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भोपाल

बिलबिलाते बच्चे को देख मां ने डाल दी एक्सपायरी आई ड्रॉप, जली पुतली, देखें वीडियो

Bhopal news: बच्चे को देख मां ने जल्दबाजी में फ्रिज में रखी एक्सपायरी आई ड्रॉप बिना देखे डाल दी।

भोपालJan 08, 2025 / 11:11 am

Astha Awasthi

Bhopal news

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Bhopal news: खेल-खेल में सुल्तानपुर निवासी 12 वर्षीय वंश की आंख में मिट्टी जाने से खुजली शुरू होने लगी थी। बिलबिलाते बच्चे को देख मां ने जल्दबाजी में फ्रिज में रखी एक्सपायरी आई ड्रॉप बिना देखे डाल दी। जिसने बच्चे की दाई आंख की पुतली को जला दिया।
यह घटना जनवरी माह साल 2024 की है। इसके बाद दो माह तक सुल्तानपुर में इलाज से आराम नहीं मिलने पर वह मार्च माह में एम्स आया। जहां कॉर्निया ट्रांसप्लांट कर दान में मिले नेत्र लगाए गए। इलाज के दौरान वंश गंभीरता से डॉक्टरों की बात सुनता था और जिस समस्या का जिक्र करते थे, उन्हें गूगल पर सर्च करता था। इसी रिसर्च के दौरान उसे href="https://www.patrika.com/bhopal-news" data-type="link" data-id="https://www.patrika.com/bhopal-news" target="_blank" rel="noopener">भोपाल एम्स में कॉर्निया ट्रांसप्लांट की जानकारी मिली थी। यहां आंख का इलाज दो माह तक चला। जिसमें पुतली (कॉर्निया) के अलावा आसपास की डैमेज नर्व का इलाज किया गया।

बच्चे की सराहना

एम्स के नेत्र विभाग की एचओडी डॉ. भावना शर्मा ने बताया कि इस सर्जरी को सफल करने में पीड़ित बच्चे का पूरा सहयोग मिला। जिस तरह से हमने ट्रीटमेंट बताया उसने पूरी तरह से फॉलो किया। यही नतीजा है कि आज वह अपनी खोई आंख प्राप्त कर सका।

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नौ साल के बच्चे में दुर्लभ रोग

जन्म के तीन दिन बाद लिवर में पहले से जुड़ी दो नसें अलग हो जाती हैं। यदि दोनों नसें जुड़ी रह जाएं तो इसे इंट्राहेपेटिक पोर्टोकैवल शंट नामक रोग कहते हैं, जो फेफड़ों में खून के गुच्छे और अमोनिया के बढ़े हुए स्तर का कारण बनता है। इसी से पीड़ित 9 साल के मासूम का एम्स में गर्दन की नस के रास्ते सफल ट्रांस केथेटर क्लोजर विधि से इलाज किया गया।
एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ. भूषण शाह ने बताया कि दोनों नसें जुड़ी होने से खराब और साफ दोनों खून आपस में मिल रहे थे। जिससे ऑक्सीजन सैचुरेशन का स्तर 75 फीसदी से नीचे आ गया था। जिससे बच्चा ब्रेन डेड हो सकता था। यह सर्जरी एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ. भूषण शाह, डॉ. सुदेश प्रजापति और डॉ. आशीष जैन के साथ कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ. हरीश द्वारा की गई।

अब डॉक्टर बनना है लक्ष्य

वंश ने बताया कि अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है। घटना के बाद करीब 6 माह तक स्कूल नहीं जा सका, लेकिन अब उसका लक्ष्य डॉक्टर बनने का है। जिससे वे पीड़ित लोगों का इलाज कर उन्हें स्वस्थ कर सके।

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