राजधानी की ढाई साल की सिद्धि मिश्रा माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचने वाली सबसे कम उम्र की बच्ची बन गईं। सिद्धि ने अपनी मां भावना डेहरिया के साथ बेस कैंप तक पहुंचकर इतिहास रचा। सिद्धि ने अपने माता-पिता भावना डेहरिया और महिम मिश्रा के साथ 22 मार्च को एवरेस्ट बेस कैंप (ईबीसी) ट्रेक पूरा किया। सिद्धि की मां ने 22 मई, 2019 को दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर चढ़ाई की थी।
उल्लेखनीय है कि एवरेस्ट बेस कैंप (ईबीसी) समुद्र तल से 5 हजार 364 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। अत्यधिक ठंडे मौसम का सामना करने वाली सिद्धि के लिए यह आसान नहीं था, इसलिए उसकी मां ने डेबोचे (3820 मीटर) में रहने का फैसला किया, क्योंकि टेंगबोचे में मौसम बहुत ठंडा था।
मां ने बचपन से चढ़े पहाड़
भावना डेहरिया ने बताया कि ढाई साल की बच्ची के लिए ईबीसी तक पहुंचना आसान नहीं है। छिंदवाड़ा जिले की भावना ने गांव तामिया के आसपास की पहाडिय़ां चढऩा शुरू की। 22 मई 2019 को एवरेस्ट फतह किया था, वे बेटी में भी यह शौक बढ़ा रही हैं।
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भावना डेहरिया दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवेरेस्ट (8848 मी) को फतह करने वाली मध्यप्रदेश की पहली और सबसे कम उम्र की महिलाओं में से एक है। भावना ने 22 मई 2019 को दुनिया के सबसे ऊंचे शिखर पर सबमिट के साथ भारत का तिरंगा लहराया था। भावना मध्यप्रदेश के तामिया, जिला छिंदवाड़ा की रहने वाली है और भोपाल से फिजिकल एजुकेशन में एमपीईडी मास्टर्स कर रही हैं। उसके पिता शिक्षक हैं। भावना के अलावा परिवार में एक भाई और तीन बहनें हैं। भावना आस्ट्रेलिया की सबसे ऊंची चोटी को फतह कर वहां होली के मौके पर रंग-गुलाल खेल चुकी हैं। भावना बताती हैं कि ‘एलिसन जेन हरग्रीव्स ने गर्भावस्था के दौरान भी चढ़ाई करने के लिए मुझे प्रेरित किया। वह अपने बच्चे के साथ 6 माह माह की गर्भवती होने के बावजूद एइगर (आल्प्स) पर चढ़ गई। यह दुनिया की ऐसी पर्वतारोहिओं में से है जो 13 अगस्त 1995 को शेरपा और ऑक्सीजन के समर्थन के बगैर एवरेस्ट पर पहुंची थीं।