शिकायतों के बाद एनएचएम की टीम द्वारा एमएमयू की जांच की गई जिसमें आधा दर्जन जिलों के दीनदयाल चलित अस्पताल (MMU) और जननी एक्सपे्रस वाहनों में भारी गड़बडिय़ां मिली थीं। इनमें कई एमएमयू वाहनों में डॉक्टर और बिना स्टाफ के वाहन दौड़ते मिले, वहीं कई मशीनों के बंद मिलने के साथ ही महज खानापूर्ति की जा रही थी। इन गड़बडिय़ों के बाद एनएचएम की अपर मिशन संचालक डॉ. सलोनी सिडाना ने कंपनी को नोटिस जारी कर सात दिनों में जवाब मांगा था। कंपनी से संतोषजनक जवाब नही मिलने पर एनएचएम ने इन चलित अस्पताल को बंद कर दिया।
सीहोर जिले की इछावर के एमएमयू वाहन की जांच में वेब कैम में वीडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा नहीं थी। वाहन में जरूरी दवाएं भी नहीं थीं । इसके साथ ही डॉक्टर और स्टाफ मरीजों के आधार की जगह रजिस्टर और सॉफ्टवेयर में खुद का आधार नंबर एंट्री कर रहे थे।
जांच में देवास के सोनकच्छ, इंदौर की सांवेर, झाबुआ की रामा, कल्याणपुरा, थांदला, मेघनगर, धार की गंधवानी, बडवानी, इंदौर की महू,रायसेन की औबेदुल्लागंज, नसरूल्लागंज लोकेशन की मोबाइल मेडिकल यूनिट (MMU) वाहनों में जरूरी मशीनरी बंद और खराब मिली।
एएनसी, पीएनसी और लैब टेस्ट नहीं किए जा रहे थे।
झाबुआ जिले की कल्याणपुरा के एमएमयू वाहन में पदस्थ डॉक्टर की जगह दूसरे डॉक्टर की बायोमेट्रिक अटेंडेंस लगी थी, जबकि गाडी बंद थी। नसरूल्लागंज में तो जांच के एक दिन पहले यानि 23 जून को 39 और 24 जून को शाम 4 बजे तक 27 मरीजों की जांच कर एंट्री की गई थी। टीम ने जब पडताल की तो पता चला इस नाम के व्यक्ति गांव में ही नहीं हैं। स्टाफ द्वारा फर्जी मरीजों की एंट्री रजिस्टर और सॉफ्टवेयर में की जा रही थी।
जिकित्जा हेल्थ केयर के प्रोजेक्ट मैनेजर जितेन्द्र शर्मा ने बताया कि हम एनएचएम के अनुबंध के नियमों और शर्तों के पालन में उनके निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए बात कर रहे हैं। जो भी अनियमितताएं और गडबड़ी मिली हैं उन्हें दूर किया जाएगा।