राज्य में इन आदिवासी समुदायों के अलावा भील, गोड़, कोल, कोरकू आदि आदिवासी समुदाय भी निवास करते हैं, परंतु राज्य सरकार ने उपरोक्त तीन समुदायों को इनके निम्न सामाजिक-आर्थिक और जनसांख्यिकीय संकेतकों के कारण विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह यानी पीटीजी की श्रेणी में रखा है। इन्हें पहले विशेष आदिम जनजातीय समूह यानी एसपीटीजी की श्रेणी में रखा गया था।
पिछले चुनाव में भाजपा को केवल 16 सीटें
प्रदेश की कुल आबादी का 21 फीसदी आदिवासी समुदाय से आता है। इनमें भी 8 फीसदी आबादी अजजा की है। हालांकि पिछले चुनाव में भाजपा 47 अजजा सीटों में से 16 ही जीत सकी थी। कांग्रेस के पाले में 30 सीटें गई थीं। ऐसे में भाजपा इन सीटों में बढ़ोतरी के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है और आदिवासी समाज की शख्सियतों रानी दुर्गावती, शंकर शाह और उनके बेटे रघुनाथ शाह के माध्यम से इन्हें लुभाने का प्रयास कर रही है।
महाकौशल पर ज्यादा फोकस… क्योंकि 38 सीटें दांव पर
महाकौशल में आदिवासी समुदाय के इलाकों में विधानसभा की 38 सीटें हैं। इनमें से छिंदवाड़ा में सात सीटें हैं। यह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के प्रभाव वाला इलाका है। भाजपा मुख्य रूप से महाकौशल क्षेत्र पर ज्यादा फोकस कर रही है। 2018 में कांग्रेस ने 24 पर जीत दर्ज की थी। भाजपा 13 पर जीती थी। 2013 में भाजपा को 24 सीटों पर जीत मिली थी और कांग्रेस को महज 13 सीटों पर। ऐसे में महाकौशल, बालाघाट, डिंडोरी और मंडला में भाजपा को लाड़ली बहना जैसी योजना का लाभ मिल सकता है। इसी तरह बैगा और भारिया जनजातियों का 16 अजजा सीटों पर प्रभाव है।
उत्तरी मध्यप्रदेश महत्त्वपूर्ण क्यों
यह क्षेत्र भाजपा के लिए खास मायने रखता है। यहां 34 सीटें हैं। 2008 में 16 और 2013 में 20 सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया था। 2018 में कांग्रेस ने 26 सीटें जीतकर अपने राजनीतिक रसूख का परिचय दिया। 2020 में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया 22 समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए, तो उसकी सीटों की संख्या 16 तक पहुंच गई थी।
कहां कौन सा समुदाय
बैगा आदिवासी
– महाकौशल के मंडला, बालाघाट, डिंडोरी और शहडोल जिले में।
– 04 लाख के लगभग आबादी
– भारिया आदिवासी
छिंदवाड़ा जिले से लगभग 78 किलोमीटर दूर पातालकोट में।
– 1.9 लाख आबादी निवासरत
– सहारिया आदिवासी
ग्वालियर, अशोकनगर, दतिया, गुना श्योपुर, भिंड, मुरैना, शिवपुरी जिला।
– 6.1 लाख के लगभग आबादी