मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बैंच में बुधवार को दो अलग अलग अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई हुई। करीब दशकभर पुरानी एक याचिका के केस में जस्टिस अनिल वर्मा अधिकारियों पर गुस्सा उठे। उन्होंने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर डीजीपी और कलेक्टर को खुद आकर विलंब का कारण बताने को कहा।
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पेंशनर की अवमानना याचिका पर जस्टिस अनिल वर्मा ने अधिकारियों को खूब लताड़ लगाई। याचिकाकर्ता कैलाश नारायण की याचिका में कहा गया था कि वे रेवेन्यू इंस्पेक्टर थे, भ्रष्टाचार के आरोप में उन्हें सजा हो गई। उनकी पेंशन रोक ली गई, लेकिन अन्य लाभ दिए जाने के लिए कोर्ट ने आदेश कर दिया था। इसके बाद भी वित्तीय लाभ नहीं दिए गए। कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किए जाने पर याचिका दायर की गई।
हाईकोर्ट में याचिका पर सुनवाई पर जस्टिस अनिल वर्मा ने खासी नाराजगी जताई। उन्होंने तल्ख सुरोें में कहा— जब पेंशनर मर जाएगा, क्या तब करोगे कोर्ट के आदेश का पालन! जस्टिस अनिल वर्मा ने सख्ती से पूछा- किसी सरकारी कर्मचारी का सर्विस रिकार्ड दुरुस्त रखना किसकी जिम्मेदारी है? अधिकारी ही तो यह काम करेंगे, कब तक कागजी घोड़े दौड़ाते रहोगे?
कोर्ट ने ग्वालियर और दतिया के कलेक्टरों द्वारा एक दूसरे पर मामला थोपने पर नाराजगी जताई। जस्टिस अनिल वर्मा ने अगली सुनवाई में दोनों को ही कोर्ट में मौजूद रहने को कहा।