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ब्लैक फंगस का सबसे ज्यादा खतरा इन्हें- मंत्री सारंग
चर्चा के दौरान बीमारी के कारण, फैलाव के आधार, प्राथमिक लक्षण की पहचान, इलाज और उपचार को लेकर चर्चा की गई। मंत्री सारंग के मुताबिक, म्यूकर (ब्लैक फंगस) के बारे में आमजन और मरीजों के लिये जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। सारंग के मुताबिक, प्रदेश में बनने वाले ये म्यूकर यूनिट देश में पहली जगह स्थापित होंगे।इसके पहले चरण में भोपाल और जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में यूनिट बनाई जाएगी। सारंग ने कहा कि, बीमारी की रोकथाम के लिए रोडमैप बनाए गए हैं। ब्लैक फंगल इंफेक्शन से ग्रस्त कुछ मरीजों की सर्जरी कर संक्रमित अंगों को निकालना भी पड़ा है। उन्होंने बताया कि, इस इंफेक्शन का अधिक खतरा डायबिटीज के मरीजों को है।
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दोनों शहरों में 10-10 बिस्तरों की होगी यूनिट
मंत्री विश्वास सारंग ने कह कि, ब्लैक फंगस को लेकर प्रदेश सरकार अलर्ट मोड पर काम कर रही है। इसकी रोकथाम और उपचार के लिए पहले फेज में भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज और जबलपुर मेडिकल कॉलेज में 10-10 बिस्तरों की यूनिट बनाई जाएगी। अगले फेस में प्रदेश के अन्य शहरों का चयन किया जाएगा। बीमारी में मुख्य रूप से चार विंग ENT, नेत्रों रोग विभाग, न्यूरोलॉजी और मेडिसिन इन्वॉल्व होंगी।। इन चारों विभाग को मिलाकर एक यूनिट शुरू की जाएगी।
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आइये जानते हैं ब्लैक फंगस से जुड़ी कुछ अहम बातें, जो अब तक आपको पता नहीं होंगी।
(1)-ब्लैक फंगस क्या है?
ये एक फंगल डिसीज है, जो म्यूकर माइकोसिस नाम का फंगल है। इस संक्रमण के शिकार अधिकतर वो लोग हो रहे हैं, जो पहले से ही किसी बीमारी के शिकार हैं। जिसके चलते शरीर का इम्युनिटी लेवल कम रहता हो। खासकर ये संक्रमण डायबिटीज के मरीजों के लिये ज्यादा घातक साबित हो रहा है। ये शरीर की दूसरी बीमारियों से लड़ने की ताकत कम करता है। ये शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है।
(2)-ब्लैक फंगस शरीर में कैसे पहुंचता है?
ज्यादातर सांस के जरिए वातावरण में मौजूद फंगस शरीर में पहुंचता है। अगर शरीर में किसी तरह का घाव या शरीर कहीं जला है, तो वहां से भी ये फंगस शरीर में पहुंच सकता है। अगर इसे शुरुआती दौर में ही डिटेक्ट न किया जाए, तो इसका सबसे गहरा प्रभाव आंखों पर पड़ता है। इससे आंखों की रोशनी तो जाती ही है, साथ ही साथ आंखों का मूवमेंट भी खत्म हो सकता है। अब तक सामने आए मामलों में शरीर के जिस हिस्से पर इसका अधिक प्रभाव पड़ा है, वो फंगस के चलते सड़ तक गया है।
(3)-ब्लैक फंगस कहां पाया जाता है?
ये गंभीर, लेकिन रेयर इंफेक्शन है। ये फंगल वातावरण में कहीं भी हो सकता है। खासतौर पर जमीन और सड़ने वाले ऑर्गेनिक मैटर्स में। जैसे पत्तियां, सड़ी लकड़ियां और कम्पोस्ट खाद में इसके होने की अधिकता रहती है।
(4)-ब्लैक फंगस के लक्षण क्य है?
शरीर के किस हिस्से में इंफेक्शन है, उस पर इस बीमारी के लक्षण निर्भर करते हैं। चेहरे का एक तरफ से सूज जाना, सिरदर्द होना, नाक बंद होना, उल्टी आना, बुखार आना, चेस्ट पेन, साइनस कंजेशन, मुंह के ऊपर हिस्से या नाक में काले घाव दिखाई देना, इनमें से कई लक्षण संक्रमित व्यक्ति के शरीर में बहुत तेजी से दिखाई देने लगते हैं।
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