वन विभाग ने वनरक्षकों को 5680 मूलवेतन देने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था। इसका जब वित्त विभाग ने परीक्षण कराया तो पता चला कि वन रक्षक भर्ती नियम का उल्लंघन किया गया है। जहां भर्ती नियम के अंतर्गत 5200 मूलवेतन देने दिया जाना था, वहां 6592 वनरक्षकों को 5680 मूलवेतन दे दिया गया। वित्त विभाग के मुताबिक वन विभाग ने वेतन की गलत गणना की और कोषालय अधिकारी भी उन्हें बढ़ा हुआ वेतन जारी करते रहे।
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सरकार ने दिया वसूली का आदेश
वित्त विभाग ने इस गड़बड़ी की शिकायत राज्य सरकार से की। राज्य की मोहन सरकार इस गड़बड़ी पर बड़ा एक्शन लेते हुए वनरक्षकों से पैसे वसूलने का आदेश दिया है। आदेश में कहा गया है कि 6592 वनरक्षकों से कुल 165 करोड़ की वसूली की जाएगी। इसमें साल 2006 से कार्यरत प्रत्येक वनरक्षक से पांच लाख रूपए और 2013 से कार्यरत वनरक्षक से 1.5 लाख रुपए वसूले जाएंगे। इस पर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज भी लौटना होगा। यह राशि सरकारी खजाने में जाएगी। यह भी पढ़े – Alert: लगातार निकल रहे जहरीले सांप, सर्पदंश की घटनाएं बढ़ी