उमा भारती मध्यप्रदेश में अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी चाहती हैं। वह पहले भी कई बार पार्टी के सामने स्पष्ट कर चुकी हैं कि मध्यप्रदेश में भाजपा की वापसी उनके कारण हुई थी। उनकी मेहनत के हिसाब से उन्हें तवज्जो नहीं मिली हैं। शिवराज के आने के बाद वह मध्यप्रदेश की राजनीति में नेपथ्य में चली गई हैं। यही वजह है कि वह उत्तर प्रदेश से आकर मध्यप्रदेश की खजुराहो और भोपाल सीट से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती थी। लेकिन पार्टी ने जब इनकार कर दिया तो उन्होंने चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया। इसके बाद वह राज्यसभा में अपनी संभावनाएं देख रही थीं। लेकिन पार्टी ने उन्हें यहां पर भी दरकिनार कर दिया। हालांकि उमा भारती अपने समर्थकों की सक्रिय हिस्सेदारी की बात कई बार पार्टी फोरम पर कह चुकी हैं, लेकिन अभी उनके समर्थकों को पूरी तरह से दरकिनार किया जा रहा है। यह उमा की नाराजगी का सबसे बड़ा कारण है।
उमा भारती ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा, मैं,शिवराज जी और विष्णुदत्त शर्मा को 15 जनवरी तक का समय देती हूं। अगर 15 जनवरी तक शराब बंदी नही की तो फिर में सड़क पर आ जाउंगी। शराबी बात से नहीं लट्ठ से मानते हैं।
उमा भारती ने पिछले दिनों एक बड़ा ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने जिक्र किया था कि जबलपुर के दो परिवारों को लेकर कई तरह की टिप्पणी हो रही हैं। कहा जा रहा है कि उनका रसूख इसलिए बढ़ा है क्योंकि एक का दामाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हैं तो दूसरे के दामाद मध्यप्रदेश के भाजपा अध्यक्ष बीडी शर्मा हैं। हालांकि उमा ने कहा कि यह कोरी अफवाह हैं। दोनों परिवार पहले से भाजपा में सक्रिय हैं। हालांकि राजनीतिक गलियारों में यह कोई नहीं समझ पाया था कि इन दोनों नेताओं की तरफ से उमा भारती ने सफाई क्यों दी थी। क्या उमा सफाई के बहाने कुछ और कहना चाह रही थीं, यह सवाल जरूर बना हुआ है।
सरकार के लिए उमा भारती की सलाह मानना इतना आसान नहीं है। सरकार के पास अभी के हालात में रेवेन्यू का सबसे बड़ा साधन शराब, टोल बैरियर हैं। केंद्र सरकार ने एक चिट्ठी भेजकर टोल बैरियर बंद करने को कहा है। हालांकि सरकार इस पर राजी होगी, इसको लेकर संशय बना हुआ है। दूसरी ओर अगर शराबबंदी की तरफ सरकार देखती है तो फिर उसके पास रेवेन्यू का संकट खड़ा हो जाएगा।