1. बाल भवन, कमला नेहरू नगर, अग्रवाल कॉलोनी, जबलपुर
कब से संचालित- वर्ष 2007-2008
खुद का भवन या किराए का- किराए के भवन में चार छोटे कमरे और एक हॉल है।
छात्र संख्या- करीब 200 बालक-बालिकाएं
शिक्षक-प्रशिक्षक संख्या- स्वीकृत छह पदों में से 03 अनुदेशक और 01 संगतकार। एक-एक पद खाली है।
मौके से पत्रिका की पड़ताल-
पत्रिका टीम ने पड़ताल में पाया कि रानीताल चौगड्डा पर पाŸवनाथ जैन मंदिर के समीप कमला नेहरू नगर में बाल भवन के लिए प्राइवेट बिल्डिंग में चार छोटे कमरे और एक हॉल किराए पर लिया है। जगह की कमी के चलते बच्चों का प्रशिक्षण प्रभावित हो रहा है। दरअसल, वर्ष 2007 से मार्च 2019 तक संभागीय बाल भवन जबलपुर में पुरानी वाली छोटी महाकौशल स्कूल परिसर में किराए पर चला करता था। कोरोना काल के शुरुआत में इसे कमला नेहरू नगर में शिफ्ट किया गया। इतना समय गुजरने के बाद भी पुराने कार्यालय से निकाले गए तीन कैमरे अलमारी में धूल खा रहे हंै। बच्चों की सुरक्षा के लिए गार्ड नहीं हैं। ऐसे में नियमित रूप से कार्यरत चपरासी दिन में सुरक्षा व्यवस्था देखते हैं। इसके अलावा निगरानी का काम कला गुरु और संगतकार भी लगातार करते हैं। आउटसोर्स से एक महिलाकर्मी को चाय-स्वल्पाहार की व्यवस्था के लिए रखा है।
बाल भवन के जिम्मेदारों ने रानीताल चौगड्ढे के पास शासकीय स्कूल के भवन में बड़ी जगह के लिए प्रयास किए लेकिन मुख्यालय से अनुमति नहीं दी गई। यहां पर शास्त्रीय गायन, कथक नृत्य, खेल-कूद में प्रशिक्षण दिया जाता है। जगह की कमी के कारण मैदानी खेल नहीं हो पाते, उनके स्थान पर शतरंज, कैरम ही प्राथमिकता में रहता है। अनुदेशकों और संगतकारों की कमी को दूर करने के लिए ग्रीष्म अवकाश में होने वाली कार्यशालाओं में प्रशिक्षण के लिए अलग से विषय विशेषज्ञ बुला लिए जाते हैं। सहायक संचालक की भूमिका में गिरीश बिल्लौरे हैं। संयुक्त संचालक श्यामा उइके हैं, जिनका कार्यालय बाल भवन से चार किमी दूर अनगढ़ महावीर के पास, गोरखपुर पुलिस चौकी के सामने पूर्व वित्तमंत्री तरुण भनोत के यहां किराये पर संचालित है।
बाल भवन में सफाई व्यवस्था भी ठीक नहीं है, खासकर वॉशरूम रोजाना साफ नहीं होते। साफ-सफाई का जिम्मा दिहाड़ी व्यवस्था के हवाले है। सप्ताह में दो बार सफाईकर्मी को बुलाकर एवजी रूप से काम चलाया जाता है। उधर, गर्मी के समय पेयजल संकट गहरा जाता है। दो मटकों में पानी भर लिया जाता है, ऐसे में बच्चों की संख्या के हिसाब से ये व्यवस्था नाकाफी है। हाइजीन का भी इश्यू है। बच्चों को अपने घर से पेयजल की व्यवस्था करके लानी पड़ती है।
2. बाल भवन, 129 मयूर नगर, थाटीपुर ग्वालियर
कब से संचालित- वर्ष 2007-2008
खुद का भवन या किराए का- तीन मंजिला किराए का भवन में आठ कमरे का कार्यालय
छात्र संख्या- करीब 250 बच्चे
शिक्षक-प्रशिक्षक संख्या- 03 अनुदेशक और 01 संगतकार संविदा पर कार्यरत हैं।
मौके से पत्रिका की पड़ताल- थाटीपुर के मयूर नगर में बाल भवन 15 साल से किराए के भवन में संचालित हो रहा है। बाकी शहरों के बजाय यहां पर संयुक्त संचालक कार्यालय बाल भवन परिसर में नहीं, वहां से 05 किलोमीटर दूर मोती महल में है। बाल भवन का प्रभार सहायक संचालक अंजू तोमर के पास है। विभाग की संयुक्त संचालक के पद पर शीला शर्मा सेवारत हैं। बाल भवन में बच्चों की सुरक्षा के लिए न तो सुरक्षा गार्ड हैं और न ही कैमरे लगे हैं। ऐसे में दिन में एक महिला चपरासी अपनी ड्यूटी के साथ बच्चों की निगरानी भी करती हैं। बाकी समय अनुदेशक और संगतकार भी आते-जाते निगरानी रखते हैं। पेयजल व्यवस्था के लिए वॉटर कैन बुलाई जाती है। तीन माले के भवन में आठ कमरों की सफाई व्यवस्था ठेके पर है। ग्रांउड नहीं है अत: साइंस मॉडल, चित्रकला, क्ले आर्ट, क्राफ्ट और संगीत व नाट्य कला के शिक्षण-प्रशिक्षण गतिविधियां क्लासरूम में ही करनी पड़ती हैं। कम्प्यूटर और फोटो कॉपी मशीन भी नहीं है, जिससे तमाम काम बाहर जाकर करवाना पड़ता है।
महिला एवं बाल विकास विभाग ने बाल भवन के सेटअप में 04 अनुदेशक और 02 संगतकार के पद स्वीकृत हैं, लेकिन संविदा पर 03 अनुदेशक और 01 संगतकार कार्यरत हैं। एक अनुदेशक के जिम्मे साइंस मॉडल हैं। दूसरी अनुदेशक शशि सारस्वत के जिम्मे चित्रकला, क्ले आर्ट और क्राफ्ट है तो रीता सोनी नाट्यकर्म विधा का प्रशिक्षण देती हैं। संगतकार श्वेता गोठनकर केसियो और हारमोनियम के लिए हैं। ये सभी संविदा पर कार्यरत हैं। अनुदेशक का न्यूनतम वेतन 9 हजार 961 रुपए है। संगतकार को 6 हजार 98 रुपए मासिक वेतन मिलता है। वर्ष 2017 में सीपीआई एक्ट के तहत हर साल जनवरी में वेतन वृद्धि होने थी, वह लागू नहीं की गई। इसके बाद सीएम की घोषणा अनुसार 5 जून 2018 के हिसाब से नियमित वेतनमान का 90 फीसदी की व्यवस्था भी लागू नहीं हुई। 13 सीएल और 03 ऑप्शनल, 90 दिन का प्रसूति अवकाश और 10 दिन मेडिकल भी लागू नहीं है। पीएफ या एनपीएफ किसी भी मद में कटौत्रा नहीं हो रहा है। 05 जून 2018 को अनुबंध शर्तों में भी लागू नहीं किया जा रहा है।
3. बाल भवन, विक्रम कीर्ति मंदिर परिसर, कोठी रोड, उज्जैन
कब से संचालित- वर्ष 2007-2008
खुद का भवन या किराए का- किराए पर संचालित
छात्र संख्या- करीब 750 नियमित हैं, बाकी सालभर होने वाले शिविरों के हिसाब से आते हैं।
शिक्षक-प्रशिक्षक संख्या- 02 अनुदेशक और 01 संगतकार।
मौके से पत्रिका की पड़ताल- कोठी रोड पर किराए के भवन में पांच कमरों में संचालित यहां के बाल भवन में 750 से अधिक बच्चे आ रहे हैं। इन्हें आठ में से केवल दो विधाओं चित्रकला, कथक नृत्य में ही प्रशिक्षण मिल पा रहा है। पत्रिका टीम की पड़ताल के दरमियान कुछ छात्रों और उनके अभिभावकों ने बताया कि वे संगीत, गायन, रंगकर्म, कम्प्यूटर, होम साइंस और खेल-कूद जैसी विधाओं को सीखना चाहते हैं लेकिन शुरू करने के लिए सुनवाई नहीं होती। इतना जरूर है कि समय-समय पर इनमें से कुछ विधाओं के लिए शिविर और कार्यशालाओं का आयोजन होता है, जिनमें मानदेय पर प्रशिक्षक बुलाकर काम चलाया जाता है। विक्रम मंदिर परिसर के अंतर्गत एक बाल उद्यान भी है, जिससे गार्डन का काम चल जाता है। हालांकि खेल मैदान यहां भी नहीं है।
बाल भवन का प्रभार सहायक संचालक अंजली खडगी के पास है, जबकि संयुक्त संचालक के रूप में एसके कंडवाल कार्यरत हैं। पत्रिका टीम ने पाया कि संयुक्त संचालक कार्यालय भी बाल भवन में ही संचालित हो रहा है। कार्यालय की औपचारिकता के कारण बच्चों को स्वतंत्रता के साथ प्रशिक्षण नहीं मिल पाता। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की बात करें तो दोपहर में एक चपरासी है, जिसके जिम्मे दोनों जगह का कार्य है, लेकिन उसे जेडी ऑफिस से ही फुर्सत नहीं मिलती। रात में दैनिक वेतन भोगी श्रेणी गार्ड कार्यरत हैं, जिनकी तनख्वाह आठ महीने से नहीं मिली। बताया जा रहा है कि ऐसे हालात में गार्ड की व्यवस्था आगे लागू रह पाना मुश्किल है। कार्यालय की सफाई होती और कुछ कैमरे भी लगे हैं।
उज्जैन के बाल भवन में कभी 02 संगतकार हुआ करते थे लेकिन कोरोना काल में एक का निधन हो गया। इसी तरह से 03 अनुदेशक में से एक की अनुकंपा नियुक्त के बाद अब दो ही हैं। इनकी पीड़ा है कि चयन प्रक्रिया से आए अनुदेशक और संगतकार 15 साल से संविदा पर ही औने-पौने वेतन लेकर गुरु की भूमिका का निवर्हन कर रहे हैं। सभी अपनी-अपनी विधा में पारंगत हैं। तबला संगतकार विशाल शिंदे को राज्यपाल की ओर से विक्रम अलंकरण मिल चुका है। वे तबला वाद्य में स्नातकोत्तर उपाधि धारक हैं, पीएचडी जारी है। उनके सिखाए हुए शिष्य देश-विदेश में परफॉर्म कर रहे हैं। शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय में अनुदेशकों को 3200 ग्रेड पे तो संगतकारों की 2400 ग्रेड पे है। सीएम ने वर्ष 2018 में सभी विभागों में कार्यरत संविदाकर्मियों को 90 फीसदी वेतन देने की घोषणा की थी, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग बाल भवनों में इसे लागू नहीं कर पाया।
आपने अपने समाचार में राजधानी से लेकर बाकी छह जिलों के बाल भवनों की दिनोंदिन खराब हो रही दशा के बारे में विस्तृत रूप से बताया है… पिछले कुछ सालों में सचमुच स्थिति गंभीर होती चली गई। इसको देखते हुए मैंने शुक्रवार को सभी सातों बाल भवन के अधिकारियों को बुलवाया। उनके साथ समीक्षा की। आगे के लिए रणनीति बना रहे हैं।
– राम राव भोंसले, आयुक्त, महिला एवं बाल विकास विभाग