रामनिवास रावत का कद बढ़ता देख और अपने हाथ से महत्वपूर्ण जिम्मेदारी जाते देख नाराज नागर सिंह चौहान ने सोमवार 22 जुलाई को अपने मंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है। भाजपा में कांग्रेस नेताओं को लगातार मिल रही तवज्जो से नाराज भाजपा नेताओं और मंत्रियों की पार्टी की अंतर्कलह भी सामने आती रही है। वहीं रामनिवास रावत के मंत्री शपथ लेते ही भाजपा में हलचल मच गई थी। अब नागर के इस ऐलान ने एमपी की सियासत में भूचाल ला दिया है।
जानें क्या बोले मंत्री नागर
मोहन कैबिनेट में कैबिनेट मंत्री नागरसिंह चौहान ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय वापस लिए जाने पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने अब मंत्री पद छोड़ने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस से भाजपा में आए लोगों को सम्मान दिया जा रहा है, जबकि वर्षो से पार्टी के लिए कार्य करने वालों को पीछे धकेला जा रहा है।मुझे दिया ऐसा विभाग जिसकी आबादी कम, कैसे करूंगा काम
नागरसिंह चौहान ने कहा कि ‘मुझे ऐसा विभाग दिया गया है, जिसकी आबादी आदिवासी बहुल जिले में बेहद कम है, ऐसे में मैं कैसे कार्य कर पाऊंगा। इसलिए मैं मंत्री पद छोड़ दूंगा, विधायक रहकर जनता की सेवा कर सकता हूं।’ नागरसिंह चौहान ने यह भी कहा कि वे अपनी बात से सरकार और संगठन को अवगत करवा रहे हैं, पार्टी फोरम पर सुनवाई नहीं होती है तो, उनके साथ उनकी पत्नी सांसद अनिता चौहान भी सांसद पद छोड़ सकती है।नागर सिंह के पास थे तीन विभाग
मंत्री नागरसिंह चौहान (Cabinet Minister Nagarsingh Chouhan) के पास दो महत्वपूर्ण विभाग वन और पर्यावरण विभाग थे। इनके साथ ही नागर सिंह चौहान के पास अनुसूचित जाति कल्याण विभाग भी संभाल रहे हैं। लेकिन सीएम मोहन यादव ने वन और पर्यावरण विभाग की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी रामनिवास रावत को दे दी। वहीं अब उनके पास केवल अनुसूचित जाति कल्याण विभाग ही रह गया था। कम बजट और सीमित संसाधनों के चलते यह विभाग छोटा विभाग माना जाता है। ऐसे में पार्टी में रावत का कद बढ़ने और अपना कद घटने से नाराज मंत्री नागर सिंह ने मंत्री पद छोड़ने का ऐलान कर दिया है।