2021 में शुरू हुई जांच, बिके CBI अफसर
प्रदेश में नर्सिंग घोटाला वर्ष 2021 में सामने आया। शिकायत के आधार पर इसकी जांच हुई। आरोप लगे कि नियमों को ताक में रखकर कॉलेजों को मान्यता दी गई। दो-तीन कमरों में नर्सिंग कॉलेज चल रहे हैं। न तो कॉलेज में लैब है और न ही 100 बिस्तर का अस्पताल है. कई कॉलेज में तो फैकल्टी का ही पता नहीं है। सब कुछ कागजी है। ग्वालियर हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद 364 नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई जांच के आदेश होने के बाद लगा कि शायद बड़े खुलासे होंगे लेकिन जांच अफसर ही भ्रष्ट निकले, वे भी बिक गए। सीबीआई अफसरों ने ही अपने अफसरों को घूस लेते पकड़ा। ये अनसुटेबल कॉलेजों को सुटेबल रिपोर्ट दे रहे थे। ये अफसर नर्सिंग कॉलेजों को क्लीनचिट देने के लिए रिश्वत ले रहे थे। इसमें सीबीआई इंस्पेक्टर राहुल राज 10 लाख की रिश्वत लेते धरा गया। इसे बर्खास्त कर दिया गया है। अन्य अफसरों भी गाज गिरी है। कॉलेज संचालक, प्राचार्य, दलाल भी पकड़े गए।
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मोटी रकम के बदले मिल रही थी क्लीनचिट
नर्सिंग घोटाले में शिक्षा माफिया, नेताओं और अफसरों का गठजोड़ ऐसा रही कि जिनकी मान्यता खतरे में आई, उन्होंने मोटी रकम देकर क्लीनचिट ले ली। अब एक-एक नर्सिंग कॉलेज की जांच दोबारा हो गई। पूर्व में हुई जांच में 169 कॉलेजों को सूटेबल, 73 नर्सिंग कॉलेजों को डिफिसेंट और 66 को अनसूटेबल बताया गया था। सूटेबल कॉलेजों की सूची उजागर होते ही इसकी पड़ताल की गई। एनएसयूआई नेता एवं विसिल ब्लोअर रवि परमान ने सीबीआई को कॉलेजों की ग्राउंड रियलटी भेजी। प्रमाण सहित भेजी गई जानकारी पर सीबीआई हरकतम में आई और कार्रवाई शुरू की गई। जांच अधिकारी घेरे में आए। यह भी पढ़ें
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तत्कालीन मंत्री की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दिए जाने के दौरान तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं। सारंग अभी भी राज्य सरकार में मंत्री हैं। कांग्रेस ने तो यहां तक सवाल उठाया है कि मंत्री को बर्खास्त कर जांच होना चाहिए। आखिर इन फर्जी कॉलेज को अनुमति कैसे मिल गई।
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व्यापमं जैसा नर्सिंग घोटाला !
कहा जा रहा है कि नर्सिग घोटाला भी प्रदेश में हुए व्यापमं घोटाले जैसा है और व्यापमं पार्ट-2 भी इसे कहा जा रहा है। बता दें कि व्यापमं घोटाला उजागर होने से मध्यप्रदेश की खूब किरकिरी हुई थी। वर्ष 2013 में एसटीएफ ने व्यापमं घोटाले की जांच शुरू की थी । वर्ष 2014 में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को निगरानी सौंपी गई थी । वर्ष 2015 में 212 मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। जिसके बाद 1242 लोगों के खिलाफ सीबीआई की चार्जशीट पेश की गई। अगस्त 2033 में तीन को 7 साल की जेल हुई और सुनवाई अभी भी जारी है। व्यापमं घोटाले में तत्कालीन मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा सहित अन्य रसूखदारों को जेल की हवा खाना पड़ी थी और इसकी आंच राजभवन तक पहुंची थी। यह भी पढ़ें