सावित्री ठाकुर ने अपने दम पर ही यह मुकाम पाया है। उनके परिवार Savitri Thakur Family में कोई भी राजनीति में नहीं है। सावित्री ठाकुर के पति Savitri Thakur Husband साधारण किसान हैं जबकि पिता राज्य वन विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं। सावित्री ठाकुर ने खुद कठिन संघर्ष कर राजनैतिक और सामाजिक क्षेत्र में पहचान बनाई।
बीजेपी ने लोकसभा चुनावों के लिए अपने प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट में धार लोकसभा से सावित्री ठाकुर को टिकट दिया था। उन्होंने कांग्रेस के राधेश्याम मुवैल को हराया। सावित्री ठाकुर पूर्व में भी धार लोकसभा क्षेत्र से सांसद former Dhar MP Savitri Thakur रह चुकी हैं। उन्होंने बीजेपी के टिकट पर ही 2014 का चुनाव लड़ा था जिसमें जीतकर लोकसभा पहुंची थी। तब सावित्री ठाकुर ने अपने निकटतम कांग्रेसी प्रतिद्वंद्वी उमंग सिंघार को हराया था। 2019 में उन्हें टिकट नहीं दी गई।
2014 में सांसद बनने से पहले सावित्री ठाकुर सन 2004 से 2009 तक जिला पंचायत अध्यक्ष का कार्यभार संभाल चुकी थीं। उद्योग पर बनी संसदीय समिति की भी वे सदस्य रह चुकी हैं। सावित्री ठाकुर ने सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम शुरु किया। राजनीति में आने से पहले वे एक एनजीओ वैशप की को-ऑर्डिनेटर के रूप में सेवा करती रहीं। इसी दौरान वे आरएसएस से जुड़ीं और यहीं से उनकी किस्मत करवट लेने लगी। उनका परिवार भी आरएसएस यानि संघ से जुड़ा था। पिछड़े आदिवासी इलाके में पढ़ी लिखी, उदार सोच की महिला होने के कारण उन्हें संघ ने बीजेपी में आगे बढ़ाया। 16वीं लोकसभा चुनाव उनका पहला बड़ा चुनाव था जो उन्होंने जीता भी। धार से दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीतकर वे केंद्रीय मंत्री का पद हासिल करनेवाली हैं।
लोकसभा चुनाव के पूर्व सावित्री ठाकुर ने कहा था कि उनके मुताबिक संसद की प्राथमिक जिम्मेदारी प्रभावी कानून बनाना और देश को मजबूत बनाना है। वे धनबल की राजनीति की प्रबल विरोधी हैं और कहती हैं कि आमजन से जुड़ाव ही नेता को चुनाव जिताता है। पैसों से वोट नहीं खरीदे जा सकते। सावित्री ठाकुर का यह भी कहना है कि उन्हें लोगों की समस्याएं कम करने में बहुत खुशी मिलती है। इस काम में वे ऐसी रमी हैं कि किताबों, फिल्मों और खेल आदि के लिए समय ही नहीं मिलता।
जन्मतिथि— 1 जून 1978
परिवार— पति तुकाराम ठाकुर और दो बेटे
योग्यता— 10वीं पास
व्यवसाय— कृषि