भोपाल

कांग्रेस नेता अजय सिंह ने दिया अटकलों पर विराम बोले- अगला चुनाव लड़ूंगा और जीतूंगा

कांग्रेस नेता बोले- बदल रही है राजनीतिक हवा

भोपालJun 02, 2022 / 01:03 pm

दीपेश तिवारी

भोपाल । Bhopal

मध्यप्रदेश में नगरीय व पंचायत चुनाव के बीच एक बार फिर कांग्रेस के नेता अपना दमखम दिखा रहे हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में अत्प्रयाशित हार का समाना करने वाले कांग्रेस नेता अजय सिंह ने भी विधानसभा चुनाव-2023 के लिए ताल ठोंक दी है। अजय ने बुधवार को कहा कि अगला चुनाव जोर-शोर से लडूंगा और जीतूंगा भी। प्रदेश की राजनीतिक हवा बदल रही है।

अजय ने कहा, कहा जा रहा है कि मैंने अगला चुनाव लड़ने से इनकार किया है, लेकिन ये भाजपा की डर्टी पॉलीटिक्स है। मैं अगला चुनाव अपनी परंपरागत सीट चुरहट से ही लडूंगा। भाजपा किसी मुगालते में न रहे। चुरहट की जनता का भरोसा अब भी साथ है, इसलिए अगले विधानसभा चुनाव में पूरे जोर-शोर से उतरूंगा।

हार के बाद से पार्टी में हाशिये पर…
अजय सिंह विस चुनाव हारने के बाद से हाशिये पर हैं। हालांकि हार के बाद कुछ विधायक सीट छोड़ने की पेशकश की थी, पर अजय ने इनकार किया था। जब सरकार बनी तब भी हारने के कारण वे साइडलाइन रहे। फिर सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार आई, तब भी उपचुनाव के दौर को छोड़कर ज्यादा सक्रिय नहीं दिखे। इसके चलते उनके चुनाव न लड़ने की अटकलें थीं।

जानें अजय सिंह उर्फ राहुल भइया से जुड़ी कुछ खास बातें:
सबसे पहले ये जान लें कि अजय सिंह ने अपनी शिक्षा से कैंपियन स्कूल,इसके पश्चात वे श्रीराम कॉलेज दिल्ली से स्नातक की पढ़ाई की। श्री सिंह स्कूल के दिनों में क्रिकेट टीम के कैप्टन भी रहे है।

अजय सिंह प्रसिद्ध कांग्रेस नेता दिवंगत अर्जुन सिंह के पुत्र हैं। दिवंगत अर्जुन सिंह कभी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री भी रह चुके हैं। अजय सिंह बॉलीवुड अभिनेता अरुणोदय सिंह के पिता हैं।

अजय सिंह राहुल भैया के नाम से प्रसिद्ध श्री सिंह विंध्य की राजनीति के बड़े नाम है। श्री अजय सिंह की गिनती मध्य प्रदेश के बड़े कांग्रेस नेताओं में होती है। अजय सिंह वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव हार गए हैं। इससे पहले वह मध्य प्रदेश विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके है।

ऐसे समझें अजय सिंह का राजनीतिक कॅरियर…
अजय सिंह छह बार लगातार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं और मध्यप्रदेश में 1985 और 1991 में सीधी जिले के चुरहट विधान सभा क्षेत्र से उप-चुनाव में विधायक के रूप में चुना गया था। 1998 में उन्हें तीसरी बार विधायक चुना गया और मध्यप्रदेश सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास, पर्यटन और संस्कृति विभागों के कैबिनेट मंत्री बन गए।

2003 में चौथी बार और 2008 में वे पांचवी बार मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। 15 अप्रैल, 2011 को मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में चुने गए थे। 2013 में छठी बार विधायक बने। 27 फरवरी, 2017 को वह दूसरी बार विपक्ष के नेता के रूप में चुने गए, लेकिन 2018 में हुए विधानसभा में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। जबकि अजय सिंह विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री की दौड़ में दावेदार माने जा रहे थे।

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