जनवरी से अभी तक ऐसा कोई महीना नहीं गया है, जब कमलनाथ सरकार ने कर्ज नहीं उठाया हो। पिछली भाजपा सरकार पर कर्ज को लेकर सवाल उठाने वाली कांग्रेस अब इस कर्ज को विकास के लिए उठाया जाने वाला कर्ज बता रही है, लेकिन इससे टैक्स का बोझ आम आदमी पर बढ़ता जा रहा है। सरकार को अभी हाल ही में वाहनों पर टैक्स बढऩा पड़ा है।
सरकार पर अभी कर्ज की स्थिति
1.82 लाख करोड़ का कुल कर्ज
1.05 लाख करोड़ खुले बाजार से
12200 करोड़ वित्तीय संस्थानों से
17137 करोड़ केंद्र से कर्ज व अग्रिम
22741 करोड़ केंद्रीय सुरक्षा व अन्य
7501 करोड़ पॉवर बांड सहित अन्य
कर्जमाफी ने बिगाड़ी बैंकों की हालत
कांग्रेस सरकार की किसान कर्जमाफी के कारण सहकारी बैंकों की हालत खराब हो चुकी है। बैंकों में रखी पूंजी भी खत्म हो चुकी है। अब इस कर्ज के जरिए ही सरकार बैंकों की माली हालत को सुधारने की कोशिश करेगी। इससे अन्य विकास कार्य भी किए जाएंगे।
इनके लिए ले रहे कर्ज
– सिंचाई के लिए निर्माण कार्य
– परिवहन व कम्युनिकेशन
– सहकारिता बैंकों के लिए
– अधोसंरचना विकास के लिए
– बिजली व्यवस्था के लिए