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Modi Cabinet: शिवराज समेत 5 मंत्रियों के मोदी कैबिनेट में जाने से क्या दिखेगा असर

Modi Cabinet: मध्य प्रदेश में बीजेपी की महाविजय के बाद पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश के कद्दावर मंत्रियों को मोदी केबिनेट में शामिल कर एमपी को रिटर्न गिफ्ट तो दे दिया लेकिन अब सवाल ये है कि इन मंत्रियों के मोदी केबिनेट में शामिल होने से प्रदेश पर इसका क्या असर नजर आ सकता है, मोहन सरकार को इसका कितना फायदा

भोपालJun 10, 2024 / 08:01 am

Sanjana Kumar

modi cabinet

Modi Cabinet: लोकसभा चुनाव में भाजपा की महाविजय से मध्यप्रदेश का कद बढ़ा है। परफेक्ट 29-0 की जीत का पीएम मोदी ने पांच चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल कर रिटर्न गिफ्ट दिया, यह प्रदेश की कुल सीटों का 17 फीसदी है। इसके गहरे संकेत भी हैं। सबसे ज्यादा फायदे में मध्यक्षेत्र है। यहां से शिवराज सिंह विदिशा और दुर्गादास उइके बैतूल से मंत्री बनाए गए हैं। चंबल-ग्वालियर से ज्योतिरादित्य सिंधिया, बुंदेलखंड से वीरेंद्र कुमार और मालवा से सावित्री ठाकुर को कैबिनेट में जगह मिली है। तीन चेहरे पहली बार केंद्र की राजनीति में आए हैं। सिंधिया, वीरेंद्र पहले भी मंत्री रहे हैं, लेकिन विंध्य और महाकोशल का कोटा अब भी खाली है जो खटकने वाली बात हो सकती है।
यदि मध्यप्रदेश कोटे से राज्यसभा सदस्य तमिलनाडु के नेता मुरुगन का नाम भी जोड़ लें तो मप्र से केंद्र में मंत्रियों की संख्या छह हो जाती है। सबसे ज्यादा चर्चा शिवराज की है। चार बार के मुख्यमंत्री और विदिशा से छठवीं बार सांसद बने शिवराज 2023 में पांचवीं बार मुख्यमंत्री की दावेदारी में पिछड़ गए थे। अब उनकी केंद्रीय भूमिका में वापसी हुई है। वे पहली बार केंद्र में मंत्री हैं, लेकिन जिस तरह का प्रशासनिक अनुभव और प्रदेश की राजनीति में उनकी पकड़ है, उससे प्रदेश को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है। वे बेहतर तरीके से राज्य के विकास के लिए पैरवी कर सकेंगे और भूमिका अदा कर सकेंगे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया का गुना सीट से बड़ी जीत के साथ बड़ा मलाल भी दूर हो गया है। अब वे लोकसभा के जरिए केंद्र की राजनीति में स्थापित होने जा रहे हैं। राज्यसभा में रहते हुए भी मोदी कैबिनेट में रहे, लेकिन ताकतवर नरेंद्र सिंह तोमर के चलते वे दूसरे नंबर पर ही रहे। तोमर के राज्य की राजनीति में सक्रिय होने और विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद अब सिंधिया चंबल-ग्वालियर में केंद्रीय राजनीति का स्थाई चेहरा बनने की ओर बढ़ रहे हैं।
सोशल इंजीनियरिंग मोदी और भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला अपनाया है। दो ओबीसी शिवराज, सिंधिया और दो आदिवासी चेहरों सावित्री और दुर्गादास के साथ एक दलित चेहरा वीरेंद्र के रूप में केंद्रीय कैबिनेट में हैं। सोशल इंजीनियरिंग, सूबे की राजनीति को साधने के चक्कर में ओबीसी के कई चेहरे पिछड़ गए। सामान्य चेहरा भी गायब है। हालांकि ज्यादातर सामान्य वर्ग के सांसद पहली बार ही जीते हैं। फिलहाल अनुभव, क्षेत्रीय संतुलन को ही महत्व दिया गया है।
शिवराज सिंह चौहान सूबे की राजनीति में ओबीसी का बड़ा चेहरा।
जन्म: 5 मार्च 1959
शिक्षा: पोस्ट ग्रेजुएट
लोकसभा सीट: विदिशा
सीएम: 4 बार,
सांसद: 6 बार
विधायक: 6 बार
सबसे लंबे समय तक सीएम रहने वाले शिवराज अब मोदी कैबिनेट में बड़ा ओबीसी चेहरा होंगे। राजनीतिक सफर की शुरुआत 1972 में संघ से की थी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, भाजयुमो राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सहित कई जिम्मेदारियां संभालीं। खास ये भी है कि शिवराज से पहले 2014 में विदिशा सांसद सुषमा स्वराज केंद्रीय मंत्री बनी थीं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया: कांग्रेस में रहते हुए भी केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं


जन्म: 1 जनवरी 1971
शिक्षा: पीजी एमबीए
लोकसभा सीट: गुना
संसद सदस्य: 5 बार
केंद्रीय मंत्री: पांचवीं बार
सिंधिया देश-प्रदेश की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं। मोदी कैबिनेट में पहली बार 2021 में शामिल हुए थे। ज्योतिरादित्य ने अपने पिता माधवराव का रेकार्ड तोड़ दिया। माधवराव चार बार केंद्रीय मंत्री बने, जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रविवार को केंद्रीय मंत्री के रूप में 5वीं बार शपथ ली। वे तीन बार कांग्रेस सरकार में भी केंद्रीय मंत्री रहे। मोदी सरकार में दूसरी बार मंत्री बने।

डॉ. वीरेंद्र कुमार बुंदेलखंड में एससी वर्ग का चेहरा और वरिष्ठ सांसद


जन्म: 27 फरवरी 1954
शिक्षा: पीएचडी (बाल श्रम)
लोकसभा सीट: टीकमगढ़
सांसद: 8वीं बार
केंद्रीय मंत्री: तीसरी बार
प्रदेश के सबसे वरिष्ठ सांसदों में वीरेंद्र कुमार का नाम है। वे आठवीं बार सांसद बने हैं। चार बार सागर से और चार बार टीकमगढ़ से चुनाव जीते। शांत स्वभाव और सादगी के कारण जनता के बीच लोकप्रिय हैं। पढ़ाई के लिए साइकिल के पंचर बनाने से लेकर गाडिय़ों की रिपेयरिंग तक का काम करना पड़ा था। वे एबीवीपी, भाजयुमो, राज्य की समितियों में रह चुके हैं।

जो पिछड़े उनके लिए खुला रहेगा मौका


फग्गन सिंह कुलस्ते: मंडला सांसद कुलस्ते को भाजपा लंबे समय से आदिवासी चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट करती रही है। 2023 का विस चुनाव हार चुके कुलस्ते को लोस चुनाव लड़ाया गया। वे जीते। प्रदेशव्यापी असर नहीं होने के कारण उइके और सावित्री को कैबिनेट में जगह दी गई।
गणेश सिंह: सतना से 5वीं बार लोस चुनाव जीते गणेश के नंबर विस चुनाव में हार के कारण कम हो गए थे। पार्टी ने लोस का टिकट तो दिया पर उनकी आगे की राह मुश्किल में घिर गई। शिवराज और सिंधिया दो बड़े ओबीसी चेहरों का भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ा।
वीडी शर्मा: भाजपा का शुभंकर माने जाने वाले वीडी दूसरी बार लोकसभा पहुंचे हैं। निकाय, पंचायत, विधानसभा और फिर लोकसभा में बड़ी जीत दिलाने में प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर शर्मा को रिटर्न गिफ्ट की उम्मीद थी। पर लगता है उनके लिए दूसरी भूमिका तैयार हो रही है।

मोदी कैबिनेट में पांच मंत्रियों के जाने का असर

मोदी कैबिनेट में पांच मंत्रियों के जाने का असर मप्र पर भी दिखेगा। सबसे बड़ा असर ये रहेगा कि करीब 18 वर्ष तक सीएम रहने वाले शिवराज सिंह अब केंद्रीय मंत्री रहेंगे। मप्र से उनका लगाव है। इसके चलते मप्र को उनके विभागों में अतिरिक्त फायदा मिल पाएगा। इसी तरह सिंधिया के मामले में है। वे मोदी कैबिनेट के सबसे सक्रिय सदस्यों में एक रहे हैं। आदिवासी महिला के तौर पर सावित्री ठाकुर को जगह मिली है, जिनसे अब मालवा क्षेत्र को विशेष उम्मीद रहेगी।
मोहन सरकार तेजी से काम कर सकेगी। वीडी के लिए अगली भूमिका: प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा मोदी कैबिनेट में जगह नहीं पा सके। वीडी को अध्यक्ष पद पर चार साल हो चुके हैं। उनके संगठन व चुनाव में लगातार अच्छे परफॉर्मेंस के कारण माना जा रहा था कि मोदी कैबिनेट में जगह मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में वीडी के लिए संगठन में कोई बड़ी भूमिका देखी जा सकती है। एक यह विकल्प हो सकता है कि वीडी को अभी निरंतर किया जाए। भविष्य के लिए वीडी की भूमिका को लेकर कोई अन्य रास्ता अपनाया जा सकता है।

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