भोपाल

एमपी के सवा दो लाख शिक्षकों को बड़ा झटका, DPI ने जारी किया आदेश

MP News: मध्यप्रदेश के सवा दो लाख शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है। सरकार के द्वारा शिक्षकों की सेवा को भर्ती दिनांक से न मानकर नियुक्ति तिथि मानी जा रही है।

भोपालDec 17, 2024 / 05:15 pm

Himanshu Singh

MP News: मध्यप्रदेश सरकार ने शिक्षकों को बड़ा झटका दिया है। अध्यापक संवर्ग के करीब सवा दो लाख शिक्षकों की सेवा को भर्ती दिनांक से न मानकर शिक्षा संवर्ग में मर्ज करने के बाद से नियुक्ति तिथि मानी जा रही है। जिससे अब शिक्षकों को ग्रेच्युचटी और पेंशन जैसी तमाम सुविधाओं का नुकसान हो रहा है। शिक्षक अपनी गुहार लगाने के लिए हाइकोर्ट और श्रम न्यायालय का सहारा ले रहे हैं।
दरअसल, स्कूलों में साल 1998 से अध्यापक संवर्ग के लिए भर्ती शुरु हुई थी। जो कि 2013 तक चलती रही। अध्यापक संवर्ग के के दो लाख 37 हजार शिक्षक कार्यरत थे। उस समय अध्यापक संवर्ग के शिक्षक स्थानीय निकाय के कर्मचारी माने जाते थे। शासन के द्वारा साल 2018 में सभी अध्यापकों को स्कूल शिक्षा विभाग में मर्ज कर दिया। इसमें गौर करने वाली बात यह है कि राज्य शिक्षा संवर्ग में अध्यापकों का संविलियन नहीं किया गया। उन्हें नई तारीख जुलाई 2028 की स्थिति में नियुक्ति कर दी गई।

कई सुविधाओं पर लग गया ब्रेक


अध्यापकों को मिलने वाली सीनियरटी (वरिष्ठता), पदोन्नति, क्रमोन्नति, ग्रेच्युटी और पेंशन जैसी तमाम सुविधाओं पर ब्रेक लग गया। ऐसे में अगर अध्यापकों का संविलियन किया जाता तो उन्हें इन सारी सुविधाओं का फायदा मिलता। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने तत्कालीन सीएम की घोषणा के बावजूद शिक्षा विभाग में संविलियन की जगह जुलाई 2018 से नए कैडर में नियुक्ति कर दी। जिससे अब शिक्षकों का भविष्य संकट में पड़ गया है।

अध्यापकों ने हाईकोर्ट में लगाई गुहार


अध्यापकों ने हाईकोर्ट जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर में याचिकाएं दायर की थी। याचिकाओं में नियुक्ति की जगह संविलियन, वरिष्ठता, वेतन विसंगतियां, पेंशन की गुहार लगाई थी। इधर, विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नियुक्ति दिनांक से सर्विस नहीं मानी जाएगी। लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी किए आदेश में कहा है कि श्रम न्यायालय से प्राप्त नोटिस को गंभीरता से लिया जाए।

क्या है मध्यप्रदेश लोक शिक्षण संचालनालय का आदेश


लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से जारी किए गए आदेश में जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि ऐसे नवीन संवर्ग के लोकसेवक जिनकी सेवानिवृत्ति से पहले नवीन संवर्ग का सेवाकाल पांच वर्ष से कम है, पेंशन नियमों के तहत उन्हें ग्रेज्युटी की पात्रता नहीं है। उनमें से कतिपय लोकसेवकों द्वारा श्रम न्यायालय में ग्रेच्युटी की मांग को लेकर याचिकाएं लगाई जा रही हैं। प्रकरणों का उचित प्रतिरक्षण नहीं होने के कारण श्रम न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता को ग्रेच्युटी प्रदान करने के निर्णय पारित किए जा रहे हैं।
वहीं, इसके पहले निकाय और उसके पूर्व हुए शिक्षाकर्मी/संविदा पर नियुक्त किए गए थे। जहां पर तथ्य संज्ञान में नहीं आने के कारण विपरीत निर्णय पारित हुए हैं। इस संबंध में अब आगामी कार्यवाही की जाए। श्रम न्यायालय से प्राप्त नोटिस को गंभीरता से लिया जाए। जबाव दावा पेश करने से पहले संबंधित जिले के लोक अभियोजन अधिकारी/अधिकृत पैनल अधिवक्ता के संज्ञान में सबंधित तथ्यों को लाया जाए और उक्त बिन्दुओं को संज्ञान में लेते हुए जबाव दावा पेश किया जाए।

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