दो बार उसका आवेदन कलेक्टर दफ्तर से लौटा भी दिया गया था, लेकिन सौरभ के कुछ रसूखदार हितैषियों ने दबाव बनाया था। उसके बाद अनुकंपा नियुक्ति की फाइल आगे बढ़ी थी। सौरभ की परिवहन विभाग में नियुक्ति को लेकर तमाम बार सवाल उठे लेकिन किसी को कभी जवाब नहीं मिला। इसलिए बात ठंडी हो गई और महकमे में सौरभ का रसूख अफसरों से ज्यादा हो गया।
कंपनी के लेखे जोखे पर ताले
चेतन सिंह गौर, शरद जायसवाल और रोहित तिवारी के नाम से बनाई गई अविरल कंस्ट्रक्शन कंपनी का लेखा जोखा भी गड़बड़ है। कंपनी में करीब दस लाख रुपए की शेयर की पूंजी बताई गई है। लेकिन बैलेंस शीट में शेयर कैपिटल, रिर्जव सरप्लस, उधारी, कुल संपति सहित खातों में कोई लेखा जोखा दर्ज नहीं है।साला तीसरा डायरेक्टर
सौरभ ने परिवहन विभाग में सात साल की नौकरी में कुल कितनी काली कमाई की है पूरा हिसाब सामने नहीं आया है। अभी तो जो सपंत्तियां मिली हैं इनमें ज्यादातर में उसके रिश्तेदार के अलावा दोस्त चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल मालिक है। काली कमाई को खपाने के लिए सौरभ ने अविरल कंस्ट्रक्शन कंपनी भी बनाई है। इसका रजिस्ट्रेशन ग्वालियर से कराया है। इसमें सौरभ ने चेतन और शरद के अलावा साले रोहित तिवारी को भी अतिरिक्त डायरेक्टर बनाया है। इसके अलावा रोहित तिवारी को ओमेगा रियलकॉन प्राइवेट लिमिटेड का डायरेक्टर ओर, इंस्टेंट यूआर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड का मैनेजिंग डायरेक्टर भी बताया गया है