भोपाल

Exclusive Interview: हनीट्रैप पर क्या छुपाना चाहती है सरकार, क्यों नहीं करती है दोषियों के नाम उजागर

हमारी सरकार में नर्मदा में अवैध उत्खनन पर कार्रवाई होती थी, अब तो प्रभारी मंत्री ही करा रहे अवैध उत्खनन
बेटा किसी का भी हो, पिता के लिए कार्यकर्ता पहले है और बेटा बाद में, जो योग्य हो उसी को मिले टिकट
इस बार मौका मिलता तो कई क्षेत्रों में और बेहतर काम करने की कोशिश करता।
बहन—बेटियों पर बहुत अत्याचार देखे हैं, इसलिए बेटी के अधिकारों की बात करता हूं
मेरी पत्नी मेरी अर्धांगिनी है, वह मेरे हर अच्छे—बुरे में संग है, यही मेरी सबसे बड़ी ताकत है

भोपालOct 06, 2019 / 01:48 pm

shailendra tiwari

भोपाल. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विपक्ष में आने के बाद एंग्री यंग मैन के भूमिका में नजर आने लगे हैं। दस महीने की इस सरकार में उन्होंने नौ से ज्यादा आंदोलन खड़े कर दिए। इतना ही नहीं, केंद्रीय नेतृत्व ने जब उन्हें सदस्यता अभियान की जिम्मेदारी दी तो डेढ़ महीने में सात करोड़ सदस्य बना दिए। मध्यप्रदेश में हुए हनीट्रैप कांड में भाजपा नेताओं के नामों की चर्चा के बीच में साफ कहते हैं कि जिनके भी नाम हैं, सरकार को सार्वजनिक करने चाहिए। नर्मदा में अवैध खनन को लेकर कहते हैं कि हमारी सरकार में कार्रवाई तो होती थी, इस सरकार में तो प्रभारी मंत्री और नेता ही अवैध खनन करा रहे हैं।
पत्रिका से शैलेंद्र तिवारी ने उनसे कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने खुलकर जवाब दिए। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…

सवाल- शिवराज सिंह चौहान को सौम्य चेहरा माना जाता था लेकिन विपक्ष में आकर वह इतने एंग्री मैन में कैसे बन गए?
जवाब- देखिए मध्य प्रदेश की जनता से राजनीतिक नहीं भावनात्मक रिश्ता है और सरकार में थे तो कलम की ताकत थी, जनता की बेहतर सेवा करने का प्रयास करते थे। सरकार में नहीं है तो हमारा धर्म है कि विरोध में आवाज उठाई जाए जनता की बेहतर सेवा करने का काम करें। जब जनता तकलीफ में होती है तो विरोध क्यों ना हो। इस समय प्रदेश में जल प्रलय जैसा हाल है, महा तबाही मची है। गांव के गांव बर्बाद हो गए हैं, फसलें बर्बाद हो गई हैं, अनाज नहीं बचा है, कपड़े नहीं बचे हैं, मकान चले गए हैं, कॉपी—किताब नहीं बचे है। इसके बाद भी सरकार सोती रहे केवल भ्रष्टाचार में लगी रहे। केवल ट्रांसफर पोस्टिंग में लगी रहे तो मेरा गुस्सा जायज है।
सवाल- आपका गुस्सा जायज है लेकिन जब पार्टी उस गुस्से को किनारे कर आगे बढ़ जाती है तो आप क्या कहेंगे? आपने कहा कि अगर पीड़ितों को सहायता नहीं मिलती है तो हम 22 तारीख को मैदान में आएंगे। पार्टी ने कहा कि हम 20 को आ जाएंगे।
जवाब- नहीं उस बात को आप ऐसे समझिए। 22 तारीख की बात मैंने बहुत सीमित क्षेत्र में की थी। मैं बैरसिया क्षेत्र में गया था नरसिंहगढ़ क्षेत्र में किसानों की फसल देखने के लिए गया था। किसान हो, गरीब हो कष्ट में होगा तो मैं घर नहीं बैठ सकता चाहे कुछ हो जाए। जब तक सांस चलेगी और हाथ पैर चलेंगे मैं उनकी सेवा करूंगा। तो लोगों ने बताया कि सर्वे ही नहीं हो रहा तो मैंने कहा सर्वे नहीं हो रहा। तो पूरे प्रदेश का आह्वान नहीं था मेरा। मैंने कहा की सर्वे नहीं हो रहा है तो 22 तारीख तक का टाइम दो और नहीं होता तो आप सड़क पर आ जाओ फसल लेकर। यह बात सीमित क्षेत्र के लिए कही थी। लेकिन जब पार्टी ने तय किया कि 20 तारीख को फसलों को लेकर धरना देगी, तो मैंने अपील कर दी थी कि 22 को सीमित क्षेत्रों में अलग करने की जरूरत नहीं है। 20 तारीख को ही वह आंदोलन हो जाए। मैंने एक बात जरूर कही थी कि मंदसौर की जो स्थिति है। नीमच के रामपुरा की जो स्थिति है वो बहुत भयावह है। वह केवल धरने का विषय नहीं है और इसलिए उसको लेकर हम 21 तारीख को जरूर आंदोलन करेंगे। पार्टी से मैंने बात की कि मैं जाऊंगा और पार्टी ने कहा कि हां आप जाइए तब हम आंदोलन पर बैठे और आंदोलन का परिणाम यह हुआ कि मुख्यमंत्री जी वहां गए और वहां पर घोषणाएं की। विरोध करना हमारा धर्म है।
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सवाल- मेरा सवाल यही है। शिवराज जी सीहोर जो उनका गृह जिला है वहां घूम रहे हैं मंदसौर में जाकर कई मूवमेंट कर रहे हैं, बाकी लेकिन जिन जिलों में परेशानी है संकट है वहां बीजेपी के लोग आवाज क्यों नहीं उठा रहे हैं ?
जवाब- नहीं नहीं देखिए मैं एक जिले में नहीं गया। देवास जिले के सांसद विधायकों के साथ हम क्षेत्र में घूमे। शाजापुर जिले में घूमे। आगर जिले में हम आंदोलन करके आए। हम पिछोर में आंदोलन करके आए। शिवपुरी गए तो वहां के विधायक और सांसद नेतागण सारे साथ थे। चंबल गए तो हमारे केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता नरेंद्र सिंह तोमर जी और वहां जिन जिन क्षेत्रों में गए वहां के नेता विधायक सभी लोग साथ में रहे। मैं तो चारों तरफ घूमता हूं जहां लगता है वहां लड़ते हैं।
सवाल- ये खबरें क्यों आ रही हैं कि राकेश सिंह और आपके बीच में दूरियां है?
जवाब- नहीं मेरी दूरी दुनिया में किसी से नहीं हैं। मैं सबका मित्र हूं राकेश सिंह जी भी मेरे मित्र हैं।
सवाल- बार-बार ऐसा क्यों प्रचारित हो रहा है कि शिवराज को मध्यप्रदेश से दूर करने की कोशिश हो रही है?
जवाब- मुझे समझ में नहीं आता कि सवाल कौन खड़े करता है। मैं भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हूं। पार्लियामेंट्री बोर्ड का सदस्य हूं, अगर मुझे अलग-थलग करना होता तो किसने रोका था पार्लियामेंट्री बोर्ड से बाहर कर देते। पार्लियामेंट्री बोर्ड भारतीय जनता पार्टी की सर्वाधिक शक्तिशाली संस्था है जिसमें आज की तारीख में तो 6-7 लोग ही हैं।

सवाल- हनी ट्रैप पर कांग्रेस कह रही है कि पिछले 13 सालों से आपकी सरकार के समय से ट्रेप का खेल चल रहा था और आप खामोश बैठे थे?
जवाब- कांग्रेस को गंदी राजनीति नहीं करनी चाहिए हम ऐसे मामलों में राजनीति करने के पक्षधर नहीं हैं। मैंने पहले दिन कहा कि कानून अपना काम करे लेकिन सरकार मजाक ना करे। एक मामले की जांच में हफ्ते दो हफ्ते के अंदर तीन—तीन अधिकारी बदल दिए, क्यों बदले? पहले यह बताएं कि सरकार क्या छुपाना चाहती है। क्या दिखाना चाहती है। रोका किसने है, जिसके नाम हैं सामने लेकर आएं। सब पर संदेह के बादल गहरे कर दो, कोई भी किसी का भी नाम चला दें। यह करना भी पाप है। अगर कोई है तो स्पष्टता के साथ उसका नाम आना चाहिए। व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन में भी सुचिता रहनी चाहिए, नैतिकता रहनी चाहिए, लेकिन सार्वजनिक जीवन में जो लोग हैं चाहे वह नेता हों चाहे वह ब्यूरोक्रेट्स हों। नौकरशाहों की बात भी मैं कर रहा हूं, अगर उनके जीवन में नैतिकता और सुचिता नहीं है तो सार्वजनिक जीवन में रहने के वह हकदार नहीं हैं। ऐसे लोगों को सार्वजनिक जीवन से बाहर कर देना चाहिए।
इसलिए तथ्यपरक जांच होनी चाहिए वास्तव में अगर कोई है तो नाम सामने आना चाहिए। किसी को भी कुछ भी कह दो भाजपा के लोग हैं। भाजपा के लोग हैं, मजाक है क्या? तमाशा बना कर रख दिया? मैं मुख्यमंत्री जी से अपील करूंगा मध्य प्रदेश को बदनाम ना होने दें। हर एक को संदेह की दृष्टि से लोग न देखें। क्या मध्यप्रदेश में सब पापी हैं। क्या मध्यप्रदेश में सब अनैतिक लोग हैं। क्या कामुक लोग हैं। ये खुसर-खुसर बंद होनी चाहिए। ठीक से जांच हो पूरे प्रदेश को बदनाम मत करो भाई। हर नेता को बदनाम मत करो और हर नौकरशाह को बदनाम मत करो। जो है उसका नाम सामने ले आओ, बात खत्म।
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सवाल- झाबुआ चुनाव को इस तरीके से देखा जा रहा है कि यह सरकार का भविष्य तय करेगा?
जवाब- कोई एक चुनाव सीमित क्षेत्र का। किसी का भी भविष्य तय नहीं करता। मैं नहीं मानता कि एक चुनाव पूरे प्रदेश का भविष्य तय कर पाएगा। बाय इलेक्शन—बाय इलेक्शन होते हैं, लेकिन जब भी कोई बाय इलेक्शन की बात आती है तो इससे भविष्य तय हो जाएगा यह हमेशा से कहा जाता रहा है।
सवाल- अगर कांग्रेस झाबुआ उपचुनाव जीत जाती है तो उसके विधायकों की संख्या 114 से 115 हो जाएगी। वो बहुमत पा जाएगी तो क्या कांग्रेस सरकार कमेलिंग से भी बाहर हो जाएगी?
जवाब- देखिए ब्लैकमेलिंग से से तो कभी बाहर नहीं हो सकते। ब्लैकमेलिंग से साहस के साथ ही कोई व्यक्ति बाहर हो सकता है। कांग्रेस के लोग ही डराते रहते हैं हम चले जाएंगे हम भाग जाएंगे। हमें कोई डरने की जरूरत है क्या? जो डरते हैं वह डरते रहते हैं। उसका संख्या से भी मतलब नहीं होता। अगर कांग्रेस में ही गुट बन गया तो एक विधायक कम और ज्यादा होने से क्या होगा। जहां तक चुनाव का सवाल है भारतीय जनता पार्टी गंभीरता से चुनाव लड़ेगी और हम चुनाव जीतने का पूरा प्रयार करेंगे। लेकिन उसके कारण कोई प्रदेश की राजनीति में कोई बड़ा भूचाल आ जाएगा मैं ऐसा नहीं मानता।
सवाल- आप कह रहे हैं कि झाबुआ चुनाव जीतेंगे लेकिन जो आसार दिखने चाहिए वो दिख नहीं रहे हैं? बड़े नेताओं की सभाएं नहीं हो रही हैं?
जवाब- झाबुआ में जिनको काम दिया गया है, वह वहां पर गए हैं। पूरे प्रदेश की जरूरत नहीं है। जिनको काम दिया गया है वो काम पर लगे हुए हैं। मैं भी जाऊंगा नवरात्रि के बाद।
सवाल- मध्यप्रदेश में एक जुमला चल रहा है कि यहां पर शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ की सरकार है।
जवाब- पता नहीं ऐसे जुमले कौन चलाता है। मैं समझता हूं कि जितने आंदोलन मैंने किए हैं मध्यप्रदेश में इन 9-10 महीनों में कभी इतने आंदोलन नहीं हुए। मैं लड़ाई लड़ रहा हूं और जनता के हितों के लिए, जब भी जरुरत होगी लड़ाई लड़ता रहूंगा।
सवाल- नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव कहते हैं कि झाबुआ का चुनाव भारत और पाकिस्तान का चुनाव है?
जवाब- इसका स्पष्टीकरण वह देंगे, स्पष्ट करेंगे।

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सवाल- लेकिन पार्टी ने उनके बयान पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
जवाब- देखिए उनने जो कहा सोच समझकर कहा होगा। नेता प्रतिपक्ष हैं कुछ सोचकर बोला होगा। कुछ चीजें जरूर लगती हैं कि पाकिस्तान क्यों कांग्रेस का नाम लेता है। अगर इमरान कहीं भी जाते हैं तो कांग्रेस का ही नाम क्यों लेते हैं। अगर किसी कार्यक्रम में बुलाना होता है तो सरकार के मंत्री को नहीं कांग्रेस के नेता को क्यों बुलाता है पाकिस्तान। अब जब ऐसी बातें होंगी। तो उसका अर्थ अलग-अलग ढंग से निकाला जाता है।

सवाल- टाइगर जिंदा है आपने एक बार कहा और वह फिर कई मंचों से गूंजने लगा? टाइगर जिंदा है का मतलब क्या है?
जवाब- सीधी बात यह है सत्ता में मैं हूं या नहीं हूं, मुझे कोई अंतर नहीं पड़ता। फर्क नहीं पड़ता। आपने देखा कि जिस दिन 114 और 109 सीट तय हुईं मैंने रात को दो बजे तय कर लिया कि मैं इस्तीफा दूंगा। इस मत के लोग भी थे कि नहीं देना चाहिए, क्योंकि बहुमत उनका भी नहीं है। मैंने कहा कि जब उनके 114 विधायक हैं तो अब नैतिक नहीं होगा। मुझे पदों से कोई अंतर नहीं पड़ता, लेकिन मैं मुख्यमंत्री नहीं हूं इसका मतलब यह नहीं है कि जनता की लड़ाई लड़ना छोड़ दूंगा। सरकार इतनी करप्ट है कि हर चीज के रेट तय हैं, यहां हर चीज का रेट है, यहां तक कि पैसे खा-खाकर पोस्टिंग हो रही है। मैं नहीं बोल रहा हूं कांग्रेस के मंत्री बोल रहे हैं। मंत्री कहते हैं बिना लिए दिए नहीं होता बिना लिए दिए नहीं होता। ऐसी तमाशा सरकार कहीं आपने देखी है, टाइगर का मतलब यही है कि गड़बड़ होगी तो लड़ेंगे। जनता को न्याय दिलाएंगे। पूरे प्रदेश में त्राहि-त्राहि मची हुई है, आप कोई नाटक कहें नौटंकी कहें। मगर गड़बड़ होगी तो शिवराज लड़ेगा हम लड़ रहे हैं।
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सवाल- एक चीज जो समझ में नहीं आती कि जब भाजपा सरकार थी तो बीजेपी पर आरोप लगते थे कि वह नर्मदा में अवैध रेत खनन करा रही है आज कांग्रेस पर आरोप लग रहे हैं?
जवाब- कोई पार्टी खनन नहीं कराती, इंडिविजुअल्स कराते हैं। हमारी सरकार के समय प्रमाणिकता के साथ कार्यवाही होती थी। मीलों रेत फैली हुई है और रेत में पैसा है..लोग दौड़ते हैं कि जाएं ट्राली भरे.. ट्रक भरें और उसमें से पैसे कमा लें। रोकने की प्रमाणिक कोशिश की और उसी कोशिश में हमने पंचायतों को अधिकार दिए जिससे कि वह ज्यादा खनन न हो, लेकिन सरकार ने बदल दिया। आज हालत यह है कि कहीं भी चले जाओ पूरी सरकार रेत खोदने में लगी हुई है। प्रभारी मंत्री रेत खुदवा रहे हैं अलग-अलग हिस्सों में नेता लगे हुए हैं। अफसर सहयोग कर रहे हैं। नर्मदा जी को छलनी कर दिया और इसलिए मैं कहता हूं की पार्टी का नाम लेने की जरूरत नहीं है जो कर रहे हैं उनको पकड़ने की जरूरत है।
सवाल- मध्य प्रदेश सरकार ने मेयर चुनाव में बदलाव कर दिए हैं अब पार्षद मेयर चुनेंगे?
जवाब- पराजय के डर के कारण किया। पीछे हटाने वाला कदम है। लोकतंत्र में असली फैसला जनता के प्रतिनिधि नहीं जनता ही करे। प्रदेश में यह फैसला किया गया था कि हम मेयर हो, नगर पालिका अध्यक्ष हो सरपंचों इन सब के चुनाव डायरेक्ट करेंगे अब यह फिर इनडायरेक्ट की तरफ बढ़ गए। इनडायरेक्ट मतलब खरीद लो, पकड़ लो। सत्ता का दुरुपयोग कर लो, अब यह जोड़-तोड़ करेंगे। क्योंकि पता है कि जीत नहीं सकते। सत्ता का दुरुपयोग करके बाहुबल और धनबल का प्रयोग करके कैसे भी कहेंगे कि हमारा बन गया हमारा बन गया। मैं मुख्यमंत्री से और सरकार से मांग करता हूं ऐसा कदम न उठाएं। जैसा होता है वैसा ही होने दें बल्कि इससे दो कदम आगे बढ़ें और जिला पंचायत जनपद पंचायत अध्यक्षों का चुनाव भी जनता से करवाएं।
सवाल- मध्यप्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट होने जा रही है कमलनाथ सरकार की पहली इन्वेस्टर्स समिट है..ये दावे किए जा रहे हैं कि मध्यप्रदेश में अभी तक जितनी भी इन्वेस्टर्स समिट हुईं थी, उनमें कोई इन्वेस्ट नहीं आया था।
जवाब- अगर इंवेस्टमेंट नहीं आया तो टेक्सटाइल इंडस्ट्री कैसे मध्यप्रदेश में आई। आईटी इंडस्ट्री कैसे मध्यप्रदेश में आई, टीसीएस—इंफोसिस, इंदौर में ऑटोमोबाइल फैक्ट्री कैसे लगी। फूड प्रोसेसिंग की फैक्ट्री कैसे आई। किसी को गाली देना और आलोचना करना आसान है हमारी शुभकामनाएं हैं करें। लाएं इन्वेस्टमेंट हम साथ देंगे। जहां तक मध्य प्रदेश के डेवलपमेंट का सवाल है, मैंने एक बात हमेशा कही है सकारात्मक सहयोग करेंगे क्योंकि मेरा प्रदेश है। हम यह नहीं कह सकते कि 5 साल उनकी सरकार है तो प्रदेश अधोगति में जाए। इसलिए मैं सकारात्मक सोच का सहयोग देने का पक्षधर हूं। गड़बड़ होगी हम विरोध करेंगे..अच्छा इंवेस्टमेंट होगा तो अच्छा है लेकिन हमने भी कम नहीं किया।
सवाल- आपकी सरकार के समय के मामलों को वापस खोला जा रहा है। क्या दबाव बनाने की कोशिश है?
जवाब- नाटक ना करें। जांच करें बेकार की बातें ना करें, तथ्य हैं तो सामने लाएं।
सवाल- कमलनाथ सरकार ये कहती है कि आप सकारात्मक सोच नहीं रख रहे हैं। आप मंदसौर जा रहे हैं, सब जगह जा रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार पर इस बात का दबाव नहीं डाल रहे हैं कि वह मदद करे मध्य प्रदेश की?
जवाब- भैया संघीय ढांचा है। संघीय ढांचे में राज्य सरकार एक प्रॉपर प्रक्रिया पूरी करके केंद्र सरकार से सहायता मांगती है। चाहे प्राकृतिक आपदा हो या बाकी कोई चीज हो अब आप वह प्रक्रिया पूरी करो। हमारे समय में कब हमने पहले मदद मांगी, या ये कहा कि जब तक केन्द्र सरकार से पैसा नहीं आएगा हम मदद नहीं करेंगे। श्रीमान कमलनाथ जी 1 साल में 32 हजार 701 करोड़ रूपया एक साल में किसानों को खाते में हमने डाला था। हमको केन्द्र सरकार देगी तब करेंगे। आपका 2 लाख 35000 करोड़ का बजट है सबसे पहले आप उसमें से 20-25 हजार करोड़ रुपए निकालकर दे दो बाढ़ प्रभावितों को, किसानों को जिनकी फसल बर्बाद हुई है। अगर सकारात्मक सहयोग चाहिए तो आप बांटना शुरू करो 2 लाख 35000 करोड़ का बजट है। फिर जो एसडीआरएफ का पैसा होता है जिसमें 70 % हिस्सा केंद्र का होता है वह पैसा आपके पास रखा है। आप खर्च ही नहीं करोगे तो उससे पहले मदद क्यों देगा केंद्र।

सवाल- वह तो कह रहे हैं कि खजाना आप बिल्कुल खाली छोड़ कर गए हैं?
जवाब- अरे खजाना कभी खाली होता है, क्या सोना चांदी रखा था लेकर चला गया मैं। कुछ तो भी मतलब। यह तो मूर्खों के राज्य जैसी बात है। मूर्खता की पराकाष्ठा है खजाना खाली कर गए। अरे साहब खजाना कभी खाली होता है क्या। आता है और जाता है।
सवाल- राजनीतिक सवालों से हटके कुछ पर्सनल सवाल एक हमेशा आपके साथ आपकी पत्नी को खड़ा हुआ देखते हैं चाहे आप राजनीतिक तौर पर हों या व्यक्तिगत तौर पर आप सामाजिक कार्यक्रमों में जाते हैं तो पत्नी आपके साथ होती हैं आप राजनीतिक कार्यक्रमों में दिखते हैं तो पत्नी साथ होती हैं वजह क्या है?
जवाब- देखो अपना अपना दृष्टिकोण है मैं मानता हूं कि पत्नी अर्धांगिनी होती है एक रिश्ता भगवान ने ऐसा बनाया है और समाज ने की जिसमें साथ मिलकर लोग काम करते हैं। अब भगवान राम जब जंगल गए थे वन गए थे तो सीता मैय्या ने उनको नहीं छोड़ा वह उनके साथ गई थीं। हमारे यहां नारी की महत्ता को अगर आप देखें तो यत्र नारी पूज्यंते तज्ञ रमते देवता से लगाकर अगर सीता जी राम भगवान का नाम लेना है तो सीताराम राधे कृष्णा गौरीशंकर अगर आप गृहस्थ हैं। अपनी पत्नी के साथ रहते हैं तो उसमें आपत्ति क्या हो सकती है अच्छी बात है।
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सवाल- आपके दो बेटे हैं एक कार्तिकेय जो कि इन दिनों पॉलिटिक्स में एक्टिव दिखाई दे रहे हैं और दूसरे अभी पढ़ रहे हैं। क्या वाकई में दोनों को राजनीति में लाएंगे या किसी एक को लाएंगे?
जवाब- देखिए दोनों फैसला करेंगे। हमारे पिताजी ने हम पर अपनी मर्जी नहीं लादी। वह तो हमेशा यह चाहते थे कि मैं राजनीति में न आऊं। मैं डॉक्टर, इंजीनियर बनूं कोई नौकरी करूं लेकिन मेरे दिल में तड़प थी काम करता चला गया। सार्वजनिक जीवन में आ गया लेकिन किसी भी पिता को बच्चों पर अपनी इच्छा लादने का अधिकार नहीं है। वह स्वतंत्र हैं अपना फैसला करेंगे। अभी दोनों की पढ़ाई पूरी हुई है अपने अपने काम में भी लगे हैं। कार्तिक राजनीतिक कामों में भी रुचि लेता है तो उसकी अपनी मर्जी है। कुणाल की कोई अभी तक ऐसी इच्छा दिखाई नहीं दी।
सवाल- एक पिता के तौर पर अगर कार्तिकेय आपसे टिकट दिलवाने की बात करते हैं, तब क्या करेंगें?
जवाब- किसी को भी केवल इसलिए टिकट नहीं मिलेगा कि वह फलाने का बेटा है। किसी को भी नहीं। पिता इस मामले में राजनीतिक कार्यकर्ता के नाते पिता और कार्यकर्ता अलग नहीं हो सकता। अगर कार्तिकेय से योग्य कोई और व्यक्ति हो तो कार्यकर्ता और पिता जो योग्य है उसी का नाम लेगा। वैसे ही भारतीय जनता पार्टी में आप इस समय देख रहे हैं कि परिवारवाद का पक्षधर कोई भी नहीं है।
सवाल- आखिरी मूवी कौन सी देखी परिवार के साथ
जवाब- थोड़ा दिमाग पर जोर देना पड़ेगा मूवी मैं देखता हूं इसमें कोई दो मत नहीं लेकिन आखरी कौन सी थी यह जरा मुझे सोचना होगा। जी हां उरी देखी थी, जो
सर्जिकल स्ट्राइक पर बनी थी।
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सवाल- आपने कई बेटियों को गोद लिया है और कईयों की शादियां कराई हैं..लगातार आप कराते आ रहे हैं सबको यह पक्ष मालूम है लेकिन ख्याल कब आया था कि मुझे बेटियों को भी गोद देना चाहिए?
जवाब- मैंने बचपन से बेटियों के साथ अन्याय होते हुए देखा मेरे घर में देखा। यह बहुत पर्सनल बात है लेकिन मेरी मां भी मेरा ज्यादा ध्यान रखती थी, मेरी बहन का कम ध्यान रखती थी। मेरी दादी भी मुझे ज्यादा लाड़ करती थी और मेरी बहन को उतना लाड़ नहीं करती थी। यह बिल्कुल व्यक्तिगत बात आपको बता रहा हूं दोनों का स्वर्गवास हो गया है इसलिए मैं आरोप नहीं लगा रहा हूं। समाज की अवधारणा थी कि बेटा जरा ज्यादा इंपोर्टेंट है इसलिए मुझे तब भी पीड़ा होती थी। यह क्यों होता है घर से ही। उसके बाद मैंने गांव में देखा पति का शासन पत्नी पर चलता है अगर पति और पत्नी का झगड़ा हुआ तो डंडा उठाया और पत्नी को मार दिया। मेरे गांव में मैं देखता था कि एक पति अक्सर अपनी पत्नी को मारता था और वो पत्नी दौड़ती हुई हमारे घर में घुस आती थी। पीछे से वो आदमी भी आता था लेकिन दरवाजे से ही वापस चला जाता था और वह महिला रोती बिलखती रहती थी। मुझे लगता था कि भगवान यह भेद क्यों। तब से मेरे चेतन मन में यह बात आई और मैं बचपन से ही कहता था कि बेटा बेटी बराबर होना चाहिए। तो पहले पहले छोटे-मोटे सम्मेलन में सामूहिक सम्मेलनों में बेटी को आने दो बेटी के बिना दुनिया नहीं चलती बोलता था। फिर एक बार एक अम्मा ने खड़े होकर कह दिया था बड़ी बात कर रहा है बेटी—बेटी। बेटी बड़ी हो जाएगी तो क्या शादी में दहेज का इंतजाम तू करवाएगा।
बातें तो बहुत कर लेते हैं। तब मुझे लगा कि कुछ ना कुछ करना पड़ेगा केवल भाषण से काम नहीं चलेगा। जब विधायक बना तो एक अनाथ बेटी का कन्यादान किया तो बड़ा आत्मीय शांति मिली। शादी के बाद पत्नी के साथ मिलकर सांसद रहते हुए हमने कन्या विवाह का कार्यक्रम चालू किया। अपने मित्रों के सहयोग से मैं जितना लगा सकता था, बाकी मित्रों के सहयोग से करता था। जब सरकार बनी कन्यादान योजना ही बना दी। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना और निकाह योजना बनाई। बेटी को लोग बोझ मानते हैं, बेटी बोझ नहीं रहनी चाहिए।
सवाल- शादी से पहले क्या कोई लड़की पसंद आई थी, क्या कोई क्रैश हुआ था?
जवाब- एक बात बहुत स्पष्टता के साथ बताता हूंं। मैं मूलत: अध्यात्मिक व्यक्ति रहा हूं और बचपन से ईश्वर में मेरा भरोसा रहा है नर्मदा के किनारे मेरा गांव है साधु संत बड़ी संख्या में आते हैं। मैं व्यक्तिगत जीवन में सुचिता और नैतिकता को बड़ा महत्व देता था और इसलिए मेरी दृष्टि बन गई थी कि मेरी बहने हैं या मेरी माता हैं। बड़ा हुआ तो मेरे मन में बेटी का भाव आया। कॉलेज में एक बार मित्र एक दूसरे को फूल दे रहे थे तो मेरे मन में ख्याल आया। एक फ्रेंड्स को मैंने भी फूल दिया, उसकी एक आंख नहीं थी। उस पर मेरा स्नेह उमड़ा तो मैंने उसे बहन करके फूल दिया।
मैं जब विधायक से सांसद बना तो मैंने सबसे पहला निर्णय विवाह करने का लिया। मुझे पता था कि सत्ता के करीब होने के कारण मेरे आस पास कई तरह के लोग आएंगे। इसलिए बेहतर है कि शादी कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश कर लिया जाए। उसके बाद मैं सभी कार्यक्रमों में पत्नी के साथ ही शामिल होता था। इसने मुझे सभी के बीच में एक मजबूत रिश्ता दिया। मुझे बहन और बेटी ही मिली और कोई नहीं।

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