प्रस्ताव के अनुसार टीटी नगर स्मार्ट सिटी, न्यू मार्केट, एमपी नगर जैसे पॉश क्षेत्र भी पुराने शहर वाले नगर निगम में पहुंच जाएंगे।
न्यू भोपाल या पूर्व नगर निगम
हुजूर विस का कोलार क्षेत्र, गोविंदपुरा विस और नरेला क्षेत्र का कुछ हिस्सा इसमें प्रस्तावित है। मुख्यत: कोलार रोड व होशंगाबाद रोड की कॉलोनियां, गोविंदपुरा क्षेत्र और नरेला का रचना नगर, गौतम नगर, कस्तूरबा नगर, अयोध्या नगर, करोंद आदि आएंगे। इसमें प्रस्तावित 31 वार्ड में सात लाख 10 हजार 449 आबादी है। ऐसा हुआ तो कोलार अलग निगम में शामिल होगा तो चूनाभट्टी अलग निगम में।
ओल्ड भोपाल या पश्चिम नगर निगम
इसमें हुजूर, उत्तर, दक्षिण-पश्चिम, मध्य और नरेला विधानसभा का बचा हुआ हिस्सा शामिल किया गया है। इसमें 54 वार्ड प्रस्तावित हैं। इसकी आबादी 1213430 बताई जा रही है। इस प्रकार न्यू मार्केट, चार इमली इलाके पुराने शहर के नगर निगम में आ जाएंगे। इस प्रस्ताव के अनुसार टीटी नगर स्मार्ट सिटी, न्यू मार्केट, एमपी नगर जैसे पॉश क्षेत्र भी पुराने शहर वाले नगर निगम में पहुंच जाएंगे।
प्रस्ताव देने वाले का दावा है- हालात सुधरेंगे
जिला कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश मिश्रा का कहना है कि उन्होंने मंत्री को दो नगर निगम बनाने का प्रस्ताव दिया है। उनके अनुसार अभी प्रति वार्ड 30 हजार की आबादी है। नए निगम में नए वार्ड बनने से प्रति वार्ड 15 हजार से 17 हजार आबादी होगी। इससे वार्ड प्रबंधन में लाभ मिलेगा। पार्षद नागरिकों से ज्यादा संपर्क रहेंगे। विकास कार्य तेजी से हो सकेंगे। हर छोटी चीज जिम्मेदारों की नजर में रहेगी।
तकनीकी पहलू जिनके कारण होगी समस्या
-नगर निगम भोपाल में कोलार नगर पालिका का विलय 6 सितंबर 2014 को हुआ था। 27 फरवरी 2019 को फिर से कोलार नगर पालिका बनाने का नोटिफिकेशन जारी किया गया। इस पर दावे आपत्तियां मंगाई गई और फिर सुनवाई हुई। नपा बनाने के विरोध में सबसे ज्यादा आपत्तियां आई थीं। कोलार नपा बनाने के प्रस्ताव में संशोधन की सीमा 14 अगस्त 2019 तय थी, वह भी गुजर गई। इसलिए यह प्रस्ताव खत्म हो गया।
-कोलार नगर पालिका को निगम सीमा में शामिल करने की अधिसूचना में मौजूदा 80 से 85 तक 6 वार्ड शामिल किए गए थे। इनकी आबादी 87882 बताई गई थी। इसमें आठ गांवों को भी शामिल किया गया जिनकी आबादी 37779 थी। इस क्षेत्र की कुल आबादी 1 लाख 25 हजार 661 हुई। यह आबादी नया नगर निगम बनाने के लिए नाकाफी है। इसके लिए कम से कम 3 लाख की आबादी अनिवार्य है। इसलिए प्रस्ताव में 31 वार्ड प्रस्तावित कर दिए गए।
– वर्तमान में शहर की लैंडफिल साइट आदमपुर छावनी में है। यह नया भोपाल नगर निगम में आ जाएगा। पुराने भोपाल नगर निगम के लिए अलग लैंडफिल साइट बनाना बड़ी समस्या होगी।
-तहसील कोलार का कुछ क्षेत्र पुराने भोपाल में चला जाएगा। इससे तहसीलों का भी नए सिरे से पुनर्गठन करना होगा।
-पानी के जल स्रोतों के भी दोनों नगर निगमों में बंटवारे में परेशानी आना तय है।
– प्रस्तावित दोनों नगर निगमों के बीच में कोई प्राकृतिक बाउंड्री भी नहीं है।
जिला कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश मिश्रा का कहना है कि उन्होंने मंत्री को दो नगर निगम बनाने का प्रस्ताव दिया है। उनके अनुसार अभी प्रति वार्ड 30 हजार की आबादी है। नए निगम में नए वार्ड बनने से प्रति वार्ड 15 हजार से 17 हजार आबादी होगी। इससे वार्ड प्रबंधन में लाभ मिलेगा। पार्षद नागरिकों से ज्यादा संपर्क रहेंगे। विकास कार्य तेजी से हो सकेंगे। हर छोटी चीज जिम्मेदारों की नजर में रहेगी।
तकनीकी पहलू जिनके कारण होगी समस्या
-नगर निगम भोपाल में कोलार नगर पालिका का विलय 6 सितंबर 2014 को हुआ था। 27 फरवरी 2019 को फिर से कोलार नगर पालिका बनाने का नोटिफिकेशन जारी किया गया। इस पर दावे आपत्तियां मंगाई गई और फिर सुनवाई हुई। नपा बनाने के विरोध में सबसे ज्यादा आपत्तियां आई थीं। कोलार नपा बनाने के प्रस्ताव में संशोधन की सीमा 14 अगस्त 2019 तय थी, वह भी गुजर गई। इसलिए यह प्रस्ताव खत्म हो गया।
-कोलार नगर पालिका को निगम सीमा में शामिल करने की अधिसूचना में मौजूदा 80 से 85 तक 6 वार्ड शामिल किए गए थे। इनकी आबादी 87882 बताई गई थी। इसमें आठ गांवों को भी शामिल किया गया जिनकी आबादी 37779 थी। इस क्षेत्र की कुल आबादी 1 लाख 25 हजार 661 हुई। यह आबादी नया नगर निगम बनाने के लिए नाकाफी है। इसके लिए कम से कम 3 लाख की आबादी अनिवार्य है। इसलिए प्रस्ताव में 31 वार्ड प्रस्तावित कर दिए गए।
– वर्तमान में शहर की लैंडफिल साइट आदमपुर छावनी में है। यह नया भोपाल नगर निगम में आ जाएगा। पुराने भोपाल नगर निगम के लिए अलग लैंडफिल साइट बनाना बड़ी समस्या होगी।
-तहसील कोलार का कुछ क्षेत्र पुराने भोपाल में चला जाएगा। इससे तहसीलों का भी नए सिरे से पुनर्गठन करना होगा।
-पानी के जल स्रोतों के भी दोनों नगर निगमों में बंटवारे में परेशानी आना तय है।
– प्रस्तावित दोनों नगर निगमों के बीच में कोई प्राकृतिक बाउंड्री भी नहीं है।
भोपाल नगर निगम को बांटना गलत है। एक तरफ गांवों को निगम में शामिल कर उनमें सुविधाएं बढ़ाने की कोशिश हो रही है तो दूसरी ओर शहर को दो भाग में बांटकर फिर से विकास बाधित किया जा रहा है। शासन यदि शहर को दो हिस्सों में बांटता है तो यह किसी भी तरह से ठीक नहीं रहेगा।
निर्मला बुच, पूर्व मुख्य सचिव
भोपाल का विकास एक ही निगम में है। यहां इतनी आबादी और दिक्कत नहीं है कि अलग-अलग भाग में बांटकर विकास किया जाए। अभी तो ये सामान्य निगम है, महानगर पालिका भी नहीं है। ऐसे में सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए बंटवारा ठीक नहीं है।
आशाराम शर्मा, पूर्व एमआईसी सदस्य, नगर निगम, भोपाल
शहर में दो अलग-अलग नगर निगम बनाने का प्रस्ताव कुछ लोगों ने प्रस्तुत किया है। इसे शासन के पास भेज दिया गया है।
तरुण पिथोड़े, कलेक्टर