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भोपाल

सवाल पूछ गायब क्यों, पूछती है जनता

—————– 3 सालों में 48 विधायक हो गए गैरहाजिर, बजट सत्र में ही 40 गायब, जनता से जुड़े मुद्दों पर भारी उदासीनता, अब फिर जाएंगे वोट मांगने—————-

भोपालMar 24, 2023 / 11:22 pm

जीतेन्द्र चौरसिया

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jitendra.chourasiya@ भोपाल। प्रदेश में 7 महीने बाद फिर विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जनता के दरबार में फिर विधायक वोट मांगने पहुंचने की तैयारी में हैं। फिर जीत के वादों का पिटारा लेकर दावे होंगे कि हमें चुनिए हम आपकी आवाज उठाएंगे, लेकिन हकीकत इससे जुदा है। जनता जिन्हें बड़े भरोसे से चुनकर विधानसभा भेजती है, वो विधानसभा में सवाल पूछकर गैरहाजिर हो जाते हैं। ऐसे में क्षेत्र के मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हो पाती, जबकि इन मुद्दों पर चर्चा हो तो समस्याएं हल भी हो जाती हैं। लेकिन, दिलचस्प ये कि विधानसभा में बीते 3 साल में 48 विधायक सवाल पूछकर गैरहाजिर हो गए। इनमें भी 12 विधायक हालिया बजट सत्र में गैरमौजूद रहे। सदन में विधायकों का नाम पुकारा जाता रहा, लेकिन वे नहीं पहुंचे। ध्यानाकर्षण तक में कुछ विधायक नहीं पहुंचे। जनता के मुद्दों पर गैरहाजिर होकर अब ये ही वापस जनता के दरवाजे पहुंचेंगे।
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3 बजट सत्र में ही 40 गायब-
बीते 3 साल में बजट सत्र ही बात करें तो कुल 40 विधायक प्रश्नकाल में सवाल आने पर गैरहाजिर रहे। इनमें 2023 में 12, 2022 में 12 और 2021 में 16 विधायक गैरहाजिर रहे। यानी सबसे ज्यादा विधायक बजट सत्र के दौरान सवाल पूछकर गायब हो जाते हैं।
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इस बार ऐसा-
सदन के अंतिम दो दिन में 12 विधायक प्रश्नकाल में और 3 ध्यानाकर्षण में गैरहाजिर हो गए। 20 मार्च को प्रश्नकाल के समय 5 विधायक और 21 मार्च को 6 विधायक गायब रहे। वहीं 20 मार्च को 6 ध्यानाकर्षण में 2 विधायक और 21 मार्च को 01 विधायक गैरहाजिर रहे। तीन साल में 90 दिन की बैठकों में 52 दिन सत्र चला, जिसमें महज 30 प्रश्नकाल हो सके।
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ऐसा है इस बजट सत्र का ट्रेक रिकार्ड-
21 मार्च 2023-
प्रश्रकाल- 16 प्रश्र लिए। ये गैरहाजिर रहे।
झूमा सोलंकी- स्वच्छता अभियान में शौचालय निर्माण-भुगतान में गड़बड़ी।
धमेंद्र लोधी- ग्राम सडक़ योजना में पुल निर्माण में देरी।
प्रदीप पटेल- फसलों के लिए उर्वरकों की कालाबाजारी।
कुणाल चौधरी- जल जीवन में भ्रष्टाचार। 17.50 करोड़ की गड़बड़ी।
रवींद्र सिंह तोमर- सरकार स्कूलों में खेल प्रोत्साहन योजना।
भूपेंद्र मारावी- अमृत सरोवर योजना में ठेके और भ्रष्टाचार
– कार्यसूची में 14 ध्यानाकर्षण थे। सदन में 6 लिए गए, जिनमें एक विधायक प्रदीप लारिया अनुपस्थित रहे। प्रदीप पेयजल संकट पर ध्यानाकर्षण लाए थे।
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20 मार्च 2023-
प्रश्नकाल- 15 प्रश्र आए, ये 5 विधायक गैरहाजिर रहे।
विजयराघवेंद्र सिंह – व्यापमं से 2021-22 में स्टॉफ नर्स की भर्ती में गड़बड़।
कृष्णा गौर – कुक्कुट विकास निगम में संविदाकर्मी के ईपीएफ का मामला।
धमेंद्र लोधी – अजा विकास बस्ती में विद्युतीकरण में राशि का मामला।
नीलेश उईके – पांर्ढुना को जनजातीय कार्य विभाग के तहत करने संबंधित।
नीलांशु चतुर्वेदी – रीवा-शहडोल के धार्मिक स्थलों में चोरी-हत्या से संबंधित।
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ध्यानाकर्षण – 6 ध्यानाकर्षण रखे। ये 2 विधायक गैरहाजिर हुए।
शैलेंद्र जैन- 5वीं-8वीं को बोर्ड पैटर्न से मुक्त रखने
रमेश मेंदोला- शिक्षा के अधिकार में विद्यार्थियों की शुल्क प्रतिपूर्ति
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17 मार्च 2023- प्रश्नकाल हंगामें की भेंट चढ़ा। ध्यानाकर्षण भी नहीं।
16 मार्च 2023- 2 सवाल हो सके। दो ध्यानाकर्षण थे, दोनों हुए।
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15 मार्च 2023- आठ सवाल आ सके। ये एक विधायक गैरहाजिर।
चौधरी सुजीत मेर सिंह- आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायकों की मांग पर कार्रवाई।
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ऐसा है 3 साल में प्रश्रकाल में ट्रेक रिकार्ड- (ग्राफिक्स के लिए)
सत्र अवधि- गैरहाजिर विधायक – कितने सवाल हो सके
27 फरवरी से 27 मार्च 2023- 12 (13में 12 दिन सत्र चला। 9 प्रश्रकाल में 53 सवाल)
19 से 23 दिसंबर 2022- 02 (5 में 4 दिन सत्र चला। 2 प्रश्रकाल में 09 सवाल)
13 से 17 सितंबर 2022- 00 (5 में 3 दिन सत्र चला। 2 प्रश्रकाल में 03 सवाल) 07 से 25 मार्च 2022- 12 (13 में 8 दिन सत्र चला। 5 प्रश्रकाल में 56 सवाल)
20 से 24 दिसंबर 2021- 04 (5 में 5 दिन सत्र चला। 3 प्रश्रकाल में 18 सवाल)
09 से 12 अगस्त 2021- 02 (4 में 2 दिन सत्र चला। 01 प्रश्रकाल में 03 सवाल)
22 फरवरी से 26 मार्च 2021- 16 (18में 13 दिन सत्र चला। 8 प्रश्रकाल में 95 सवाल)
21 से 23 सितंबर 2020- 00 (03 में से 01 दिन सत्र चला। प्रश्नकाल नहीं)
24 से 27 मार्च 2020- 00 (04 में 01 दिन सत्र चला। कोराना व सरकार बदली)
16 मार्च से 13 अप्रैल 2020- 00 (17 में 2 दिन सत्र चला। प्रश्नकाल नहीं। सत्ता परिवर्तन)
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प्रश्नकाल क्या और क्यों अहम-
प्रश्नकाल सदन शुरू होने के पहले एक घंटे का रहता है। इसमें 25 सवाल लिए जाते हैं। इनके लिखित जवाब पूर्व से आ जाते हैं, लेकिन विधायक उन सवालों पर प्रतिप्रश्न करके हल चाहते हैं। इससे उन सवालों से संबंधित समस्या हल होने की स्थिति बनती है। कई बार बड़ी घोषणाएं इन चर्चाओं में हो जाती है। इसी तरह ध्यानाकर्षण रहता है। सामान्यत: दो या अधिकतम 6 ध्यानाकर्षण चर्चा में लिए जाते हैं। इसमें किसी मुद्दे विशेष पर विधायक सदन में चर्चा करता है। इसमें भी कई बार बड़े निर्णय या घोषणा हो जाती है।
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फैक्ट फाइल-
– 90 दिन बैठक तीन साल में हुई
– 52 दिन ही 90 में से सत्र चला
– 30 प्रश्नकाल ही 52 सत्र में हो सके
– 30 प्रश्नकाल में 750 सवाल होना थे
– 237 सवाल इन 30 प्रश्नकाल में हो सके
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गैरहाजिर होने के ये सामान्य कारण-
1- लापरवाही के कारण गैरहाजिर हो जाना
2- आकस्मिक काम आ जाने से नहीं पहुंचना
3- सवाल को लेकर दबाव या प्रभाव
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एक्सपर्ट व्यू : सवाल या मुद्दे पर अनुपस्थित होने पर सजा का प्रावधान का होना चाहिए। लगातार अनुपस्थित होने वाले को सदस्यता तक समाप्त करने तक के कदम उठ सकते हैं। जवाबदेही तय होना जरूरी है। – सुभाष कश्यप, संविधान विशेषज्ञ
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इनके अपने तर्क-
विधानसभा क्षेत्र में कार्यक्रम था। इस कारण पहुंचने में लेट हो गए थे। तब तक हमारा प्रश्नकाल खत्म हो चुका था। – धमेंद्र लोधी, जबेरा विधायक, भाजपा
क्षेत्र के कुछ लोगों के साथ अस्पताल तक गए थे। सवाल 12 नंबर पर था, तो लगा नहीं आएगा। इसलिए चले गए। – नीलांशु चतुर्वेदी, चित्रकूट विधायक, कांग्रेस
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इनका कहना-
सदन व प्रश्नकाल पूरा चले इसके पूरे प्रयास रहते हैं। कई बार प्रश्नकाल में पंद्रह से भी ज्यादा सवालों पर चर्चा हुई है। पक्ष-विपक्ष दोनों से चर्चा करके प्रश्नकाल चलाने के प्रयास रहते हैं। अब भी इस बजट सत्र में प्रश्नकाल को काफी चलाया गया है। – गिरीश गौतम, अध्यक्ष, मप्र विधानसभा
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