उनके पीए की भांजी को भी सहायक ग्रेड-3 के इंटरव्यू के लिए कॉल लेटर भेजा गया है। ये सभी नियमित पद हैं। ये मामला विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने चिट्ठी लिखकर उजागर किया है।
इसमें विधानसभा अधिकारियों व कर्मचारियों के डेढ़ दर्जन परिजनों के नाम सामने आए हैं। सहायक ग्रेड-3 के लिए सुरक्षा अधिकारी, सेक्शन ऑफीसर और पुस्तकालय के अधिकारियों के रिश्तेदारों को रखने की चर्चा है।
इस सूची में चुङ्क्षनदा बड़े नेताओं के रिश्तेदार भी शामिल हैं। इन सभी को 11, 12 और 13 अगस्त को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है। गड़बड़ी को उजागर करने के बाद स्पीकर का उपाध्यक्ष से एक-दो दिन में मिलना तय है।
ऐसे समझें गड़बड़ी
ये होना चाहिए
भर्ती के लिए विज्ञापन निकालकर आवेदन आमंत्रित करना चाहिए। चयन लिखित परीक्षा व इंटरव्यू के जरिए होना चाहिए। सरकारी भर्ती सामान्य तौर पर एमपी-पीएससी या व्यापमं के जरिए होती है। विधानसभा में ऐसा नहीं किया गया।
ये किया
कहीं कोई विज्ञापन नहीं निकाला गया। चंद मिनटों के लिए नोटिस बोर्ड पर सूचना चस्पा कर दी गई। इसके बाद आवेदन बुला लिए। इससे केवल विधानसभा अधिकारी-कर्मचारी के परिवार वालों व रिश्तेदारों ने ही आवेदन किए। दिव्यांग आरक्षण नहीं
रखा गया।
बचाव के तर्क
विधानसभा के भर्ती के अपने अलग नियम हैं। वह रोजगार कार्यालयों से नाम बुलाकर भर्ती कर सकती है। विधानसभा का तर्क है कि प्रदेशभर के रोजगार कार्यालयों से नाम मांगे हैं। विधानसभा के अधिकारियों की एक चयन कमेटी बनाकर भर्ती हो रही है।
हम रोजगार कार्यालय से नाम लेकर नियमानुसार भर्ती कर रहे हैं। रोजगार कार्यालय ने जिनके नाम भेजे, उन्हें बुलाया गया है। अभी प्रक्रिया चल रही है। गड़बड़ी के आरोप गलत हंै। विधानसभा उपाध्यक्ष को पूरी जानकारी नहीं है। उनको स्थिति स्पष्ट कर दी जाएगी।
डॉ. सीतासरन शर्मा, अध्यक्ष, विधानसभा
श्रीनिवास के खिलाफ कराई एफआइआर
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के समय भी अवैध भर्तियां हुई थीं। इस मामले में डॉ. सीतासरन शर्मा ने सचिवालय के जरिए एफआइआर दर्ज कराई है। करीब 10000 भर्तियों की जांच चल रही है। कुछ मामले अदालत में भी हैं।
पहले भी हुई गड़बड़ी
विधानसभा में संविदा व नियमित भर्ती में गड़बड़ी होती रही है। इसमें बीएल विश्वकर्मा, पीएन विश्वकर्मा और श्यामलाल मैथिल को सेवानिवृत्ति के बाद संविदा नियुक्ति दी गई। डेढ़ साल पहले एक मंत्री के दो रिश्तेदारों को विधानसभा में
रखा गया है।
अब आगे क्या
– इन नियुक्तियों के खिलाफ कोई भी व्यक्ति हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। प्रक्रिया पूरी नहीं करने के कारण इसे चैलेंज कर सकते हैं।
– कांग्रेस नेता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के खिलाफ ऐसे ही प्रकरण में एफआइआर हुई है। कांग्रेस अब मौजूदा सरकार व अध्यक्ष पर एफआइआर दर्ज कराने के लिए कदम उठा सकती है।
– विधानसभा भी इन नियुक्तियों की प्रक्रिया रद्द कर सकती है। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष सीतासरन शर्मा और उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह के बीच चर्चा के बाद नतीजा आएगा। यदि दोनों में सहमति बनती है तो भर्ती हो जाएगी।