लॉकडाउन के दौरान ऐसे केसों में वृध्दि देखने को मिली। जो महिलाऐं विधवा थीं, उन्होंने आर्थिक तंगाली के चलते कम उम्र में बच्चियों की शादी कर दी। शहर की चाइल्डलाइन के मुताबिक कई मामलों में माता- पिता के साथ बच्ची की रजामंदी देखने को मिली है, हालांकि ऐसे केसों में ये भी पाया गया, कि उन लड़कियों को ये ज्ञात ही नहीं होता, कि उनका विवाह किससे हो रहा है, और दूल्हे की उम्र क्या है। संस्था ने बताया, ये तो केवल आधिकारिक आंकड़ा है, जिनमें हमने नाबालिक लड़कियों और लड़कों के हो रहे विवाह पर रोक लगवाई है। अनाधिकारिक रूप से ये आंकड़ा अधिक है।
14 साल की लड़की और 28 साल के लड़के की शादी रुकवाई
आरम्भ चाइल्डलाइन ने पत्रिका को बताया भोपाल की 14 वर्षीय लड़की और विदिशा के 28 वर्षीय लड़के के विवाह की जानकारी हमें प्राप्त हुई। जिसके बाद हमने शासन को अवगत कराया, और हमारी टीम दौनों पक्षों को ढ़ूढ़ने लगी। काफी मशक्कत के बाद दौनों की शादी को रोक दिया गया। जब संस्था ने युवक से बात की तो, उसने लड़की की आयु जानने से इनकार कर दिया। जबकि 14 वर्षीय नाबालिक लड़की ने कहा, कि वह मां-बाप की रजामंदी पर ऐसा कर रही थी। हालांकि बाद में प्रशासन की मदद से इस विवाह को रोक दिया गया। इस तरह के मामलों पर रोक लगवाने के बाद आंगनबाढ़ी आदि कार्यकर्ता दौनों पक्षों पर नजर बनाए रखते हैं, ताकि वे फिर से चुपचाप बालविवाह न करा सकें।
बालविवाह रोका, तो मां ने खुद को कमरे में बंद कर लिया
शहर में ही कुछ माह पहले एक ऐसा मामला भी देखने को मिला जहां चाइल्डलाइन की गाड़ी आगे चल रही थी, तो बारात गाड़ी के पीछे बैंडबाजे के साथ आ रही थी। घर में शादी की पूरी तैयारियां हो रखी थीं। रिश्तेदारों के साथ-साथ बारातियों के लिए खाना भी तैयार था। मौके पर पहुंची चाइल्डलाइन की टीम ने जब बालविवाह रुकवाने की कोशिश की, तो लड़की की मां ने खुद को कमरे में बंद कर लिया और आत्मदाह की धमकी देने लगी। उसे प्रशासन की सहायता से बाहर निकलवाया गया और दौनों पक्षों के बीच ये सहमति बनी, कि जब लड़का और लड़की बालिग हो जाऐंगे विवाह तभी होगा।
आरम्भ चाइल्डलाइन, भोपाल की डायरेक्टर अर्चना सहाय के मुताबिक अधिकतर केस ऐसे देखे गए, जिसमें लड़कियों ने खुद की मर्जी से शादी करने की बात कही, लेकिन उसके पीछे की वजह कुछ और ही होती है। जैसे मां-बाप का बच्ची को शादी के लिए राजी करना आदि..साथ ही जिले में बालविवाह के मामलों में कमी लाने के लिए हमारी टीम जागरूकता अभियान चलाती है। और अप्रैल के महीने में अक्षय तृतीया में हमारा अभियान और भी तेज हो जाता है। क्योंकि इस सीजन में प्रदेश में सामूहिक विवाह भी होते हैं। हमारी कोशिश रहती है, इसका फायदा उठाकर कोई बालविवाह न करा सके।