भोपाल में पहले चरण पर 6962.92 करोड़ रुपए का खर्च आएगा, जिसमें टैक्स की राशि अतिरिक्त रहेगी। प्रोजेक्ट की फंडिंग के तहत केंद्र सरकार 1164.44 करोड़ रुपए, राज्य 1843.62 करोड़ रुपए जारी करेंगी। 3493.34 करोड़ रुपए कर्ज और 440 करोड़ रुपए पीपीपी मोड पर जुटाए जाएंगे।
केंद्र-राज्य एवं मेट्रो कंपनी के बीच होने जा रहे त्रिस्तरीय एमओयू के लिए तैयार प्रस्ताव में इन तथ्यों को शामिल किया गया है। मेट्रो कंपनी ने प्रस्ताव मुख्यमंत्री कमलनाथ को दिखाया है, जिसे जल्द ही कैबिनेट बैठक में शामिल कर मंजूरी मिलने की संभावना है।
भोपाल पहले चरण का फंड मैनेजमेंट…
1164.44 करोड़ रुपए: केंद्र सरकार से।
1843.62 करोड़ रुपए: राज्य सरकार से।
3493.34 करोड़ रुपए: यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक।
440 करोड़ रुपए: पीपीपी मोड से मिलेंगे।
त्रिस्तरीय एमओयू…
भोपाल-इंदौर में मेट्रो कंपनी की कमान मुख्यमंत्री के बजाय केंद्र से नामित व्यक्ति के पास होगी। मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग (एमओयू) के ड्राफ्ट के अनुसार केंद्र से बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में नामित पांच डायरेक्टर्स में से एक कंपनी का चेयरमैन होगा।
कैबिनेट की स्वीकृति मिलने के बाद इस एमओयू पर हस्ताक्षर होंगे। मेट्रो कंपनी राज्य और केंद्र सरकार के ज्वाइंट वेंचर कहलाएगी।
केंद्रीय वेतनमान देंगे…
राज्य सरकार को एमडी नियुक्त करना है, जो आईआईटी स्तर की परीक्षा पास आईएएस रैंक का अधिकारी होगा। उसके पास केवल एमडी का प्रभार होगा। अभी मेट्रो रेल कंपनी के चैयरमेन मुख्यमंत्री एवं एमडी प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन हैं।
डेप्यूटेशन और अनुबंध पर तकनीकी व प्रशासनिक नियुक्ति होगी। अधिकारी और कर्मचारियों को केंद्रीय वेतनमान की दर से भुगतान किया जाएगा।