स्कूल गए भी या नहीं बोर्ड ने सरकारी एवं निजी स्कूलों से विद्यार्थियों की तिमाही, छमाही और प्री बोर्ड की परीक्षाओं के अंक मांगे थे। लेकिन ऐसे कई विद्यार्थी थे, जिन्होंने कोई भी आंतरिक परीक्षा ही नहीं दी। ऐसे विद्यार्थियों के अनुपस्थिति भरकर भेजी गई लेकिन चूंकि सभी विद्यार्थियों को पास करना था, इसलिए इन सबको को भी 33-33 कृपांक देकर उत्तीर्ण घोषित कर दिया गया। खास बात यह है कि इन विद्यार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन के नम्बर ही उपलब्ध नहीं थे बल्कि इनमें से कई तो ऐसे थे जो साल भर में एक भी दिन स्कूल तक नहीं आए लेकिन उत्तीर्ण हो गए।
प्राइवेट वालों का नहीं होता आंतरिक मूल्यांकन स्कूलों में पढऩे वाले नियमित विद्यार्थियों के साथ स्वाध्यायी विद्यार्थियों को भी प्राइवेट फार्म भरकर बोर्ड परीक्षा देने का मौका मिलता है। ऐसे विद्यार्थी किसी स्कूल में नहीं जाकर खुद काम या दूसरी गतिविधियां करते हुए अपने सुविधानुसार समय निकालकर पढ़ाई करते हैं और आखिर में बोर्ड की परीक्षा देते हैं। ऐसे 79 हजार 188 विद्यार्थी थे जो स्कूल गए ही नहीं वहीं परीक्षा भी नहीं हुई लेकिन नीति के चलते इन्हें पास कर दिया गया और सभी बिना एक भी दिन स्कूल गए या कोई भी परीक्षा दिए पूरी तरह कृपांक पर उत्तीर्ण हो गए।