8 राइस मिलें की जा चुकी हैं सील
आपको बता दें कि, गरीबों को बांटे गए घटिया क्वालिटी के चावल का मामला उजागर होने के बाद पीएमओ ने सरकार से मामले की पूरी रिपोर्ट तलब की थी। इसपर शिवराज सरकार ने अधिकारियों के साथ बैठक की। हालांकि ,इससे पहले सीएम ने FCI के साथ टीम बनाकर बालाघाट और मंडला में जांच कराई थी। जहां टीम ने 8 राइस मिलों को सील किया जा चुका है। साथ ही, अन्य संदिग्ध मीलों के खिलाफ भी कार्रवाई जारी है।
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क्या है मामला?
आपको बता दें की मध्य प्रदेश में लगे करीब तीन माह के लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने राज्यों से गरीबों को राशन वितरण करने के आदेश दिए थे। इसी को लेकर प्रदेश के मंडला और बालाघाट समेत सभी जिलों के गरीबों को चावल बांटे गए थे। मंडला और बालाघाट में हितग्राहियों ने घटिया चावल मिलने की शिकायत की थी। जिस पर केंद्र सरकार की जांच एजेंसी ने चावलों की गुणवत्ता की जांच की थी। जांच में सामने आया कि, जो चावल गरीबों में बांटे गए थे वो मुर्गा-मुर्गियों के खिलाने लायक थे।
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सरकार पर हमलावर हुआ विपक्ष
केन्द्र सरकार की रिपोर्ट रे जरिये मामले में घोटाला उजागर होने के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया। मुद्दे को लेकर लगातार सियासत होती रही। इस पर कमलनाथ ने भी सरकार पर सवाल उठाए थे और दोषी अधिकारियों के सख्त सजा देने की मांग की थी। कांग्रेस के नेता भूपेंद्र गुप्ता ने शिवराज सरकार को क्रूर तक कह दिया था, जबकि इस मामले के उजागर होने पर खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ने मामले की जानकारी नहीं होना बता दिया था।
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घोटाले के बाद एक्शन मोड में आ गई थी सरकार
बुधवार तक ये मुद्दा प्रदेश में सबसे बड़ी चर्चा का विषय बना रहा, जिसके बाद शिवराज सरकार ने दोनों जिले में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की। वहीं, पूरे प्रदेश में चावलों की जांच के लिए एफसीआई के साथ टीम गठित की थी। टीम ने रात में ही बालाघाट में कार्रवाई करते हुए 8 मिलों को सील किया था, जबकि 10 राइस मिलों के खिलाफ जांच जारी है।