मध्यप्रदेश में कार्यरत लाखों संविदा कर्मचारियों को हाईकोर्ट के ताजा फैसले से निराशा हो सकती है। संविदा कर्मचारियों की सेवा अवधि पर हाईकोर्ट ने नया आदेश जारी कर दिया है। कोर्ट ने इस महत्वपूर्ण आदेश में साफ कर दिया कि संविदा कर्मचारी निर्धारित समयावधि खत्म होने के बाद सेवा समाप्ति के लिए सुरक्षा का दावा नहीं कर सकते।
जबलपुर हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सक्सेना और न्यायाधीश विनय सराफ की युगलपीठ ने इस संबंध में राज्य सरकार की अपील स्वीकार करते हुए ये आदेश जारी किए। युगलपीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि तय की गई सेवा अवधि के बाद संविदा कर्मचारी को हटाने को प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन नहीं माना जा सकता है।
ये है मामला
प्रदेश सरकार ने सन 2010 में डाटा एंट्री के लिए 2 साल की संविदा नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किए। इसपर सन 2011 में 50 पदों पर संविदा नियुक्ति की गई। 2013 में सभी कर्मचारियों की संविदा अवधि दो साल के लिए बढ़ा दी गई। 2016 में सिर्फ 21 कर्मचारियों की सेवा अवधि बढ़ाई। 2018 में योजना एवं सांख्यिकी विभाग के आयुक्त ने सभी संविदा नियुक्ति समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए जिसके विरुद्ध हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। याचिका पर कोर्ट की एकलपीठ ने संविदा नियुक्ति समाप्त किए जाने के आदेश को निरस्त करते हुए याचिकाकर्ताओं को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के आदेश जारी किए। इसके विरुद्ध राज्य सरकार ने अपील की। इस बार हाईकाेर्ट की युगलपीठ ने सुनवाई की और राज्य सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए एकलपीठ के पूर्व आदेश को निरस्त कर दिया।